नई दिल्ली, 1 दिसंबर 2024, रविवार। भारत में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया है कि अक्टूबर महीने में 90 दवाएं मानक गुणवत्ता की नहीं पाई गईं। इनमें ट्रिप्सिन और काइमोट्रिप्सिन टैबलेट, एंटीफंगल दवा, मांसपेशियों के दर्द से राहत दिलाने वाली दवा और टाइप 2 डायबिटीज मेलिटस के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं शामिल हैं।
केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने बताया है कि इन दवाओं को मानक गुणवत्ता की नहीं या नकली घोषित किए जाने के बाद, दवा निर्माता कंपनियों को विशिष्ट बैच नंबर वाली ऐसी दवाओं को बाजार से वापस लेना होगा।
जुलाई-सितंबर से, CDSCO ने 195 दवाओं और दवाओं का पता लगाया है जो नकली और स्टैंडर्ड क्वालिटी की नहीं पाई गईं। इनमें दर्द निवारण और टाइप 2 डायबिटीज के उपचार के लिए इस्तेमाल की जाने वाली कई दवाएं और औषधियां शामिल हैं।
यह समस्या न केवल भारत में है, बल्कि पूरे विश्व में दवाओं की गुणवत्ता को लेकर चिंता बढ़ रही है। ऐसे में यह आवश्यक है कि दवा निर्माता कंपनियां अपनी दवाओं की गुणवत्ता को सुनिश्चित करें और सरकार भी इस मामले में सख्ती से कार्रवाई करे।