वाराणसी, 15 नवंबर 2024, शुक्रवार: वाराणसी में एक बड़ा घोटाला सामने आया है, जहां सारनाथ के रुद्रा हाइट्स में जुआ पकड़ने के दौरान छापेमारी करके 41 लाख रुपये लूटने वाले तत्कालीन इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता केस में फंस गए हैं। यह मामला तब सामने आया जब कई दिनों से तलाश के बाद वादी नहीं मिलने पर दरोगा ने इंस्पेक्टर के खिलाफ केस दर्ज कराया। अपार्टमेंट में जुआ खिलाने में रुद्रा हाइट्स के मालिक और अन्य अज्ञात के खिलाफ भी केस दर्ज किया गया है।
इंस्पेक्टर का तबादला लखनऊ, कमिश्नर की जांच के बीच हुआ रिलीव
इस मामले में अफसरों से सेटिंग कर सस्पेंड इंस्पेक्टर ने बनारस से अपना तबादला लखनऊ करा लिया। सारनाथ एसओ ने पूर्व एसएचओ और उनके साथ फर्जी ओएसडी बनकर लाखों की नगदी पार करने के आरोप में तहरीर देकर केस दर्ज कराया। इंस्पेक्टर के खिलाफ पुलिस केस में शामिल सीएम के फर्जी ओएसडी धर्मेंद्र चौबे को नामजद किया गया है। एफआईआर दर्ज हो जाने के बाद इंस्पेक्टर और धर्मेंद्र चौबे अंडरग्राउंड हो गए हैं। पुलिस टीम फर्जी ओएसडी बताने वाले धर्मेंद्र चौबे और जुआं खेलने वालों की तलाश में जुटी है। उनकी गिरफ्तारी के लिए टीम भी गठित कर दी गई है, साथ ही नंबर से लोकेशन भी खंगाली जा रही है।
तबादले पर किरकिरी, तो अफसरों ने दर्ज कराया मुकदमा
इस मामले में कई सवाल उठते हैं, जैसे कि क्या इंस्पेक्टर परमहंस के आकाओं ने उन्हें इस तरह की गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया? और क्या पुलिस अधिकारियों ने समय पर कार्रवाई नहीं की, जिससे यह मामला इतना बड़ा हो गया? इन सवालों के जवाब ढूंढने के लिए जांच आवश्यक है। इन सवालों का उठना लाजिमी है, क्योंकि इंस्पेक्टर परमहंस ने लखनऊ में बैठे आकाओं से मिलीभगत कर अपना संबद्धीकरण सीबीसीआईडी लखनऊ करा लिया। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को गुमराह कर कमिश्नरेट से रिलीव भी हो गए। लेकिन जब उनके तबादले पर किरकिरी हुई, तो अधिकारियों ने केस दर्ज कराने का निर्देश दिया।
वर्तमान थानाध्यक्ष विवेक कुमार त्रिपाठी ने केस दर्ज कर डैमेज कंट्रोल किया और अब आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए केस में जांच शुरू कर दी है। यह मामला इंस्पेक्टर परमहंस की मनमानी का एक उदाहरण है, जिसमें उन्होंने अपने आकाओं के साथ मिलकर पुलिस अधिकारियों को गुमराह किया।
क्या है पूरा मामला?
सारनाथ थाना के सस्पेंड इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता पर आरोप है कि उन्होंने 7 नवंबर को एक अपार्टमेंट पर छापा मारकर 40 लाख रुपये की लूट की वारदात को अंजाम दिया। उनके साथ सिविल ड्रेस में एक युवक धर्मेंद्र चौबे भी था, जिसने गार्ड से खुद को सीएम योगी का ओएसडी बताया। अपार्टमेंट में शहर के बड़े कारोबारी जुआ खेल रहे थे, सभी को डरा-धमकाकर रकम वसूली गई। आरोप है कि इंस्पेक्टर ने जुए की फड़ पर रखे 40-41 लाख रुपए दो बैग में भर लिए। एक सीसीटीवी भी सामने आया है, इसमें दिख रहा है कि इंस्पेक्टर लिफ्ट से उतर रहे हैं, उनके साथ का युवक हाथ में दो बैग पकड़े हुए है।
सीसीटीवी वायरल होने के बाद पुलिस कमिश्नर ने इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता को पहले लाइन हाजिर, फिर सस्पेंड कर दिया। डीसीपी वरूणा चंद्रकांत मीना ने जांच एडीसीपी को दी, जिसमें पूरा मामला साफ हो गया। अब एसओ सारनाथ विवेक त्रिपाठी ने तहरीर देकर अपनी ओर से सूचनाओं को आधार बनाकर केस दर्ज किया है।