वाराणसी, 27 नवंबर 2024, बुधवार। वाराणसी जोन की आजमगढ़ पुलिस ने ऑनलाइन बेटिंग एप के जरिए लोगों को ठगने वाली साइबर गैंग का पर्दाफाश किया है। इस गैंग ने 12 राज्यों में अपना जाल फैला रखा था, जिनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश शामिल हैं। पुलिस ने 11 साइबर ठगों को अरेस्ट किया है और 169 बैंक खातों के दो करोड़ रुपये फ्रीज किए हैं। आरोपितों के पास से 3.40 लाख रुपये नकद, 51 मोबाइल फोन, छह लैपटॉप, 61 एटीएम कार्ड, 56 पासबुक, 19 सिम, सात चेकबुक, तीन आधार और जियो का एक राउटर भी बरामद हुआ है।
पुलिस के अनुसार, आरोपितों ने कोचिंग के नाम पर आजमगढ़ के रैदोपुर क्षेत्र में स्मार्ट माल के सामने दो मंजिल का मकान किराये पर ले रखा था। आरोपितों को सोमवार रात यहीं से गिरफ्तार किया गया। जबकि वाराणसी के दो आरोपित भागने में सफल रहे। पुलिस ने बताया कि आरोपितों ने ऑनलाइन बेटिंग एप रेड्डी, अन्ना, लोटस, महादेव आदि के जरिए लोगों को ठगने का काम किया। आरोपितों ने लोगों को आकर्षक ऑफर देकर अपने जाल में फंसाया और उनके बैंक खातों से पैसे निकाल लिए।
एसपी हेमराज मीना की बड़ी कार्रवाई:
आजमगढ़ पुलिस ने एक बड़ी साइबर ठगी गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस अधीक्षक हेमराज मीना ने बताया कि एनसीआरबी पोर्टल पर साइबर ठगी की शिकायतें दर्ज थीं, जिनमें से कुछ मामले आजमगढ़ के थे। जांच में पता चला कि ऑनलाइन जुआ खिलाने की दो यूनिटें अप्रैल 2024 से चल रही हैं, जिसमें 13 लोग शामिल हैं। आजमगढ़ में इनका सरगना महराजगंज के सिसवा बाजार निवासी राम सिंह था।
आरोपित पैसा दोगुना, तीन गुना करने का लालच देते हुए सोशल मीडिया जैसे इंस्टाग्राम, वाट्सएप, मेटा और टेलीग्राम चैनलों पर लिंक साझा करते थे। इसमें जो लोग फंस जाते थे, उनका लॉगिन आईडी और पासवर्ड बनाते थे और खाते की पूरी जानकारी भी ले लेते थे। इसके बाद खाते का पूरा पैसा फर्जी खातों में ट्रांसफर कर लेते थे।
ये हुए गिरफ्तार
गिरफ्तार आरोपितों में राम सिंह के अलावा महराजगंज का अमित गुप्ता, आजमगढ़ का मिर्जा उमर बेग, मीरजापुर का संदीप यादव व विकास यादव, जौनपुर का आकाश यादव, बिहार के गोपालगंज का अजय कुमार पाल व बांका के आनंदी कुमार यादव, ओडिशा के कलाहांडी का विशाल दीप और बलांगिर का प्रदीप क्षात्रिया, मप्र के जबलपुर का पंकज कुमार हैं। फरार आरोपितों में वाराणसी का विनय यादव और सौरभ हैं।
सरकार द्वारा प्रतिबंधित एप का उपयोग कर लोगों को ठगते थे!
सरकार द्वारा प्रतिबंधित एप का उपयोग करके एक संगठित गिरोह लोगों को ठगता था। यह गिरोह व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए अपना खेल संचालित करता था और लोगों को फर्जी विज्ञापन देकर फंसाता था। गिरोह के सदस्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप, मेटा और टेलीग्राम पर विज्ञापन देकर लोगों को फंसाते थे। इसके बाद, पीड़ितों की आईडी ब्लॉक कर दी जाती थी और उनके पैसे फर्जी खातों में ट्रांसफर कर दिए जाते थे। इस गिरोह में भारत के अलावा श्रीलंका और यूएई के सदस्य भी शामिल थे। पुलिस को आशंका है कि यह गिरोह आजमगढ़ में और सक्रिय हो सकता है, इसलिए टीम इस मामले में जांच कर रही है।
व्हाट्सएप ग्रुप की जांच शुरू: साइबर ठगी के बड़े राज का हो सकता है खुलासा!
इन संगठित गिरोह के व्हाट्सएप ग्रुप की जांच वाराणसी में की जाएगी। यह ग्रुप जालसाजों के माध्यम से संचालित किया जा रहा था, जो तमाम सोशल साइट्स के माध्यम से लोगों को ठगते थे। वाराणसी स्थित विधि प्रयोगशाला में जांच के लिए वाट्सएप ग्रुप को भेजा गया है। माना जा रहा है कि इसके माध्यम से और कई मामलों का राजफाश होने की संभावना है।