नई दिल्ली, 10 दिसंबर 2024, मंगलवार। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि आरक्षण धर्म की बुनियाद पर नहीं हो सकता है। यह टिप्पणी कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए की गई, जिसमें राज्य सरकार के 77 जातियों को ओबीसी में शामिल करने के फैसले को रद्द कर दिया था। इन 77 जातियों में ज्यादातर मुस्लिम बताई जा रही हैं। अदालत ने कहा कि मामले की विस्तृत सुनवाई जरूरी है और अगली सुनवाई के लिए 7 जनवरी तारीख तय कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: धर्म के आधार पर आरक्षण को लेकर क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में कहा है कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दिया जा सकता है। यह टिप्पणी पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए की गई, जिसमें राज्य सरकार ने 77 जातियों को ओबीसी में शामिल करने का फैसला किया था। सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य सरकार का फैसला पिछड़ेपन पर आधारित था, न कि धर्म पर। उन्होंने कहा कि पिछड़ापन सभी समुदायों में मौजूद है। सिब्बल ने यह भी कहा कि मुस्लिम ओबीसी समुदायों के लिए आरक्षण को रद्द करने वाले आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है और मामला अभी भी लंबित है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह 7 जनवरी को विस्तृत दलीलें सुनेगी।
ओबीसी आरक्षण पर बड़ा फैसला: हाई कोर्ट ने 77 मुस्लिम वर्गों को ओबीसी से किया बाहर!
गौरतलब है कि, पश्चिम बंगाल में हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था, जिसमें उन्होंने 2010 से कई जातियों को दिए गए ओबीसी दर्जे को रद्द कर दिया था। इसके साथ ही, उन्होंने सार्वजनिक क्षेत्र की नौकरियों और सरकारी शैक्षणिक संस्थानों में उनके लिए आरक्षण को भी अवैध ठहरा दिया था। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि इन समुदायों को ओबीसी घोषित करने के लिए धर्म ही एकमात्र मानदंड रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि मुसलमानों के 77 वर्गों को पिछड़ा वर्ग के रूप में चुना जाना समग्र रूप से मुस्लिम समुदाय का अपमान है। हाई कोर्ट के इस फैसले के बाद, यह स्पष्ट किया गया कि हटाए गए वर्गों के नागरिकों की मौजूदा सर्विसेज पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यानी ओबीसी से हटाए गए वर्ग के वो लोग जो पहले से ही सेवा में थे, रिजर्वेशन का फायदा उठा चुके थे या राज्य की किसी भी चयन प्रक्रिया में सफल हो चुके थे, उन पर यह फैसला प्रभावी नहीं होगा।