अमृतसर, 2 नवंबर 2024, शनिवार। अकाल तख्त साहिब के निर्देशों का पालन करते हुए, स्वर्ण मंदिर में बंदी छोड़ दिवस (दिवाली) को बहुत ही सादगी से मनाया गया। इस वर्ष, स्वर्ण मंदिर में केवल रोशनी की गई और दीये जलाए गए, लेकिन आतिशबाजी का आयोजन नहीं हुआ।
बड़ी संख्या में श्रद्धालु स्वर्ण मंदिर पहुंचे और घी के दीये जलाए। इस अवसर पर पूरे स्वर्ण मंदिर परिसर को लाइटों से सजाया गया था। प्रतिवर्ष बंदी छोड़ दिवस पर आतिशबाजी की जाती थी, लेकिन इस वर्ष अकाल तख्त ने सिर्फ दीये और रोशनी के साथ बिना आतिशबाजी के इस दिन को मनाने का निर्देश दिया था।
अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह ने सिख समुदाय को सिर्फ दीये जलाने के लिए कहा था। उन्होंने सिख समुदाय से आतिशबाजी या इलेक्ट्रिक लाइटिंग से परहेज करने का निर्देश दिया था। इसके पीछे ज्ञानी रघुबीर सिंह ने तर्क दिया था कि बंदी छोड़ दिवस इस वर्ष 1 नवंबर के दिन पड़ा है, जिस दिन दिल्ली और देश के अन्य हिस्सों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे।
जत्थेदार ने कहा था कि इन दंगों के 40 वर्ष बाद भी पूरा सिख समुदाय न्याय का इंतजार कर रहा है। उन्होंने कहा था कि सिख समुदाय को इस वर्ष बंदी छोड़ दिवस के अवसर पर आतिशबाजी से परहेज करना चाहिए। गुरु हरगोबिंद सिंह के ग्वालियर किले से रिहा होने के बाद अमृतसर वापसी के उपलक्ष्य में बंदी छोड़ दिवस मनाया जाता है।