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Friday, November 22, 2024

सनातनी आस्था के साथ खिलवाड़, काशी के महंतों ने मांगा ‘मृत्यु दंड’

वाराणसी, 25 सितंबर। सनातन धर्म की आस्था के केंद्र तिरुपति बालाजी में लड्डू प्रसादम के घी में मिलावट को लेकर काशी के संत समाज व मंदिर के महंतों का गुस्सा अभी तक शांत नहीं हुआ है। उन्‍होंने कहा कि घी में मिलावट करने वालों खिलाफ कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की गई ताकि आगे सनातन धर्म के साथ इस प्रकार की घटनाएं न हो। मठ-मंदिरों के शहर बनारस के साधु-संतों व महंतों का मानना है कि मंदिरों में लड्डू आदि की जगह पारंपरिक रूप से भोग के रूप में चढ़ाए जाने वाले इलायची दाना और मिश्री एवं सूखे मेवे ही भक्तों में बांटे जाने चाहिए। आस्थावानों का कहना है कि अब तो प्रसाद पर से भी विश्वास उठ गया है। अब तो कोई भी प्रसाद ग्रहण करने को लेकर हिचक रहा है। किसी को अब तो प्रसाद पर भी विश्वास नहीं रह गया। इस संदर्भ में काशी के मठ-मंदिरों के संत-महंतों से बातचीत की गई। संत-महंत का मानना है कि यह बहुत बड़ा महापाप हुआ है। इसको लेकर पूरे देश भर को प्राश्यचित करना होगा। इस घटना में जो भी लोग शामिल हो उन्हें कठोर से कठोर सजा दी जानी चाहिये। ऐसे लोगों को कभी भी क्षम नहीं करना चाहिए। ये लोग क्षमा करने योग्य नहीं हैं।

अन्नपूर्णा मठ मंदिर के महंत शंकरपुरी महराज का कहना है कि यह हिंदू धर्म की आस्था के साथ खिलवाड़ है। यह सनातन धर्म के साथ षड़यंत्र है। इसमें चाहे वह ट्रस्टी हो या मंदिर का कर्मचारी या फिर किसी धर्म का व्यक्ति हो उसके खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए। बाला जी के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलना यह कत्तई बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। मठ-मंदिरों के संत-महात्मा इसका विरोध कर रहे हैं। इसमें जो भी व्यक्ति लिप्त है उसकी पहचान करेक उसे कठोर दण्ड मिलनी चाहिए। ताकि वह दुबारा ऐसा करने की सोच न सके। कहा कि मंठ मंदिर या धार्मिक संस्थाएं सरकारी तंत्र से पूर्ण रुप से स्वतंत्र होना चाहिए। इसमें किसी अन्य धर्म के लोगों का हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। वर्तमान सरकारों का इस पर गंभीरता से विचार करके जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए। इसके साथ ही किसी भी योग्य संत को ऐसी संस्थाओं का दातित्व सौंपना चाहिए। मां अन्नपूर्णा मठ मंदिर का भी सरकार से यहीं मांग है। अन्नपूर्णा मंदिर में जो भी प्रसाद तैयार किया जाता है उसकी गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा जाता है।

संकटमोचन मंदिर के महंत प्रो. विश्वम्भरनाथ मिश्र का कहना है कि भगवान के प्रसाद को लेकर नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह सब अचानक कैसे सामने आ गया। जब पहले से चल रहा था तो इसका पहले पता क्यों नहीं चला। सरकार को तो इसका निराकरण करना चाहिए। बड़ी शीतला माता मंदिर दशाश्वमेध घाट के महंत पं. शिव प्रसाद पांडेय का कहना है कि यह बहुत बड़ा महापाप हुआ है। इसको लेकर तो पूरे देश को प्रायश्चित करना पड़ेगा। साथ ही जिस स्थान पर यह प्रसाद बनता है उसका शुद्धिकरण होना चाहिए। वहां प्रभु को भी पंचगव्य स्नान करा कर भोग लगा कर क्षमायाचना मांगना होगा। इसमें जो भी लोग शामिल हैं यह अक्षम्य अपराध है। कहा कि मंदिरों से सरकारीकरण खत्म किया जाय। इससे करोड़ों हिंदुओं का धर्म भ्रष्ट हो गया। क्या कोई विश्वास करेगा कि देवता के साथ खिलवाड़ चल रहा है। यह प्रसाद का बहुत ही लंबा खेल है। जब यहां पर सनातन बोर्ड बनेगा तो वह समय-समय पर हर चीज की जांच करेगा।

यमुनेश्वर आश्रम के पीठाधीश्वर महंत वैभव गिरी का कहना है कि यह धर्म के साथ खिलवाड़ हो रहा है। इसके जरिये सनातन धर्म को मिटाने की कोशिश की जा रही है। यह बहुत बड़ा पाप है। एक दिन ऐसा आयेगा जब सब कुछ खत्म हो जायेगा। इसको लेकर संतों व महंतों में काफी रोष हैं। जो भी लोग इसमें शामिल हैं वह आस्था के साथ खिलवाड़ न करें। काली मठ लक्ष्मीकुंड के महंत पं. विकास दुबे काका का कहना है कि इसमें जो भी शामिल हैं उनके साथ कठोर से कठोर दंड मिलना चाहिए। इसके लिए सरकार अध्यादेश भी लायें। अब तो मंदिरों में सबसे अच्छा है कि लोग सूखा मेवा व फल चढ़ायें। इसमें कहीं से भी कोई मिलावट नहीं मिलेगा। हमारे यहां गर्भगृह में नैवेद्य का भोग लगता है। इसके लिए बहुत ही ध्यान रखा जाता है। मंगलवार को मां की विशेष पूजा होती है।

काशी विद्वत परिषद प्रसाद की नई व्यवस्था करेगाः प्रो. रामनारायन द्विवेदी

काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी का कहना है कि तिरुपति बालाजी मंदिर में जो कुछ हुआ उससे हिंदू आस्था पर गहरा ठेस पहुंचा है। इसको देखते हुए जल्द ही मंदिरों में प्रसाद की व्यवस्था में बदलाव किया जायेगा। इसको लेकर देश भर के धर्माचार्यों से संपर्क किया जा रहा है। इसको लेकर शीघ्र ही देश भर के संतों की बैठक की जायेगी। इसमें सरकार से वार्ता करके इसको देश भर के देवालयों में लागू कराया जायेगा। अब मंदिरों में पंचमेवा, फल, बताशा और रामदाना के प्रसाद चढ़ाने की व्यवस्था की जाएगी। इसमें न तो किसी तरह की मिलावट की आशंका रहेगी और न ही किसी तरह की गड़बड़ी हो सकेगी।

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