वाराणसी, 1 अक्टूबर। धार्मिक, सांस्कृतिक व पर्यटन नगरी को ठगी का अड्डा बनाने वाले साइबर ठगों पर वाराणसी की कमिश्नरेट पुलिस कड़ी नजर रख रही है। ऑपरेशन एंटीवायरस के चलते साइबर ठग छिपने को मजबूर हो गए हैं और जो बचे हैं उन्होंने ठगी का नया तरीका ढूंढ लिया है ताकि वो पुलिस के चंगुल से दूर रहें। लेकिन फिर भी ये साइबर ठग अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं, अब इन्होंने कम्पनी में इनवेस्टर के नाम पर लोगों को ठगने का नया हथकंडा अपनाया है। हाल ही में इन साइबर ठगों ने कंपनी में इनवेस्ट के नाम पर टूरिस्ट गाइडों से ठगी की है।
साइबर ठगों ने सारनाथ की टूरिस्ट गाइड ज्योति चौबे और रोहनिया के अखरी- करहुआ निवासी पवन कुमार को मोटे मुनाफे का सपना दिखाकर 40 लाख 91 हजार 188 रुपये ऐंठ लिए। साबइर ठगों के हाथ ज्योति के 28 लाख 51 हजार 188 रुपये तो पवन के 12 लाख 40 हजार रुपये हाथ लगे हैं। दोनों ही पीड़ितों की तहरीर पर साइबर थाने की पुलिस केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
साइबर थाने में दी गई तहरीर में ज्योति चौबे ने बताया कि गत 10 जुलाई को उनके मोबाइल पर वीआइपी वाट्सएप लिंक एडवाइजरी ग्रुप का मैसेज आया था। उन्होंने लिंक को क्लिक करके पढ़ा, जिसके बाद आदित्य शर्मा ने फोन कर 20 परसेंट से 800 फीसद तक का मुनाफा देने का भरोसा देकर छोटी-छोटी रकम में कुल 28 लाख 51 हजार 188 रुपये जमा कर लिए। उसके बाद बोला गया कि आप ब्लैक राक कंपनी की रजिस्टर्ड इन्वेस्टर बन गई हैं। इसलिए कंपनी के किसी भी इक्विटी मार्केट में निवेश कर सकती है। गत 20 सितंबर को ज्योति ने अपने इंवेस्ट किए रुपये को मांगा तो आदित्य शर्मा ने मोबाइल चैट तथा फोन पर बताया गया कि अभी डाक्यूमेंट प्रासेस जारी है, समय लगेगा। इसी तरह पवन कुमार के साथ धोखाधड़ी हुई। उन्हें आनलाइन मार्केटिंग करने के लिए फेसबुक पर लिंक मिला, जिस पर एकाउंट खोला तो आसना नाम की महिला से बात हुई। शुरुआत में छोटे- छोटे ट्रेडिंग करने पर रुपये वापस हुए, लेकिन 12 लाख 40 हजार रुपये लगाए तो सबकुछ डूब गए।