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Thursday, December 12, 2024

घुड़सवारी में घोड़े की नई पहचान: एथलीट या उपकरण?

नई दिल्ली, 12 दिसंबर 2024, गुरुवार। घुड़सवारी के खेल इक्वेसट्रियन में घोड़े को एथलीट या उपकरण मानने की बहस ने एक नए विवाद को जन्म दिया है। भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) का मानना है कि घोड़ों को एथलीटों के साथ जोड़ना चाहिए, लेकिन घुड़सवारों ने इस तरह के कदम का विरोध किया है, जो उनके अनुसार आगे चलकर मामलों को जटिल कर सकता है। इस मुद्दे पर घुड़सवारों का मानना है कि घोड़ों को एथलीट मानने से उनके साथ दुर्व्यवहार की संभावना बढ़ जाएगी। उनका यह भी मानना है कि ऐसा करने से घुड़सवारी के खेल में जटिलताएं बढ़ जाएंगी और इसके परिणामस्वरूप खेल की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंच सकता है। दूसरी ओर, ईएफआई का मानना है कि घोड़ों को एथलीट मानने से उनके अधिकारों की रक्षा होगी और उनके साथ बेहतर व्यवहार किया जा सकेगा। उनका यह भी मानना है कि ऐसा करने से घुड़सवारी के खेल में पारदर्शिता और न्याय की भावना बढ़ेगी। इस मुद्दे पर अभी भी बहस जारी है और इसका समाधान निकालने के लिए विशेषज्ञों और घुड़सवारों के बीच चर्चा की जा रही है।
ईएफआई की दलील ने अदालत में खड़ा किया सवाल
दिल्ली उच्च न्यायालय में एक महत्वपूर्ण मामले की सुनवाई चल रही है, जिसमें भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) के प्रशासन पर सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि ईएफआई ने निजी क्लबों और संस्थानों को मतदान का अधिकार देकर राष्ट्रीय खेल संहिता का उल्लंघन किया है। यह मामला ईएफआई से मान्यता प्राप्त राजस्थान की इकाई ने दायर किया है, जो चाहती है कि मतदान का अधिकार केवल राज्य संघों के पास हो। इस मामले में एक दिलचस्प मोड़ आया जब ईएफआई ने एक सुनवाई के दौरान यह दलील दी कि घोड़े को एथलीट या उपकरण माना जाए। इस दलील को राजेश पट्टू, जो एशियाई खेल 1998, 2002 और 2006 में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम के सदस्य रहे हैं, ने खारिज कर दिया। उन्होंने कहा, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि घोड़ा एथलीट है या उपकरण क्योंकि वह भारतीय घुड़सवारी महासंघ के चुनावों में मतदान नहीं करने जा रहा है।” उन्होंने आगे कहा, “ईएफआई इस तरह की अप्रासंगिक दलील देकर अदालत का समय बर्बाद कर रहा है। इसका निर्वाचन मंडल से कोई लेना-देना नहीं है जो कि मुख्य मामला है।”
घोड़ों को एथलीट मानने पर फवाद मिर्जा की राय: जटिलताओं की चेतावनी
ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करने वाले पहले भारतीय घुड़सवार फवाद मिर्जा ने घोड़ों को एथलीट के रूप में वर्गीकृत करने के मुद्दे पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। उन्होंने कहा कि वह अपने घोड़े को एक एथलीट मानते हैं, लेकिन उन्होंने इस तरह के कदम से आने वाली जटिलताओं के बारे में भी चेतावनी दी। मिर्जा ने कहा, “मैं अपने घोड़े को एक पेशेवर और उच्च श्रेणी के एथलीट के रूप में देखता हूं। लेकिन अगर आप उन्हें कानूनी चीजों के संबंध में, कानूनी व्यक्ति के रूप में, कानून के माध्यम से, या उन्हें पुरस्कृत करके मानवीय बनाने की कोशिश करते हैं तो यह काफी कठिन और जटिल हो जाता है।” उन्होंने आगे कहा, “वे आखिरकार जानवर हैं और अगर आप मानवीय चीजों और विचारों तथा कानून को जोड़ने की कोशिश करते हैं तो मुझे लगता है कि यह स्थिति को जटिल बनाता है।”

घोड़े की नई पहचान: एथलीट या जानवर? घुड़सवारी में एक नए विवाद की शुरुआत

मिर्जा और पट्टू दोनों वर्तमान में जर्मनी के सारब्रुकेन में ट्रेनिंग ले रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय घुड़सवारी महासंघ (एफईआई) के संविधान में एथलीट को “एफईआई प्रतियोगिता में भाग लेने वाले किसी भी व्यक्ति” के रूप में परिभाषित किया गया है। यह परिभाषा राइडर, ड्राइवर, लंगर या वॉल्टर तक सीमित नहीं है।
एफईआई के 2023 के कानून में घोड़े की नहीं बल्कि एथलीट की परिभाषा है। अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में एफईआई एथलीट और घोड़ों को अलग-अलग सूचीबद्ध करता है। भारतीय घुड़सवारी महासंघ (ईएफआई) भी एफईआई का एक सदस्य महासंघ है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसने इटली से सीख ली है, जो कानून के माध्यम से घोड़ों को एथलीट के रूप में वर्गीकृत करने वाला पहला देश है।

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