वाराणसी, 30 अक्टूबर 2024, बुधवार। काशी में देव दीपावली की तैयारियों के लिए जिला प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। इस अवसर पर सुरक्षा के मद्देनजर गंगा में नौका संचालन को लेकर प्रशासन ने विशेष रुपरेखा तैयार की है। गंगा में केवल मोटर बोट वाली नौकाएं ही चलेंगी, छोटी व चप्पू वाली नौकाएं नहीं चलेंगी । इसके अलावा, एनडीआरएफ, पीएसी, एसडीआरएफ और जल पुलिस के जवान 55 नावों पर तैनात रहेंगे ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। दशाश्वमेध, अस्सी, केदार और नमो घाट पर आठ वाटर एंबुलेंस भी तैनात रहेंगी। इस बार देव दीपावली पर 15 लाख से अधिक पर्यटकों के आने की संभावना है, इसलिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं।
जल पुलिस ने पर्यटकों की सुरक्षा के मद्देनजर गंगा क्षेत्र को चार सेक्टर और आठ सब सेक्टर में बांटा है, जिससे नौका संचालन को नियंत्रित किया जा सके। नौकाओं का संचालन नियमानुसार तरीके से किया जाएगा और गंगा में दो लेन में नौका संचालन किया जाएगा। जल पुलिस प्रभारी मिथिलेश यादव ने बताया कि इसके अलावा, प्रयागराज से जेटी की मांग की गई है, जिसकी मदद से गंगा में सात किलोमीटर लंबे बहाव क्षेत्र में मार्कर लगाए जाएंगे। इससे नावों की दिशा और गति को नियंत्रित किया जा सकेगा। दशाश्वमेध से अस्सी की ओर जाने वाली नावें घाट के किनारे से जाएंगी, जबकि वापसी रेती की साइड से होगी। यह व्यवस्था पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधा के लिए की गई है।
देव दीपावली की तैयारियों में जोरशोर से काम चल रहा है और पर्यटकों की बुकिंग भी अच्छी हो रही है। नाव और बजड़ों की बुकिंग लगभग 90% फुल हो चुकी है, जो इस बार के उत्साह को दर्शाता है। बड़े आकार के बजड़ों की बुकिंग एक लाख से ढाई लाख रुपए में हो रही है, जबकि छोटी नावों की बुकिंग भी अच्छे खासे रेट पर हो रही है। पर्यटन विभाग और देव दीपावली समितियां मिलकर इस त्योहार की तैयारी कर रहे हैं। सभी को इस बार के आयोजन को लेकर खासा उत्साह है। यह त्योहार वाराणसी की संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसे धूमधाम से मनाने के लिए सभी तैयार हैं।
देव दीपावली का महत्व
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो दीपावली के पंद्रह दिन बाद आती है । यह त्योहार देवताओं के पृथ्वी पर आगमन का प्रतीक है, और इसे वाराणसी में बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। गंगा नदी के किनारे घाटों पर लाखों दीपक जलाए जाते हैं, और लोग गंगा स्नान करते हैं। सनातन संस्कृति में यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जो हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है।