मुंबई, 25 नवंबर 2024, सोमवार। महाराष्ट्र के चुनावी इतिहास में कांग्रेस को पहली बार इतनी बड़ी हार का सामना करना पड़ा है। पार्टी को सिर्फ 16 सीटों पर जीत मिली है, जो उनके लिए एक बड़ा झटका है। हार के बाद, कांग्रेस ने ईवीएम पर ठीकरा फोड़ा है, जिसमें पार्टी के महासचिव जयराम रमेश ने कहा है कि ईवीएम के डेटा की वजह से वे चुनाव हार गए हैं। हालांकि, जयराम रमेश के बयान से अलग, महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के पीछे कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। कहा जा रहा है कि पार्टी के 5 नेताओं को हार के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है, जिन्हें लोकसभा में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद जीत की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन ये नेता इसे सफल बनाने में नाकाम रहे।
केसी वेणुगोपाल की रणनीति में खामियां: क्या कांग्रेस की हार के पीछे है उनकी कमियां?
महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के पीछे केसी वेणुगोपाल की रणनीति की कमी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। उन्होंने बड़े नेताओं की फौज उतारी, लेकिन यह प्रयास विफल रहा। गठबंधन के दलों से कॉर्डिनेट करने में भी उन्हें असफलता मिली। केसी वेणुगोपाल की रणनीति में सबसे बड़ी कमी यह थी कि उन्होंने सीट बंटवारे में पार्टी के नेताओं के बीच मतभेदों को नहीं सुलझाया। इसके अलावा, वोटिंग के दिन सोलापुर दक्षिण सीट पर पूर्व गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन करने के बावजूद उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की। इन कमियों के कारण कांग्रेस की हार हुई और पार्टी को महाराष्ट्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए नए सिरे से काम करना होगा।
रमेश चेन्निथल्ला की रणनीति में खामियां: क्या कांग्रेस की हार के पीछे है उनकी असफलता?
महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के पीछे रमेश चेन्निथल्ला की रणनीति की कमी एक बड़ा कारण माना जा रहा है। उन्हें चुनाव से पहले केरल के कद्दावर नेता के रूप में प्रभारी नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्होंने स्ट्रैटजी तैयार करने, कॉर्डिनेशन करने और काडर को मजबूत करने में असफलता हासिल की। विदर्भ कांग्रेस का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन वहां भी पार्टी बुरी तरह हार गई। मुंबई और नॉर्दन महाराष्ट्र में भी कांग्रेस फिसड्डी साबित हुई। चेन्निथल्ला मुंबई में जरूर डटे रहे, लेकिन कॉर्डिनेशन करने और सही इनपुट जुटाने में फेल दिखे।
नाना पटोले की रणनीति फेल: महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के पीछे क्या है असली वजह?
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले की रणनीति महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में पूरी तरह से विफल साबित हुई। चुनाव से पहले, पटोले मुख्यमंत्री के प्रमुख दावेदार थे और उन्होंने कई बार खुलकर इसकी दावेदारी की थी। हालांकि, सीट बंटवारे और टिकट चयन में उनकी भूमिका के बावजूद, पार्टी को उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं मिले। पटोले के गढ़ भंडारा-गोंदिया में कांग्रेस को सिर्फ एक सीट पर जीत मिली, जबकि नागपुर में भी पार्टी को सिर्फ दो सीटें मिलीं। पटोले ने खुद 208 वोटों से चुनाव जीता, लेकिन उनकी रणनीति पूरे राज्य में प्रभावी नहीं रही। उन्होंने पूरे चुनाव में लगभग 55 रैलियों को संबोधित किया, लेकिन कांग्रेस सिर्फ एक-दो सीटों पर ही जीत पाई।
मधुसूदन मिस्त्री की रणनीति फेल: क्या टिकट बांटने में हुई गलती कांग्रेस की हार का कारण बनी?
महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के पीछे मधुसूदन मिस्त्री की रणनीति एक बड़ा कारण माना जा रहा है। उन्होंने टिकट बांटने और स्क्रीनिंग का काम किया था, लेकिन पार्टी के 86 में से सिर्फ 16 उम्मीदवार ही जीत पाए। यह एक बड़ा सवाल है कि मधुसूदन मिस्त्री ने किस आधार पर उम्मीदवारों का सिलेक्शन किया था और क्या उन्हें जमीनी हालात के बारे में जानकारी नहीं थी? मधुसूदन मिस्त्री पहले भी कई राज्यों में स्क्रीनिंग कमेटी के प्रमुख रह चुके हैं, लेकिन उन राज्यों में भी पार्टी की करारी हार हुई थी। यह एक बड़ा सवाल है कि क्या मधुसूदन मिस्त्री की रणनीति में कोई कमी थी या उन्हें जमीनी हालात के बारे में जानकारी नहीं थी।
सुनील कनुगोलू की रणनीति फेल: क्या बीजेपी की माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति समझने में हुई चूक कांग्रेस की हार का कारण बनी?
सुनील कनुगोलू कांग्रेस के चुनावी रणनीतिकार हैं और उनकी जिम्मेदारी बीजेपी की रणनीति समझ कर कांग्रेस के लिए रणनीति तैयार करना है। लेकिन महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के बाद यह सवाल उठ रहा है कि क्या कनुगोलू की टीम बीजेपी की माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति को समझ पाई थी? बीजेपी ने महाराष्ट्र में मध्य प्रदेश की तरह माइक्रो मैनेजमेंट की रणनीति तैयार की थी, जो काम कर गई और फंसी हुई सीटों पर भी बीजेपी ने जीत हासिल कर ली। कनुगोलू की टीम को यह समझने में असफलता मिली कि बीजेपी की रणनीति क्या है और कैसे उन्हें हराया जा सकता है। यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या कनुगोलू की टीम ने जमीनी हालात के बारे में जानकारी जुटाई थी और क्या उन्होंने सही उम्मीदवारों का चयन किया था।
कांग्रेस हाईकमान पर सवाल: क्या महाराष्ट्र में रणनीति की कमी ने पार्टी को हरा दिया?
महाराष्ट्र में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी हाईकमान पर सवाल उठ रहे हैं। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे शुरूआत में कैंपेन से दूर रहे, और जब बड़े नेताओं ने ताकत झोंकी तो उसका कोई फायदा नहीं हुआ। कांग्रेस के बड़े नेता महाराष्ट्र के चुनाव में न तो आक्रामक कैंपेन करते नजर आए और न ही रणनीति बनाने के लिए महाराष्ट्र में डटे। इसके उलट, बीजेपी की तरफ से अमित शाह ने महाराष्ट्र में खुद ही सियासी बिसात बिछाई, जो कि सफल साबित हुई। कांग्रेस की हार के बाद अब पार्टी हाईकमान पर सवाल उठ रहे हैं कि क्या उन्होंने महाराष्ट्र में सही रणनीति अपनाई थी और क्या उन्हें जमीनी हालात के बारे में जानकारी थी।