वाराणसी, 7 नवंबर 2024, गुरुवार। काशी के गंगा घाट पर छठ महापर्व के तीसरे दिन लोक आस्था का पर्व मनाया गया। इस अवसर पर व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। खरना के बाद 36 घंटे का व्रत शुरू हो गया था। गुरुवार की शाम को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की। गंगा घाट पर व्रतियों ने अपनी आस्था और भक्ति को प्रकट किया। हाथ में खजूर की डलिया और सूप में ठिकुआ, मौसमी फल, गन्ना, मेवा, मिष्ठान रखकर घुटनों तक पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया गया। इस अवसर पर गंगा घाट पर भक्तों की भीड़ जमा हो गई थी। व्रतियां घाट पर सूर्य को अर्घ्य देकर उपासना कर रही थीं, तो वहीं घाट पर किनारे बैठीं महिलाएं छठ मईया के गीत गा रही थीं। गीत प्रस्तुत किए तो संगी साथी महिलाओं ने नृत्य किया।
छठ महापर्व का समापन: उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर होगा समापन
शुक्रवार, 8 नवंबर को छठ महापर्व का समापन होगा। इस अवसर पर व्रतियां उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करेंगी। वहीं, गुरुवार की शाम घाटों, कुंडों के अलावा घरों में भी छठी मईया को साक्षी मानते हुए सूर्य देव की पूजा अर्चना की गई। विवाहित महिलाओं ने नाक तक सिंदूर लगाकर जल में खड़ी होकर अर्घ्य दिया और एक घंटे तक उपासना करती रहीं। मान्यता है कि छठ मईया डूबते सूर्य में अर्घ्य देने से एक घंटा पहले जल में स्थान लेती हैं और अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। छठ महापर्व के इस महत्वपूर्ण अवसर पर लोगों ने अपनी आस्था और भक्ति को प्रकट किया। व्रतियों ने सूर्य को अर्घ्य देने के बाद घाट पर ही रात्रि में छठ मईया की पूजा की।
छठ महापर्व पर काशी के घाटों पर सेल्फी प्वाइंट की धूम
काशी के गंगा घाट पर छठ महापर्व के अवसर पर व्रतियों के लिए सेल्फी प्वाइंट बनाए गए थे। उपासना पूरी होने के बाद इन सेल्फी प्वाइंट पर व्रतियों ने अपने परंपरागत परिधानों में फोटो खिंचाए और अपने सोशल मीडिया अकाउंट्स पर अपनी आस्था और भक्ति को दुनिया के साथ साझा किया। इस अवसर पर काशी के घाटों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए थे। पुलिस और प्रशासन के अधिकारी घाट पर मौजूद रहे और व्रतियों की सुरक्षा का ध्यान रखा। छठ महापर्व के इस महत्वपूर्ण अवसर पर काशी के घाटों पर लोगों की आस्था और भक्ति का अद्भुत नजारा देखने को मिला।
पर्यावरण संरक्षण का संदेश लेकर सजे काशी के घाट
काशी के घाट पर छठ पर्व के अवसर पर नगर निगम द्वारा विशेष व्यवस्थाएं की गईं। घाट पर पूजा सामग्री के लिए अर्पित कलश लगाए गए और गीले वस्त्र बदलने को चेजिंग रूम भी बनाए गए। इसके अलावा, प्रकाश व्यवस्था भी बेहतर की गई ताकि व्रतियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
लेकिन इस बार काशी के घाट पर एक नया आयाम जुड़ा। पर्यावरण संरक्षण को लेकर नगर निगम द्वारा विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए। एनाउंसमेंट करके लोगों को गंगा नदी को प्रदूषित नहीं करने के लिए जागरूक किया गया। लोगों से आग्रह किया गया कि वे पूजा के दौरान प्लास्टिक का उपयोग न करें और गंगा नदी को स्वच्छ रखने में अपना योगदान दें।
इस पहल का उद्देश्य लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना था। नगर निगम के अधिकारियों ने बताया कि छठ पर्व के दौरान गंगा नदी में प्रदूषण को रोकने के लिए विशेष उपाय किए गए हैं। काशी के घाट पर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाले इस कार्यक्रम की सराहना लोगों ने की। लोगों ने कहा कि यह एक अच्छी पहल है और इससे लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करने में मदद मिलेगी।