हिज़बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह की मौत के बाद पश्चिम एशिया में तनाव और गहराता जा रहा है। इस घटना के बाद इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ईरान को खुली चेतावनी दी है, जबकि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने मुसलमानों से इज़रायल के खिलाफ जिहाद की अपील की है। इस बीच, जम्मू-कश्मीर में पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने नसरल्लाह की मौत पर शोक व्यक्त करते हुए अपना चुनाव प्रचार रोक दिया है, जिससे भारतीय राजनीति में भी हलचल मच गई है।
हसन नसरल्लाह की मौत: इज़रायल की प्रतिक्रिया
इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हसन नसरल्लाह की मौत को एक बड़ी सफलता करार देते हुए कहा कि “इज़रायल की ताकत का यह सबूत है कि हम अपने दुश्मनों को जहाँ भी हो, निशाना बना सकते हैं। ईरान का कोई भी हिस्सा हमारी पहुँच से बाहर नहीं है।” इज़रायल और हिज़बुल्लाह के बीच लंबे समय से तनाव बना हुआ था, और इस घटना के बाद यह और बढ़ सकता है।
ईरान की प्रतिक्रिया: जिहाद की अपील
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हसन नसरल्लाह की मौत के बाद मुसलमानों से इज़रायल के खिलाफ जिहाद की अपील की है। उन्होंने इस घटना को “जिहाद का आह्वान” बताते हुए कहा कि “मुसलमानों को एकजुट होकर इज़रायल के खिलाफ खड़ा होना चाहिए।” खामेनेई के इस बयान के बाद ईरान और इज़रायल के बीच तनाव तेज हो गया है, और ईरान ने इस्लामिक सहयोग संगठन (IOC) की आपातकालीन बैठक बुलाने का भी आह्वान किया है।
महबूबा मुफ्ती ने चुनाव प्रचार स्थगित किया
इस घटना का असर केवल पश्चिम एशिया तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि जम्मू-कश्मीर में भी इसकी गूंज सुनाई दी है। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने हसन नसरल्लाह की मौत पर शोक जताते हुए अपना चुनाव प्रचार स्थगित कर दिया है। महबूबा ने इसे “बलिदान” करार देते हुए कहा कि “यह समय राजनीति का नहीं, शांति और संवेदना का है।” उनके इस कदम ने जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक हलचल मचा दी है।
भारत के लिए बढ़ती चुनौती
इस घटना के बाद भारत के लिए स्थिति संवेदनशील हो सकती है। भारत के इज़रायल और ईरान, दोनों से अच्छे संबंध हैं। इज़रायल भारत का प्रमुख सैन्य और तकनीकी साझेदार है, जबकि ईरान भारत के लिए ऊर्जा और व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में इन दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को संतुलित करना भारत के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
निष्कर्ष
हिज़बुल्लाह नेता हसन नसरल्लाह की मौत ने केवल इज़रायल-ईरान के बीच तनाव को नहीं बढ़ाया, बल्कि भारत में भी इसकी राजनीतिक और धार्मिक प्रतिक्रियाएँ देखने को मिल रही हैं। महबूबा मुफ्ती द्वारा चुनाव प्रचार स्थगित करने से यह स्पष्ट है कि इस घटना का प्रभाव भारत में भी महसूस किया जा रहा है।