N/A
Total Visitor
34.6 C
Delhi
Thursday, June 19, 2025

परंपरा: मां अन्नपूर्णा का प्रसाद ग्रहण करेंगे तिरुपति बालाजी

वाराणसी, 28 अक्टूबर 2024, सोमवार। काशी में स्वर्णमयी अन्नपूर्णा की कृपा पाने के लिए भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। पांच दिवसीय उत्सव के लिए अन्नपूर्णा मंदिर पूरी तरह से सज धज कर तैयार हो गया है। माता के स्वर्णिम स्वरूप दर्शन के लिए 24 घंटे पहले से ही देश भर से आए श्रद्धालु मंदिर के बाहर कतारबद्ध हो जाएंगे। सुबह से ही दक्षिण भारत, कोलकाता, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत पूर्वांचल भर से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। 2 नवंबर को अन्नकूट की झांकी सजाने और भोग लगाने के लिए मंदिर में ही अन्नकूट प्रसाद तैयार हो रहा है। 100 से अधिक कारीगर इसमें जुटे हुए हैं। इस बार मां अन्नपूर्णा के दरबार में लड्डुओं की झांकी सजाई जाएगी। तो वहीं, मां अन्नपूर्णा का अन्नकूट का प्रसाद लेकर अन्नपूर्णा मंदिर के महंत तीन नवम्बर को तिरुपति बालाजी जायेंगे। बालाजी भगवान हर साल मां अन्नपूर्णा के अन्नकूट का प्रसाद ग्रहण करते हैं। यह परम्परा पिछले ढाई सौ वर्षों से चल रही है।
अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी महराज ने बताया कि तिरुपति बालाजी भगवान को हर साल अन्नपूर्णा मंदिर से अन्नकूट के बाद मंगला आरती में अन्नकूट का प्रसाद भेजने की परम्परा रही है। ई 1850 में जब यातायात के उतने साधन मौजूद नहीं थे। लोग पैदल ही चला करते थे। तब भी अन्नपूर्णा मंदिर से बालाजी मंदिर में अन्नकूट का प्रसाद भेजा जाता था। काशी अन्नपूर्णा मंदिर से बालाजी मंदिर पहुंचने में पहले 20 दिन का समय लगता था। 21वें दिन बालाजी भगवान को अन्नकूट का प्रसाद भेंट किया जाता था। इसी परम्परा का निर्वहन करने के लिए अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकरपुरी महराज अन्नकूट का प्रसाद लेकर तीन नवम्बर को जायेंगे।
महंत शंकरपुरी महराज ने बताया कि रविवार को मुख्यमंत्री योगी अदित्यनाथ ने भी मां अन्नपूर्णा मंदिर के अन्नकूट महोत्सव के बारे में अधिकारियों से जानकारी ली। साथ ही अधिकारियों को धनतेरस व अन्नकूट को सही ढंग से सम्पन्न कराने का भी निर्देश दिया। अन्नपूर्णा मंदिर के महंत शंकर पुरी ने बताया कि काशीपुरी में शुक्रेश्वर के पश्चित भवानी अन्नपूर्णा और भगवान शंकर विराजमान हैं। भगवान शंकर मां अन्नपूर्णा से कहते हैं कि अन्नपूर्णे सदा पूर्णे शंकरप्राणवल्लभे, ज्ञानवैराग्यसिद्धयर्थं भिक्षां देहि च पार्वति… अर्थात हे अन्नपूर्णे तुम सदा पूर्ण हो, तुम शंकर की प्राण प्रिया हो, तुम मुझे ज्ञान, वैराग्य की सिद्धि के लिए भिक्षा दो। ढुंढिराज के दक्षिण भाग में असमान भवानीतीर्थ है, वहां पर विधिपूर्वक स्नान करके भवानी की पूजा करनी चाहिए।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »