✍️ विकास यादव
दुनिया भर में हर हिंदू का सपना होता है कि वह कम से कम एक बार काशी यात्रा पर जाए। यह शहर भगवान शिव की नगरी माना जाता है और यहां की यात्रा करना एक पवित्र अनुभव है।।पारंपरिक रूप से, काशी यात्रा करने की उम्र 60 वर्ष से अधिक होती थी, लेकिन अब यह परंपरा बदल चुकी है। आजकल लोग बिना उम्र की परवाह किए काशी तीर्थ के दर्शन करने के लिए जाते हैं। इसके अलावा काशी के शासक, पुजारी, काशी महाराजा और काशी के लोग हर साल अपने आराध्य के दर्शन के लिए आंध्र प्रदेश के एक विशेष मंदिर में जाते हैं। यह मंदिर कुंडलेश्वरम में स्थित है, जो काशी के बाहर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। अंबेडकर कोनसीमा जिले के मुम्मीदीवरम निर्वाचन क्षेत्र में स्थित कुंडलेश्वरम मंदिर एक महत्वपूर्ण और अद्वितीय तीर्थ स्थल है। यह मंदिर भगवान कुंडलेश्वर को समर्पित है, जो भगवान शिव का एक रूप है।
काशी जाने से पहले भगवान कुंडलेश्वर के दर्शन
कई भक्त काशी जाने से पहले भगवान कुंडलेश्वर के दर्शन करने आते हैं। यह मंदिर काशी के बाहर एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल माना जाता है। आध्यात्मिक गुरु चागंती कोटेश्वर राव ने भी इस मंदिर का उल्लेख किया और इसे “कुंडलेश्वर को देखना काशी को देखने के बराबर है” के रूप में वर्णित किया।
चागंती कोटेश्वर राव की भविष्यवाणी
चागंती कोटेश्वर राव की भविष्यवाणियों के बाद से इस मंदिर में भक्तों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। लोग भगवान कुंडलेश्वर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से आते हैं। यह मंदिर आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व का एक महत्वपूर्ण केंद्र है।
कुंडलेश्वरम मंदिर: एक प्रमुख धार्मिक स्थल
कुंडलेश्वरम मंदिर, जो पहले अन्य क्षेत्रों के लोगों के लिए अज्ञात था, अब कोनसीमा क्षेत्र में एक प्रमुख धार्मिक स्थल बन चुका है। यह मंदिर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है, जो इसकी सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाता है।
आध्यात्मिक पूजा का हिस्सा
यहाँ आने वाले भक्तों के लिए गोदावरी नदी में स्नान करना और मंदिर में दर्शन करना आध्यात्मिक पूजा का हिस्सा बन चुका है। यह मंदिर भगवान कुंडलेश्वर को समर्पित है, जो भगवान शिव का एक रूप है। भक्तों का विश्वास है कि यहाँ आने से उनकी आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है।
गोदावरी नदी के तट पर स्थित
गोदावरी नदी के तट पर स्थित होने के कारण, यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच आध्यात्मिक अनुभव प्रदान करता है। भक्तों के लिए यहाँ आना एक अद्वितीय अनुभव है, जो उनकी आत्मा को शांति और सुकून प्रदान करता है।
कुंडलेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या
वर्तमान समय में, खासकर कार्तिक माह में, कुंडलेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में वृद्धि देखी जा रही है। सुबह से लेकर शाम तक, मंदिर में भक्तों की भीड़ लगी रहती है। यह देखकर मंदिर के अधिकारियों ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए विशेष व्यवस्थाएँ की हैं।
विशेष व्यवस्थाएँ
मंदिर के अधिकारियों ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए कई व्यवस्थाएँ की हैं:
सुबह 11 बजे से अन्नप्रसाद का वितरण शुरू किया जाता है।
पुजारियों का मानना है कि मंदिर में प्रवेश करने से भक्तों के पाप और कष्ट कम हो जाते हैं।
मंदिर में विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है।
कुंडलेश्वरम पहुँचने का मार्ग
कुंडलेश्वरम पहुँचने के लिए कई विकल्प हैं:
काकीनाडा से:
काकीनाडा से यानम होते हुए मुम्मीदीवरम रोड पर यात्रा करें।
बीच रास्ते में कुंडलेश्वर मंदिर दिखाई देगा।
राजमुंदरी से:
राजमुंदरी से रावुलापलेम के माध्यम से इस क्षेत्र तक पहुँचें।
यह मार्ग भी कुंडलेश्वरम तक पहुँचने के लिए उपयुक्त है।
सार्वजनिक परिवहन:
काकीनाडा और राजमुंदरी से कुंडलेश्वरम के लिए नियमित बसें चलती हैं।
आप सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करके भी कुंडलेश्वरम पहुँच सकते हैं।
निजी वाहन:
आप अपने निजी वाहन से भी कुंडलेश्वरम पहुँच सकते हैं।
यह विकल्प आपको अधिक सुविधा और लचीलापन प्रदान करता है।