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Thursday, June 19, 2025

अयोध्या में 1936 से बिना मान्यता के चल रहा है यतीमखाना

सीडब्ल्यूसी ने डीएम को भेजा यतीमखाने के संचालक के विरुद्ध कार्यवाही का पत्र
एक साल में यतीमखाना हजम कर चुका है 37 लाख का सरकारी फंड
अयोध्या। वर्ष 1936 से फैज़ाबाद शहर में चल रहा बड़ी बुआ की दरगाह पर बना यतीमखाना बाल अधिकार संरक्षण आयोग और बाल कल्याण समिति की जांच में यतीमखाना नियम विरूद्ध चलता मिला है। अब यतीमखाना के संचालक के खिलाफ जिला प्रशासन कार्रवाई करेगा। मजलिस एकआना फंड मुस्लिम यतीमखाना का संचालन कर रही है। 11 सितंबर को बाल कल्याण समिति ने छापेमारी की कार्रवाई की थी। इस दौरान एमवाइसके स्कूल भी संचालित होता मिला था। इसके बाद संचालक ने मान्यता से संबंधित दस्तावेज आयोग को सौंपा था। बाल अधिकार संरक्षण आयोग के जांच में प्रस्तुत अभिलेख फर्जी (कूटरचित) मिले है।
वहीं अभी तक स्कूल के मान्यता से संबंधित प्रस्तुत दस्तावेज भी संदिग्ध है। यहां प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से मुस्लिम बच्चों को लाकर उन्हें इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है। सीडब्ल्यूसी के जांच के दौरान पाया गया कि यहां पढ़ने वाले बच्चों को आधुनिक शिक्षा के बजाय उन्हें अरबी और फारसी की तालीम दी जा रही थी।
आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर एक सप्ताह में यतीमखाना के संचालक के खिलाफ कार्रवाई कराकर अवगत कराने के लिए कहा है। इस प्रकरण को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी संज्ञान ले चुके है। प्राप्त जानकारी के अनुसार एक सप्ताह पहले सीएम के सचिव संजय प्रसाद ने अयोध्या डीएम और एसएसपी को निर्देश दे दिया है। सीडब्ल्यूसी ने सौंपी जानकारी के अनुसार यतीमखाना को सितंबर 2023 से सितंबर 2024 तक 37 लाख से अधिक का फंड मिला है। इसके आय व्यय का ब्यौरा यतीमखाना संचालक के पास नहीं मिला। इतनी आय के बावजूद भी सीडब्ल्यूसी की जांच में बच्चों के लिए कोई सुख सुविधा नहीं थी।
यतीमखाना में 16 बच्चे मिले थे, जिस कमरे में रह रहे थे उस कमरे की हालत भी बद से बदत्तर थी। इतना ही नही यतीमखाना संचालकों पर आसपास स्थित लोगों की भूमि पर कब्जा करने के भी आरोप है। आयोग ने इस संबंध में भी जिलाधिकारी से राजस्व टीम गठित कर जांच की मांग की है। वहीं बिना मान्यता के लंबे समय से संचालित हो रहे यतीमखाना पर कार्रवाई न होना आयोग ने गंभीर विषय माना है।
इन पर उठ रहे सवाल
सीडब्ल्यूसी की जांच में पता चला कि यह यतीमखाना 1936 से चल रहा था। अब सवाल यह है कि यतीमखाना में तालीम हासिल करने के बाद आवासित बच्चों को कहां भेजा गया? कितने बच्चे अभी तक यतीमखाना में तालीम हासिल कर चुके है? किसके पास ये बच्चे है? ऐसे ही तमाम सवाल जांच का विषय बन गए है।

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