चार दिन तक चलने वाले छठ पर्व में दूसरे दिन खरना किया जाता है. खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण. इस दिन महिलाएं उपवास रखती हैं और छठी मैय्या का प्रसाद तैयार करती हैं. . यह खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार की जाती है. व्रती महिलाएं प्रसाद के रूप में सबसे पहले इस खीर को ही ग्रहण करती हैं. उसके बाद इसे लोगों में बांटा जाता है. इस दिन सूर्य देव की विधिवत पूजा का भी विधान है.
खरना की विधि
सबसे पहले सुबह-सुबह पूजा स्थल और घर को अच्छी तरह से साफ करें. खरना के दिन पूजा करने वाली महिला या पुरुष साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें. पूजा के स्थान पर गन्ने का प्रयोग होता है. इस दिन गन्ने के टुकड़े और उसके रस से भी प्रसाद बनाया जाता है.
खरना का प्रसाद
खरना के प्रसाद में मुख्य रूप से गुड़ की खीर, रोटी और कई तरह के फल शामिल होते हैं. गुड़ की खीर बनाने के लिए चावल, दूध और गुड़ का इस्तेमाल होता है. इस प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर धीमी आंच पर पकाया जाता है. इसमें तुलसी के पत्ते भी डाले जाते हैं. ताकि प्रसाद में पवित्रता बनी रहे.
सूर्य देव को अर्घ्य
खरना के दिन सूर्यास्त से ठीक पहले व्रती सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं. सबसे पहले छठी मैय्या के पूजन स्थिल पर एक दीपक जलाया जाता है. फिर पानी में गंगाजल और दूध मिलाकर सूर्य देव को अर्पित किया जाता है.