इज़राइल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष के बीच जानते हैं इज़राइल ताक़त को , खास तौर पर सैन्य क्षमताओं, रणनीतिक दृष्टिकोण और जियो-पॉलिटिकल पोजिशन ।
- विश्व की बेहतरीन सैन्य तकनीक
इज़राइल की सैन्य तकनीक के बारे में कहा जाता है कि वो विश्व में सबसे बेहतरीन और उन्नत स्तर की है। विशेष रूप से वायु रक्षा प्रणाली, ड्रोन और सटीक-टारगेट मिसाइल्स – रॉकेट्स. इज़राइली रक्षा बल (IDF) अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग करते हैं। जिसमें आयरन डोम मिसाइल रक्षा प्रणाली भी शामिल हैजो ईरान और उसके प्रॉक्सी की तरफ़ se आने वाले खतरों को रोकने में बहुत प्रभावी है। ये तकनीकी एडवांटेज इज़राइल को हाई स्किल्ड और असरदार तरीके से संचालन करने की अनुमति देती है। - खुफिया क्षमताएं
इज़राइल अपनी खुफिया सेवाओं, विशेष रूप से मोसाद और अमन के लिए प्रसिद्ध है। ये एजेंसियां इज़राइल को लगभग सभी देशों के सैन्य मूवमेंट और क्षमताओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देती हैं, जिससे सटीक पूर्वव्यापी कार्रवाई और रणनीतिक योजना बनाना इज़राइल के लिये आसान हो जाता है।
परमाणु हथियार
हालांक इज़राइल अपने परमाणु शस्त्रागार के बारे में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं साझा करता है और ना ही उसने कभी इसका खुलासा ही किया है कि उसके पास परमाणु हथियार हैं । लेकिन जानकारी के मुताबिक़ उसके पास लगभग 80 परमाणु हथियार हैं । यह क्षमता ईरानी आक्रामकता के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार है जो परमाणु प्रतिक्रिया की संभावना में किसी भी सैन्य टकराव में ईरानी को प्रभावित कर सकती है।
- अमेरिकी सैन्य सहायता
इज़राइल को संयुक्त राज्य अमेरिका से पर्याप्त सैन्य सहायता का लाभ मिलता है, जो सालाना लगभग 3.8 बिलियन डॉलर है। यह सहायता न केवल इज़राइल के सैन्य बजट को बढ़ाती है, बल्कि उन्नत हथियारों और प्रौद्योगिकी तक पहुँच भी प्रदान करती है जो इसकी रक्षा क्षमताओं को बढ़ाती है। इज़राइल यूएस के साथ घनिष्ठ सैन्य सहयोग सुनिश्चित करता है यही वजह है कि इज़राइल सैन्य तत्परता के मामले में सबसे आगे है ।- अत्यधिक कुशल सैन्यकर्मी
- आईडीएफ अपने कठोर प्रशिक्षण कार्यक्रमों और सैन्य तैयारियों के उच्च मानकों के लिए जाना जाता है । इज़राइली सैनिक अक्सर ईरान सहित कई अन्य देशों के अपने समकक्षों की तुलना में बेहतर प्रशिक्षित होते हैं। ट्रेनिंग में वो ये सुनिश्चित करता है कि इज़राइली सेनाएं दबाव में और दबंग तरीक़े से काम करें और अगर सैनिक युद्ध के बीच हों तो वो त्वरित निर्णय ले सकें ।
लेकिन ये भी सच है कि इज़राइल की भौगौलिक सीमाएँ कभी कभी उसे कमजोर भी बनती हैं । इज़राइल का भौगोलिक आकार भी एक चुनौती है। वह मध्य पूर्व में मुस्लिम देशों से घिरा हुआ है । रक्षा रसद का पहुंचना उसके लिए एक चुनौती है । छोटा देश होने के कारण वह चारों ओर से ईरान और उसके प्रॉक्सी के मिसाइल हमलों के लिए असुरक्षित है ।ईरान की तुलना में इज़राइल के पास कम ग्राउंड फोर्स है ।ईरान के लगभग 2,000 की तुलना में उसके पास केवल 1,370 टैंक हैं। बड़े पैमाने पर ग्राउंड एंग्जेमेंट में यह संख्यात्मक अंतर कुछ हद तक मायने रखता है।
इज़राइल को हिज़्बुल्लाह , हुती और हमास जैसे आतंकी समूहों का सामना करना पड़ता है जो गुरिल्ला युद्ध में विश्वास रखते हैं । लेकिन इज़राइल को गुरिल्ला शैली की रणनीति में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है । यही वजह है कि मज़बूत होते हुए भी 2006 में इज़राइल , हिजबुल्लाह से युद्ध हार गया था । हालांकि इस बार इज़राइल ज़मीनी लड़ाई में भी हिजबुल्लाह को पछाड़े हुए है । लेकिन जब उसका सामना गैर नियोजित युद्ध रणनीति से होता तो कहीं ना कहीं ये उसके लिए चुनौती होती है।