वाराणसी, 12 नवंबर 2024, मंगलवार। वाराणसी की कमिश्नरेट पुलिस में भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। इंस्पेक्टर से लेकर दरोगाओं तक ने खाकी वर्दी को दागदार किया है। थानाध्यक्ष और चौकी इंचार्ज लूट और भ्रष्टाचार में शामिल पाए गए हैं। कई दरोगा रिश्वत लेते हुए पकड़े गए हैं। सारनाथ, भेलूपुर, नदेसर और लंका थानों में सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार हुआ है। भेलूपुर थानाध्यक्ष ने अपने थाने में ही गैंग बनाया और नदेसर चौकी इंचार्ज ने प्राइवेट लोगों के साथ क्राइम ब्रांच बना ली। सारनाथ थानाध्यक्ष ने एक युवक को सीएम का OSD बनाकर 40 लाख रुपये लूटे। अब तक कमिश्नरेट में 55 पुलिसकर्मी निलंबित, छह जेल भेजे गए और पांच पुलिस सेवा से बर्खास्त हुए हैं। कई भ्रष्टाचारी पुलिसकर्मी जमानत पर हैं और बहाली के बाद कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं।
खाकी को शर्मसार करने वाले चर्चित मामले
भेलूपुर डकैती कांड
वाराणसी के भेलूपुर थाने में विगत एक साल पहले बड़ा घोटाला सामने आया था। तत्कालीन इंस्पेक्टर रमाकांत दुबे और उनकी टीम ने एक कंपनी में डकैती डाली और 1.40 करोड़ रुपये लूटे। लेकिन जब मामला तूल पकड़ा, तो उन्होंने नई कहानी गढ़ी और 92.94 लाख रुपये बरामद कर दिए। लेकिन अधिकारियों ने सख्ती बरती और निरीक्षक रमाकांत दुबे, दरोगा सुशील कुमार, महेश कुमार, उत्कर्ष चतुर्वेदी और सिपाही महेंद्र कुमार पटेल, कपिल देव पांडेय, शिवचंद्र को पुलिस सेवा से बर्खास्त किया गया। वाराणसी के इस चर्चित डकैती कांड, जिसमें भेलूपुर थाने में तिलमापुर निवासी अजीत मिश्रा और 12 अज्ञात असलहाधारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। पुलिस ने डकैती कांड में चार आरोपियों – प्रदीप पांडेय, वसीम खान, घनश्याम मिश्रा, और सच्चिदानंद राय उर्फ मंटू को नई दिल्ली के कनाट प्लेस से गिरफ्तार किया था। अजीत मिश्रा उर्फ गुरुजी की गिरफ्तारी डेढ़ माह बाद 29 जुलाई को हुई थी। पुलिस की जांच में पता चला कि अजीत मिश्रा ने अपने परिचित पुलिस कर्मियों की मदद से वारदात को अंजाम दिया था। इस मामले में पांच पुलिसकर्मी जेल में हैं, जबकि इंस्पेक्टर ने हाईकोर्ट से कार्रवाई पर स्टे ले रखा है। लेकिन चार्जशीट दाखिल होने के साथ मामले का ट्रायल जारी है। यह डकैती गुजरात के हवाला कारोबारी जगदीश पटेल की पहल पर हुई थी, जिन्होंने अपने परिचित वसीम खान, प्रदीप पांडेय, घनश्याम मिश्रा, और अजीत मिश्रा से संपर्क किया था।
रामनगर में सर्राफा कारोबारी से लूटकांड
वाराणसी में बीते 22 जून को एक दरोगा का बड़ा घोटाला सामने आया है। दरोगा सूर्य प्रकाश पांडे ने नकली ‘स्पेशल क्राइम ब्रांच’ बनाई और हाईवे पर लूट करने लगा। उसने 4 शातिर युवकों के साथ मिलकर ज्वेलरी कारोबारी के कर्मचारियों से 93 लाख रुपये लूटे। हवाला का पैसा बताकर 42 लाख रुपये रख लिए और 51 लाख लौटा दिए। पुलिस ने दरोगा और उसके 2 साथियों को गिरफ्तार किया और 8 लाख रुपये बरामद किए। बता दें, लुटेरों का गैंग चलाने वाले दरोगा सूर्य प्रकाश पांडे को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई थी, लेकिन अब उसकी मुश्किलें फिर बढ़ गई हैं। पुलिस और अभियोजन की लचर पैरवी के चलते उसे पहले जमानत मिली थी, क्योंकि कोर्ट में पुलिस पूरे सबूत पेश नहीं कर सकी थी। इसके बाद कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने बड़ा एक्शन लेते हुए एसीपी कोतवाली अमित श्रीवास्तव को हटाकर एसीपी सुरक्षा और इंस्पेक्टर अनिल कुमार शर्मा को लाइन हाजिर कर दिया था। अब पुलिस अधिकारियों ने दरोगा सूर्य प्रकाश पांडे को फिर से गिरफ्तार कर लिया है, और इस बार उनकी गिरफ्तारी नए गैंगस्टर केस में हुई है। इसमें उनके अन्य साथियों को भी शामिल किया गया है। पुलिस ने गैंगस्टर लगाने के बाद बर्खास्तगी की फाइल भी बढ़ा दी है, जिससे दरोगा की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।
सारनाथ का ‘वर्दी वाला लुटेरा’
वाराणसी में उत्तर प्रदेश पुलिस पर एक और दाग लगा है। सारनाथ थाने के प्रभारी इंस्पेक्टर परमहंस गुप्ता पर जुए की फड़ से 40 लाख रुपये ले जाने का आरोप लगा है। उन्होंने एक अपार्टमेंट में छापा मारा और सिविल ड्रेस में रहे एक युवक ने अपार्टमेंट के गार्ड को सीएम योगी का ओएसडी बताया। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने इस मामले को लेकर तंज कसा है। सीसीटीवी फुटेज सामने आने के बाद पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने इंस्पेक्टर गुप्ता को लाइन हाजिर करने के साथ जांच के आदेश दिए हैं। अखिलेश यादव ने इसे “वर्दीवाला लुटेरा” कहकर भाजपाई भ्रष्टाचार की धारावाहिक फिल्म बताया है।
तीन महीने पहले महिला दरोगा घूस लेते दबोची गई
वाराणसी के लंका थाने में तैनात महिला दरोगा अनुभा तिवारी पर रिश्वत लेने का आरोप लगा था। उन्होंने दहेज उत्पीड़न मामले में फाइनल रिपोर्ट लगाने के लिए 20 हजार रुपये मांगे थे, जिसमें 10 हजार रुपये लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार की गईं। एंटी करप्शन टीम ने उन्हें जेल भेज दिया था। यह मामला खाकी की छवि को धूमिल करने वाला था।
10 सितंबर को मड़ौली चौकी इंचार्ज ने लिए थे 25 हजार
वाराणसी कमिश्नरेट पुलिस के मड़ौली चौकी प्रभारी अजय कुमार पर 25 हजार रुपये घूस लेने का आरोप लगा था। उन्होंने मुकदमा दर्ज कराने वाले व्यक्ति को पुलिस चौकी बुलाकर धारा को गंभीर बनाने के लिए घूस ली थी। इसके लिए उनके खिलाफ कैंट थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और आरोपी जमानत पर है। अजय कुमार 2015 बैच के दरोगा हैं और 60 दिन पहले ही चौकी प्रभारी बनाए गए थे।
22 मार्च को 40 हजार की रिश्वत लेते एसआई को एंटी करप्शन टीम ने पकड़ा
लोहता थाने के एसएसआई आशीष कुमार पटेल को एंटी करप्शन टीम ने 22 मार्च को 40 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया था। उन्होंने लूट के एक मामले में धारा कम करने के लिए 75 हजार रुपये की मांग की थी और रुपये न देने पर शिकायतकर्ता के छोटे बेटे को भी फंसाने की धमकी दी थी। आशीष कुमार पटेल के साथी रहीमपुर निवासी मासूम अली को भी टीम ने दबोच लिया, जो एक प्राइवेट युवक को दलाल बनाकर लोगों से रुपये लेता था। शिकायतकर्ता अनीस ने एंटी करप्शन टीम को पहले ही सूचित कर दिया था, जिसके बाद टीम ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। दोनों के खिलाफ राजातालाब थाने में मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा गया।
भ्रष्टाचार में घिरी खाकी को शर्मसार करने वालों की सूची
पुलिस महकमे में भ्रष्टाचार करने वाले कर्मियों की सूची वास्तव में चिंताजनक है। हाल के मामलों में सारनाथ और कैंट थाने में तैनात हेड कांस्टेबल विनय कुमार, दीपक सिंह और प्रशांत सिंह को रंगदारी मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया गया और जेल भेजा गया। इसके अलावा, जंसा थाने में तैनात दरोगा अभिषेक वर्मा को एक लाख रुपये घूस लेते हुए पकड़ा गया था। इससे पहले भी कई पुलिसकर्मियों को भ्रष्टाचार के आरोप में बर्खास्त किया गया है, जिनमें दरोगा महेश सिंह और गीता यादव शामिल हैं, जिन्हें दिसंबर 2021 में पुलिस सेवा से बर्खास्त किया गया था। इसके अलावा, वाराणसी पुलिस की क्राइम ब्रांच और जौनपुर में तैनात रहे इंस्पेक्टर अमित कुमार को नवंबर 2021 में पुलिस सेवा से बर्खास्त किया गया था। अब तक कमिश्नरेट के 55 पुलिसकर्मी निलंबित किए जा चुके हैं, और छह पुलिस कर्मी जेल भेजे गए हैं और पांच पुलिस सेवा से बर्खास्त हुए हैं।