वाराणसी, 7 दिसंबर 2024, शनिवार। मां अन्नपूर्णा के मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रही, जहां अन्न की देवी भगवती अन्नपूर्णा का धान की बालियों से श्रृंगार किया गया। यह एक अद्भुत और आकर्षक दृश्य था, जिसने सभी भक्तों को मोहित कर दिया। मंदिर के गर्भगृह में मध्याह्न भोग आरती के बाद माता का श्रृंगार किया गया, जिसमें धान की बालियों का उपयोग किया गया था। यह एक पारंपरिक और महत्वपूर्ण अनुष्ठान था, जिसे मंदिर के पुजारियों ने बहुत ही ध्यान और श्रद्धा के साथ किया। शुक्रवार रात में पूरे मंदिर प्रांगण को सजाया गया था, जिसमें रंग-बिरंगे फूलों और रोशनी का उपयोग किया गया था।
मंदिर में व्रत उद्यापन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहा, जहां उन्होंने 17 दिनों के महाव्रत को पूरा करने के लिए अपनी श्रद्धा और भक्ति का प्रदर्शन किया। मान्यता के अनुसार, इस महाव्रत में भक्त एक समय का ही फलहार करते हैं। शनिवार के दिन व्रत सम्पन्न होने पर श्रद्धालुओं ने 21, 51, 101 और 501 परिक्रमा कर अपने मन्नतों की हाजिरी लगाई। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण और पवित्र अनुष्ठान था, जिसे भक्तों ने बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ किया। मां अन्नपूर्णा के दर्शन के लिए शनिवार सुबह से मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ लगी रही।
माता अन्नपूर्णा के मंदिर में धान की बालियों से सजावट: पूर्वांचल के किसानों की आस्था और भक्ति का अद्भुत उदाहरण!
माता अन्नपूर्णा के मंदिर में एक अद्भुत और आकर्षक दृश्य देखने को मिला, जहां पूर्वांचल के किसानों द्वारा भेजी गई धान की बालियों से देवी का श्रृंगार किया गया था। महंत शंकरपुरी ने बताया कि यह एक पारंपरिक अनुष्ठान है, जिसमें किसान अपनी पहली फसल को माता अन्नपूर्णा को अर्पण करते हैं और फिर इन्ही धान की बालियों से उनका मंदिर सजाया जाता है। इस वर्ष, 21 क्विंटल धान की बालियों से मंदिर को खूबसूरत तरीके से सजाया गया था। पूर्वांचल के किसानों की इस पारंपरिक अनुष्ठान में भागीदारी एक अद्भुत उदाहरण है कि कैसे लोग अपनी आस्था और भक्ति को प्रकट करते हैं।
माता अन्नपूर्णा की कृपा से कभी नहीं होती अन्न की कमी: काशी में माता के आशीर्वाद का अद्भुत उदाहरण!
माता अन्नपूर्णा के श्रृंगार में लगे धान की बालियों का एक विशेष महत्व है। मान्यता है कि इन बालियों को घर के अन्न के भंडारे में रखने से कभी अन्न की कमी नहीं होती है। यह एक अद्भुत और पवित्र अनुष्ठान है, जो माता अन्नपूर्णा की कृपा और आशीर्वाद को प्रकट करता है। काशी के पुराधिपति बाबा विश्वनाथ ने भी मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी, जो इस बात का प्रमाण है कि माता अन्नपूर्णा की कृपा और आशीर्वाद से ही काशी में कभी भी कोई भूखा नहीं सोता है।