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Friday, November 22, 2024

….जब नक्सल पीड़ितों के दर्द सुनकर भावुक हो गए अमित शाह

नई दिल्ली, 20 सितंबर। छत्तीसगढ़ के बस्तर में नक्सली हिंसा के पीड़ित लोगों ने पहली बार दिल्ली में अपनी आपबीती सुनाई। नक्सली हिंसा में कोई न कोई अंग गंवा चुके इन लोगों की आपबीती और संघर्ष की कहानी सुनकर गृहमंत्री अमित शाह भावुक हो गए और सरकार की तरफ से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। शनिवार को ये पीड़ित राष्ट्रपति से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपेंगे। बता दें, छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के करीब 70 नक्सल पीड़ितों के दल ने बृहस्पतिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से उनके निवास पर मुलाकात की। नक्सल हिंसा से प्रभावित इन लोगों ने अपनी व्यथा साझा की और न्याय व पुनर्वास की मांग की। वहीं, इस मुलाकात के बाद नक्सल पीड़ितों में एक नई उम्मीद जागी है कि उनके संघर्ष और पीड़ा को अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाएगा। सरकार उनके पुनर्वास के लिए ठोस कदम उठाएगी, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में शांति और विकास का नया अध्याय शुरू होगा।

दल का नेतृत्व बस्तर शांति समिति ने किया, जो राज्य में नक्सल प्रभावित इलाकों में शांति और विकास के लिए काम कर रही है। इनमें से कई लोगों ने नक्सलियों के हाथों अपने परिवार के सदस्यों को खोया है। कुछ ने अपने अंग गंवाए हैं और कुछ पूरी तरह से अपाहिज हो गए हैं। इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य नक्सल हिंसा से प्रभावित लोगों की पीड़ा को राष्ट्रीय स्तर पर लाना था। पीड़ितों ने बताया कि नक्सली हमलों के कारण उनके जीवन में गंभीर व्यवधान आए हैं। शाह ने पीड़ितों की बातों को ध्यान से सुना और उनके संघर्ष और साहस की प्रशंसा की, आश्वासन दिया कि सरकार उनकी समस्याओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। शाह ने कहा कि सरकार नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए ठोस कदम उठाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को और तेजी से आगे बढ़ाया जाएगा, जिससे इन परिवारों का पुनर्वास हो सके और वे एक बार फिर सामान्य जीवन जी सकें।

पहली बार दिल्ली तक पहुंची नक्सली हिंसा के पीड़ितों की आवाज

गृह मंत्री से मुलाकात से पहले, छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र के नक्सल पीड़ितों ने दिल्ली के जंतर- मंतर पर “केंजा नक्सली-मनवा माटा” (सुनो नक्सली हमारी बात) आंदोलन किया। पीड़ितों का दल जंतर-मंतर पर पहुंचा था, जहां उन्होंने अपनी समस्याओं को आम जनता के सामने रखा। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास और शांति को प्राथमिकता दी जाए और पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

जंतर मंतर पर आंदोलन के दौरान, ग्रामीणों ने माओवादी हिंसा के कारण झेले गए शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कष्टों को व्यक्त किया। उन्होंने बताया कि कैसे नक्सलियों की हिंसा ने उनके जीवन को प्रभावित किया और उनके गांवों में विकास की प्रक्रिया को बाधित कर दिया। ग्रामीणों ने सरकार से नक्सलवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की और अपने क्षेत्र में स्थायी शांति और सुरक्षा की अपील की।

सीएम विष्णुदेव साय और राज्य सरकार का योगदान

नक्सल पीड़ितों ने बताया कि वे छत्तीसगढ़ सरकार और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के कार्यों से प्रभावित होकर अपनी बात दिल्ली तक लाने का साहस कर पाए हैं। राज्य सरकार ने जिस तरह से बस्तर और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों और सुरक्षा प्रयासों को प्राथमिकता दी है, उसने इन लोगों को यह हिम्मत दी कि वे अपनी आवाज दिल्ली में उठाएं। बता दें, मुख्यमंत्री साय ने नक्सल हिंसा से प्रभावित इन परिवारों के प्रति गहरी संवेदनशीलता दिखाई है। उन्होंने अपने बस्तर दौरे के दौरान नक्सल पीड़ितों से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की थी और उनकी समस्याओं को सुना था। मुख्यमंत्री ने पीड़ित परिवारों की परिस्थितियों को गहराई से समझते हुए उन्हें न्याय दिलाने के लिए ठोस कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

राष्ट्रपति से भी मिलेंगे नक्सल पीड़ित परिवार

यह दल अपनी समस्याओं और पीड़ा को राष्ट्रपति के भी सामने रखेगा। नक्सल पीड़ित परिवार 21 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात करके नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थायी शांति और विकास के लिए चर्चा की करेगा। दल के सदस्य राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपेंगे, जिसमें सुरक्षा बलों की तैनाती, विकास कार्यों की गति बढ़ाने, और नक्सल हिंसा से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास की माँग की जाएगी।

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