23 अक्टूबर 2024:
नई दिल्ली, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के वरिष्ठ सांसद कल्याण बनर्जी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय के साथ तीखी नोकझोंक के बाद वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर चर्चा कर रही संसदीय समिति से एक दिन के लिए निलंबित कर दिया गया है। यह घटना मंगलवार को हुई जब समिति की बैठक के दौरान बनर्जी ने गुस्से में आकर कांच की पानी की बोतल तोड़ दी और उसे फेंक दिया, जिससे वातावरण बेहद तनावपूर्ण हो गया। इस अप्रत्याशित घटना ने बैठक में हंगामा खड़ा कर दिया और बनर्जी के व्यवहार की व्यापक आलोचना हुई।
यह घटना उस समय हुई जब वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पर विचार करने के लिए संसद की संयुक्त समिति की बैठक चल रही थी।
बनर्जी और गंगोपाध्याय के बीच एक गंभीर बहस छिड़ गई, जिसमें दोनों नेताओं ने तीखे शब्दों का प्रयोग किया। स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि बनर्जी ने आवेश में आकर पास में रखी कांच की पानी की बोतल तोड़ दी और उसे फेंक दिया।
हालाँकि यह स्पष्ट नहीं हो सका कि बोतल किस ओर फेंकी गई थी, लेकिन इस घटना से बैठक में भारी तनाव उत्पन्न हो गया।
इस घटना के बाद, बनर्जी के दाएं हाथ की अंगूठे और तर्जनी में चोट लग गई, जिसके चलते उन्हें तुरंत प्राथमिक उपचार दिया गया। इसके बाद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता संजय सिंह की सहायता से उन्हें फिर से बैठक कक्ष में लाया गया।
हालांकि, घटना के कुछ ही समय बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बनर्जी के इस अनियंत्रित व्यवहार के लिए उनके निलंबन की मांग की। इसके बाद, समिति के 9-8 के अंतर से मतदान में यह निर्णय लिया गया कि बनर्जी को एक दिन के लिए समिति से निलंबित किया जाएगा। बनर्जी पर आरोप था कि उन्होंने समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल के लिए अनुचित शब्दों का इस्तेमाल किया और उनके गुस्से की पराकाष्ठा तब हुई जब उन्होंने कांच की बोतल तोड़कर फेंक दी।
वक्फ विधेयक पर विवाद
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को लेकर पहले से ही संसद और राजनीतिक गलियारों में तीखी बहस हो रही है। इस विधेयक का उद्देश्य मौजूदा वक्फ अधिनियम में व्यापक बदलाव करना है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्ड में प्रतिनिधित्व देने के प्रावधान शामिल हैं।
इस विधेयक को लेकर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है और इसे “संघीय व्यवस्था पर हमला” करार दिया है। विपक्ष का तर्क है कि इस विधेयक में विभिन्न राज्यों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है और इसे पेश करने से पहले सभी पक्षों के साथ व्यापक चर्चा नहीं की गई है।
13 अगस्त को इस विधेयक को लेकर विवाद बढ़ने के बाद, एक संसदीय समिति का गठन किया गया था, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के 31 सदस्य शामिल थे। इस समिति में 21 लोकसभा सदस्य और 10 राज्यसभा सदस्य हैं, जिनमें से 20 सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा और उसके सहयोगी दलों से हैं।
इसके अलावा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से भी कुछ सदस्यों को समिति में शामिल किया गया है। इस पैनल की अध्यक्षता भाजपा सांसद जगदंबिका पाल कर रहे हैं।
गंगोपाध्याय की भूमिका और प्रतिक्रिया
भाजपा सांसद अभिजीत गंगोपाध्याय, जिनके साथ कल्याण बनर्जी की तीखी नोकझोंक हुई, पश्चिम बंगाल के तामलुक से सांसद हैं। गंगोपाध्याय कलकत्ता उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश हैं, जिन्होंने इस वर्ष की शुरुआत में अपने पद से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी।
टीएमसी के मुखर आलोचक रहे गंगोपाध्याय का कहना है कि उन्होंने टीएमसी के भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने के लिए राजनीति में प्रवेश किया है। उनकी इस टिप्पणी को लेकर टीएमसी के साथ उनका विवाद पहले से ही गहरा है।