25.1 C
Delhi
Friday, November 22, 2024

बंटेगें तो कटेंगे…योगी के ‘ब्रह्मास्त्र’ पर संघ की मुहर!

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2024, रविवार। भारतीय जनता पार्टी ने 2024 चुनावों के लिए ‘बटेंगे तो कटेंगे’ नारे का उद्घाटन किया है, जिसका मुख्य उद्देश्य हिंदू समुदाय को एकजुट रखना है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का ये नारा हरियाणा चुनाव में भी पार्टी के लिए वरदान साबित हुआ था। जहां इससे पार्टी को बहुमत प्राप्त हुआ। पीएम नरेन्द्र मोदी ने महाराष्ट्र के एक कार्यक्रम में इसका समर्थन भी किया था। अब तो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी इस मुद्दे पर साथ दिख रहा है। मथुरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की वार्षिक बैठक के दौरान दत्तात्रेय होसबोले ने कहा कि इसे जीवन में उतारा जाना चाहिए। उन्होंने हिंदू एकता की आवश्यकता पर जोर दिया। आरएसएस के सरकार्यवाह होसबोले ने तो इसे जीवन मंत्र जैसा बता दिया। होसबाले ने लव जिहाद का मुद्दा भी उठाया और कहा कि लव जिहाद से समाज में समस्या हो रही है। उन्होंने कहा, लड़कियों को लव जिहाद के प्रति जागरूक करें। हमारे समाज की बहन-बेटियों को बचाना हमारा काम है। उन्होंने दावा किया कि केरल में 200 लड़कियों को लव जिहाद से बचाया गया है।
आपको बता दें कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 26 अगस्त को पहली बार इस नारे का इस्तेमाल किया था। उन्होंने उस दौरान ये नारा बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमलों के संदर्भ में दिया था। हालांकि, अब इस चुनावी माहौल में ये नारा बीजेपी का बीज मंत्र सा बन गया है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नारा ‘बंटेंगे तो कटेंगे..’ सुर्खियों में आ गया है। सीएम योगी की तस्वीर के साथ मुंबई में कई जगहों पर इस नारे की बड़ी होर्डिंग्स लगाई गईं। जिसके बाद इसे लेकर प्रदेश की सियासत गरमा गई है। माना जा रहा है कि बीजेपी इसके ज़रिए विपक्ष की राजनीतिक चालों का जवाब दे रहा है। इन चुनावों के परिणाम आने के बाद ही ये और साफ हो पाएगा कि बीजेपी को इस नारे का इन राज्यों के चुनाव में भी कितना फायदा पहुंचा है।
इन सब के बीच, मथुरा में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक हुई। संघ प्रमुख मोहन भागवत समेत देश भर के संघ के बड़े प्रचारक इसमें शामिल हुए। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ भी मथुरा जाकर संघ प्रमुख भागवत से मिले। बैठक के आख़िरी दिन संघ में नंबर दो पोजिशन की हैसियत रखने वाले दत्तात्रेय होसबाले ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम योगी के नारे ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ वाले बयान पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, इसका मतलब है कि एकता की आवश्यकता है और हमें इसे अपने आचरण में लाना है। लोग इसे समझ रहे हैं और लागू कर रहे हैं। यह हिंदू एकता और लोक कल्याण के लिए बहुत आवश्यक है। हिंदुओं को तोड़ने के लिए लोग काम कर रहे हैं। वहीं, सूत्र बताते हैं कि संघ के इस आशीर्वाद से मुख्यमंत्री योगी गदगद हैं। लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद से ही उन पर सवाल उठने लगे थे।
अब इस नारे के पीछे की राजनीति और उससे जुड़ी रणनीति को समझिए। एक जून को शाम सात बजे लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान खत्म होते ही एग्ज़िट पोल्स आए तो ऐसा लग रहा था कि उत्तर प्रदेश में लड़ाई एकतरफा है। सभी एग्जिट पोल ने भाजपा गठबंधन को उत्तर प्रदेश में 60 से अधिक सीट दे रहे थे। लेकिन 4 जून को नतीजों वाले दिन का आलम ये था कि भाजपा ने 33 सीटों पर सिमट गई। अकेले यूपी में उसे 29 सीटों का नुकसान हुआ। जिस अयोध्या में राम मंदिर को लेकर बीजेपी ने इतना प्रचार-प्रसार किया, वहां से तीन बार के सांसद रहे बीजेपी के लल्लू सिंह को भी हार का सामना करना पड़ा। यहीं कारण है कि लोकसभा चुनाव में यूपी में बीजेपी के ख़राब प्रदर्शन के बाद बंटेंगे तो कटेंगे के नारे की ज़रूरत पड़ी है। विपक्ष के सोशल इंजीनियरिंग को हिंदुत्व से काटने का फ़ार्मूला बना है। पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी ने ग़ैर यादव OBC, ग़ैर जाटव दलित और सवर्ण जाति के वोटरों को जोड़ कर नया सामाजिक समीकरण बनाया था। इसके दम पर बीजेपी लगातार चार चुनाव जीत चुकी है। 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव और साल 2017 और 2022 का यूपी चुनाव। पर पिछले लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी के सामाजिक समीकरण को ध्वस्त कर दिया। OBC के वोटों का बंटवारा हो गया। बीजेपी की कोशिश नए नारे के बहाने इस बिखराव को रोकने की है। इसीलिए हिंदुत्व की आँच तेज की जा रही है।
बात उन दिनों की है। जब अयोध्या के राम मंदिर का आंदोलन शिखर पर था। साल 1993 के यूपी चुनाव के लिए मुलायम सिंह यादव और कांशीराम ने तालमेल कर लिया था। समाजवादी पार्टी और बीएसपी में पहली बार गठबंधन हुआ था। सामने कल्याण सिंह जैसे दमदार पिछड़े वर्ग के नेता थे। अयोध्या में विवादित ढाँचा गिरने के बाद हर तरफ़ राम नाम की लहर थी। पर सरकार मुलायम सिंह की बनी। जातियों के समीकरण ने हिंदुत्व के ज्वार को रोक दिया। बंटेंगे तो कटेंगे वाला फ़ार्मूला PDA की काट बन सकता है। बंटेंगे तो कटेंगे पर बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने भी एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में विस्तार से बात की। उन्होंने कहा कि बंटेंगे तो कटेंगे कोई नारा नहीं बल्कि सदियों की सच्चाई है। उन्होंने कहा कि बात चुनावों में जीत-हार तक सीमित रहती तो कोई बात नहीं थी, लेकिन जहां भी हिंदू कमजोर पड़ा, वो इलाका देश से कट गया।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »