लखनऊ, 5 नवंबर 2024, मंगलवार: उत्तर प्रदेश के तीन हजार से अधिक युवाओं को विदेशों में साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट के लिए फुसलाया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पुलिस को इन युवकों की सूची सौंपी है, जो कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड गए हैं। आशंका है कि इन युवकों को तीन हजार से लेकर सात हजार डॉलर तक वेतन दिलाने की बात कहकर ले जाया गया और उन्हें साइबर स्लेवरी में धकेल दिया गया है। इन युवकों को एक सप्ताह की ट्रेनिंग के बाद फोन कॉलिंग कराई जाती है और बात न मानने पर उत्पीड़न किया जाता है। कॉल सेंटर चलाने वाले गैंग के लोग इन युवकों के वीजा और पासपोर्ट को भी अपने पास जमाकर लेते हैं, जिससे ये युवक वापस नहीं लौट पाते।
पुलिस ने इन युवकों के घरों पर संपर्क करना शुरू कर दिया है और उनमें से कुछ युवकों को टूरिस्ट वीजा या अन्य कारोबार के चलते विदेश गए हैं। एसपी साइबर क्राइम राजेश कुमार यादव ने बताया कि यूपी के तीन हजार से अधिक युवा कंबोडिया, वियतनाम और थाईलैंड गए हैं, जिनके सत्यापन का काम चल रहा है। यह घटना दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट की बढ़ती समस्या को दर्शाती है, जहां आसियान (एशियन) देशों के बीच समृद्धि और आर्थिक विकास के लिए काम किया जा रहा है। सरकार और पुलिस निरंतर जागरूकता अभियान चला रहे हैं ताकि लोगों को साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट से बचाया जा सके।
विदेशों में युवाओं को दी जा रही है ठगी की ट्रेनिंग
पुलिस के अनुसार, भाषा के आधार पर ठगी की जिम्मेदारी सौंपी जाती है। महाराष्ट्र के युवकों से महाराष्ट्र में ठगी कराई जाती है। गुजराती युवकों से गुजरात में ठगी कराई जाती है। युवकों को प्रशिक्षण दिया जाता है ताकि वे ठगी में सफल हो सकें। बातचीत के दौरान युवकों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।
भारत में चीनी ठगी गिरोह का बड़ा खुलासा
नोएडा में एसटीएफ ने एक बड़े ठगी गिरोह को पकड़ा, जिसमें चीन के 11 नागरिक शामिल थे। इस गिरोह ने लोन, गेमिंग और ट्रेडिंग ऐप के माध्यम से हजारों करोड़ रुपये की ठगी की थी। गिरोह के तीन मुख्य सदस्य देश छोड़कर जा चुके हैं, लेकिन एसटीएफ की जांच में पता चला है कि इस गिरोह का असली मास्टरमाइंड चीन का नागरिक जिंडी है। जिंडी ने भारत में ठगी का नेटवर्क तैयार किया था और वर्ष 2020 में भारत से वापस चीन लौट गया था। अब जिंडी चीन, सिंगापुर और हांगकांग में लगे सर्वर के माध्यम से ठगी कर रहा है। एसटीएफ की जांच में यह भी पता चला है कि गिरोह ने विदेश में सेंटर बनाए हुए हैं और इन सेंटरों से ठगी की जा रही है। यह मामला भारत में चीनी ठगी गिरोह के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है और एसटीएफ की जांच से यह स्पष्ट होता है कि इन गिरोहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने की आवश्यकता है।
कंबोडिया में साइबर ठगी का बड़ा केंद्र
कंबोडिया इन दिनों साइबर ठगी का सबसे बड़ा केंद्र बन गया है, जहां से बड़े-बड़े कॉल सेंटर चलाए जा रहे हैं। इन कॉल सेंटरों से निवेश, नौकरी, शेयर बाजार में ट्रेडिंग के नाम पर और डिजिटल अरेस्ट कर लोगों को ठगा जा रहा है। भारत से नौकरी के नाम पर ले जाए गए लोगों को इन कॉल सेंटरों में कॉलिंग करने में लगाया जाता है। ये लोग अपने ही देश के लोगों को ठगते हैं, क्योंकि उन्हें अपनी भाषा और संस्कृति की जानकारी होती है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कंबोडिया में साइबर ठगी का यह केंद्र बहुत बड़ा है और यहां से लाखों रुपये की ठगी की जा रही है। इस मामले में पुलिस जांच कर रही है और आरोपियों को पकड़ने की कोशिश कर रही है। यह मामला भारत में साइबर ठगी के बढ़ते मामलों को दर्शाता है और लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है।
गौतमबुद्ध नगर के 248 लोगों को मिली क्लीनचिट
नोएडा साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने बड़ी जांच की और गौतमबुद्ध नगर जिले के 248 लोगों को क्लीनचिट दी। ये लोग पिछले एक वर्ष में थाईलैंड, कंबोडिया और वियतनाम गए थे। जांच में पता चला कि ये लोग पर्यटन या कारोबार के लिए गए थे, न कि साइबर ठगी के गिरोह से जुड़ने के लिए। पुलिस ने पाया कि इन लोगों ने किसी कॉल सेंटर में काम नहीं किया और उनका साइबर ठगी से कोई लेना-देना नहीं है। गृह मंत्रालय के निर्देश पर हुई इस जांच से इन लोगों को बड़ी राहत मिली है।
साइबर स्लेवरी: आभासी गुलामी का नया खतरा
विदेशों में नौकरी के लिए जाने वाले युवाओं को शातिर लोग फंसा रहे हैं और उनसे साइबर क्राइम कराया जा रहा है। यह आभासी गुलामी यानी साइबर स्लेवरी है, जो अपराध का नया ट्रेंड बन गया है। पुलिस ने लोगों को इन शातिरों के शिकंजे से बचाने के लिए सत्यापन शुरू किया है, ताकि विदेश जाने से पहले यह पता लगाया जा सके कि नौकरी का ऑफर वास्तविक है या नहीं।