प्रयागराज, 9 दिसंबर 2024, सोमवार। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव का हाल ही में दिया एक बयान चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा है कि हिन्दुस्तान देश के बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा। उनका यह बयान विश्व हिंदू परिषद की लीगल सेल की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में दिया गया था। जस्टिस शेखर कुमार यादव ने आगे कहा कि यह कानून है और उन्होंने यह बात हाई कोर्ट के जज के तौर पर नहीं बोल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि जो बात ज्यादा लोगों को मंजूर होती है, उसे ही स्वीकार किया जाता है।
उनके इस बयान को एक वर्ग संविधान के खिलाफ बता रहा है। इसके अलावा, उन्होंने ‘कठमुल्ला’ शब्द का भी प्रयोग किया था और कहा था कि देश के लिए घातक और खिलाफ लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “लेकिन यह जो कठमुल्ला हैं, यह सही शब्द नहीं है। लेकिन कहने में परहेज नहीं है क्योंकि देश वह देश के लिए बुरा है। देश के लिए घातक है, खिलाफ है। जनता को भड़काने वाले लोग हैं। देश आगे न बढ़े, इस प्रकार के लोग हैं। उनसे सावधान रहने की जरूरत है।”
जस्टिस शेखर कुमार यादव ने सांस्कृतिक अंतर की बात करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति में बच्चे वैदिक मंत्र और अहिंसा की सीख के साथ बड़े होते हैं। लेकिन कुछ अलग संस्कृति में बच्चे पशुओं के कत्लेआम को देखते हुए बड़े होते हैं। इससे उनके अंदर दया और सहिष्णुता का भाव ही नहीं रहता। जस्टिस शेखर कुमार यादव का यह बयान विवादित हो गया है और इसकी आलोचना की जा रही है। उनके इस बयान को संविधान के खिलाफ बताया जा रहा है।
जस्टिस शेखर कुमार यादव: 34 साल का लीगल करियर!
इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव का लगभग 34 साल पुराना लीगल करियर रहा है। उन्होंने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से 1988 में लॉ ग्रैजुएट किया और 1990 में वकील के रूप में अपना रजिस्ट्रेशन कराया। इसके बाद, उन्होंने इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रैक्टिस करना शुरू किया और राज्य की स्टैंडिंग काउंसिल में भी रहे। उन्होंने अडिशनल गवर्नमेंट एडवोकेट, रेलवे और भारत सरकार के वकील के रूप में भी काम किया है। जस्टिस शेखर कुमार यादव को अतिरिक्त जज के तौर पर इलाहाबाद हाई कोर्ट में जगह मिली थी और बाद में 26 मार्च, 2021 को उन्हें स्थायी जज के तौर पर शपथ दिलाई गई।
कांग्रेस ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जजों पर साधा निशाना!
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज आलम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के दो न्यायाधीशों के विश्व हिंदू परिषद द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने की निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह न्यायपालिका के निचले स्तर पर गिरते जाने का नया कीर्तिमान है। शाहनवाज आलम ने कहा कि जस्टिस शेखर कुमार यादव और जस्टिस दिनेश पाठक किसी गैर सरकारी और गैर विभागीय मंच पर कैसे जा सकते हैं? यह न्यायाधीशों के कोड ऑफ कंडक्ट के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को खुद संज्ञान लेकर इन दोनों न्यायाधीशों को पद से हटा देना चाहिए। शाहनवाज आलम ने यह भी कहा कि जस्टिस शेखर यादव का यह कहना कि भारत अपने बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा, बताता है कि जस्टिस यादव संविधान तक को नहीं मानते जो भारत को बहुसंख्यकवादी राज्य नहीं बल्कि सेकुलर और लोकतांत्रिक राज्य मानता है। उन्होंने कहा कि अगर जस्टिस शेखर यादव संविधान को नहीं मानते तो वो संविधान की अभिरक्षा के लिए बने न्यायपालिका के सदस्य कैसे रह सकते हैं?
चंद्रशेखर आजाद ने जस्टिस यादव पर साधा निशाना!
नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि जस्टिस यादव का बयान न्यायिक गरिमा, संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और समाज में शांति बनाए रखने की जिम्मेदारी का गंभीर उल्लंघन है। आजाद ने कहा कि जस्टिस यादव के बयान में ‘कठमुल्ला’ जैसे अपमानजनक शब्दों का प्रयोग न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह न्यायपालिका की निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान समाज में सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा देते हैं, जो न्यायपालिका जैसे पवित्र संस्थान के लिए अक्षम्य हैं। आजाद ने कहा कि एक न्यायाधीश का कर्तव्य है कि वह अपने शब्दों और कार्यों के माध्यम से समाज को एकजुट करे, न कि वैमनस्य को बढ़ावा दे। उन्होंने कहा कि ऐसे बयान न्यायपालिका की साख को कमजोर करते हैं और जनता के विश्वास को ठेस पहुंचाते हैं। आजाद ने कहा कि न्यायाधीश का धर्म केवल न्याय होना चाहिए, न कि किसी समुदाय के प्रति पूर्वाग्रह। उन्होंने राष्ट्रपति से इस मामले में दखल की मांग की है।
गौरतलब है कि विश्व हिंदू परिषद के प्रेस नोट में इस बात का कोई जिक्र नहीं है। इस कार्यक्रम के दौरान मीडिया का भी कोई कैमरा वहां नहीं था। ऐसे में न्यूज अड्डा इंडिया किसी भी विवादित टिप्पणी की पुष्टि नहीं करता है।