वाराणसी, 13 नवंबर 2024, बुधवार। काशी में देव दीपावली को स्थापित करने में रानी अहिल्याबाई होलकर का महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने पंचगंगा घाट पर पत्थरों से बना खूबसूरत ‘हजारा दीपस्तंभ’ स्थापित किया, जिस पर 1001 से अधिक दीप एक साथ जलते हैं।
हजारा दीपस्तंभ की भव्यता
यहां दीपों का अद्भुत जगमग प्रकाश ‘देवलोक’ जैसे वातावरण का अनुभव कराता है। हजारे को देख लगता है कि गंगा के गले में स्वर्णिम आभा बिखर रही है। इसे देखने के लिए पर्यटक हजारों की संख्या में जुटते हैं।
देव दीपावली की शुरुआत
वर्ष 1986 में, पूर्व काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह ने घाट पर हजारा दीप जलाकर देव दीपावली की विधिवत शुरुआत की। नारायण गुरू ने दक्षिण भारतीय ब्राह्मणों को दीया जलाते देखकर देव दीपावली की शुरुआत की। उन्होंने वर्ष 1984 में पंचगंगा, दुर्गाघाट, बिन्दु माधव मंदिर की सीढ़ियों पर देव दीपावली की शुरुआत की।
केंद्रीय देव दीपावली समिति
उनके प्रयास स्वरूप, वर्ष 1985 से केंद्रीय देव दीपावली समिति बनाकर इसे वृहद स्वरूप दिया गया। आज, देव दीपावली काशी की एक महत्वपूर्ण परंपरा है, यह उत्सव काशी की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।