वाराणसी। पश्चिमी क्षेत्र व पहाड़ों पर हो रही लगातार वर्षा का असर वाराणसी सहित पूर्वांचल में दिख रहा है। इसके चलते गंगा के जलस्तर में जारी उफान और तेज हो चला है। काशी में गंगा ने एक बार फिर अपना रौद्र रुप दिखा दिया। बीती रात अचानक गंगा में आयी बाढ़ में दशाश्वमेधघाट स्थित सिद्धपीठ बड़ी शीतला मंदिर को डूबा दिया। दशाश्वमेधघाट स्थित बड़ी शीतला मंदिर के महंत पं. शिव प्रसाद पांडेय ने बताया कि शुक्रवार की रात्रि से ही मंदिर बंद कर दिया गया है। रविवार अर्धरात्रि में गंगा का पानी अचानक इतना बढ़ गया कि मंदिर का गर्भगृह समेत मंदिर भी पानी से डूब गया। इससे उसमें रखा गया पूजन का सामग्री, श्रृंगार का सामान व अन्य सामान बाढ़ में बह गये। गंगा के जलस्तर में छठीं बार उफान आरंभ हुआ है। गंगा तट के सभी घाटों व घाट किनारे मंदिरों को एक बार फिर डुबा चुका है। असि स्थित सुबह-ए-बनारस के मंच तक पानी लहरा रहा है तो हरिश्चंद्र घाट की गलियों व मणिकर्णिका घाट की छत पर शवदाह शुरू हो गया है। आरती स्थल बदल दिए गए हैं। असि घाट पर गली में तो दशाश्वमेध घाट पर गंगा सेवा निधि की छत पर आरती शुरू कर दी गई है।
काशी में गंगा के रौद्र रुप के साथ ही वरुणा में भी पलटवार शुरु हो गया है। वरुणा का पानी भी तटवर्ती इलाकों के घरों में एक बार फिर प्रवेश कर गया है। इसके चलते लोगों के समक्ष एक बार संकट फिर गहरा गया है। गंगा में बढ़ाव के चलते नावों का संचालन एक बार फिर बंद कर दिया गया है। पिछले चार दिनों से गंगा के जलस्तर में शनै शनै बढ़ाव हो रहा था। इस बीच शुक्रवार की अर्धरात्रि में गंगा के जलस्तर में तेजी से बढ़ाव होने लगा। देखते-देखते पांच मीटर गंगा का पानी अचानक बढ़ गया। केंद्रीय जल आयोग के अनुसार शुक्रवार को भी जलस्तर में 18 सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही थी। गंगा का जलस्तर रात 10 बजे 67.18 मीटर रिकॉर्ड किया गया। जलस्तर में वृद्धि के साथ ही निगरानी बढ़ा दी गई है। वाराणसी में गंगा का जलस्तर पिछले सप्ताह सोमवार से गिर रहा था। बुधवार से जलस्तर में वृद्धि शुरू हो गई। केन्द्रीय जल आयोग के मुताबिक शनिवार को वाराणसी में गंगा का जलस्तर 68.34 मीटर रिकार्ड किया गया। जो कि बढ़ाव पर है। यहां गंगा 10 सेंटीमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से बढ़ रही है। इसी तरह सभी जिलों में गंगा का पानी बढ़ाव पर है। गाजीपुर में गंगा का जलस्तर 60.05 मीटर रिकार्ड किया गया। इसी तरह बलिया में गंगा का जलस्तर 55.44 मीटर, फाफामऊ में 79.58 मीटर, मिर्जापुर में 71.19 मीटर तथा इलाहाबाद में 78.01 मीटर रिकार्ड किया गया। हर जगहों पर गंगा बढ़ाव पर हैं।
शवदाह के लिए घण्टों करना पड़ रहा इंतजार
बाढ़ के कारण शवदाह करने वालों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। हरिश्चंद्र घाट पर जहां गलियों में शवदाह हो रहा है। वहीं मणिकर्णिका घाट की छत पर शवदाह हो रहा है। मणिकर्णिका घाट पर शवदाह के लिए पांच से छह घंटे का इंतजार करना पड़ रहा है। हरिश्चंद्र घाट का शवदाह स्थल डूबने के कारण गलियों में शवदाह के लिए लाइन लग रही है। नमो घाट पर बना नमस्ते का चिह्न भी पानी में आधे से अधिक डूब चुका है। गंगा का जलस्तर रमना में दाह संस्कार स्थल के करीब पहुंच गया है।
37 फीसदी कम हुई बारिश नहीं तो और बढ़ती मुसीबत
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी बारिश से गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। गनीमत है कि वाराणसी और आसपास के क्षेत्र में बारिश अपेक्षाकृत कम है। नहीं तो और मुसीबत बढ़ती। सितंबर महीने के 14 दिन में केवल 27 मिलीमीटर बारिश हुई है जो कि इस महीने में तय कोटा 232 की तुलना में करीब 12 फीसदी है। जून से सितंबर तक चार महीने के मानसून सीजन में भी कुल 901 मिलीमीटर के कोटे के सापेक्ष अब तक केवल 568 मिलीमीटर ही बारिश हो सकी है। यह कुल 63 फीसदी है।
वरुणा किनारे की बस्तियों में सहमे लोग
गंगा के जलस्तर में इसी रफ्तार से बढ़ाव जारी रहा तो कुछ ही घंटों में बाढ़ का पानी नालों के रास्ते लंका की तरफ की बस्तियों में घुसने लगेगा। अस्सी नाले से पानी बढ़ने पर कैवल्य धाम, साकेत नगर, रोहित नगर, बटुआ पुरा के नाले के किनारे वाले इलाके प्रभावित होंगे। मारुति नगर, पटेल नगर, रत्नाकर विहार और काशी पुरम की आबादी में भी बाढ़ का पानी घुस सकता है। चिरईगांव ब्लॉक के ढाब क्षेत्र के सोते में भी अब उफान आने लगा है। रामचंदीपुर रेतापार, रामपुर, मोकलपुर चांदपुर, मुस्तफाबाद में शाम को सोते का पानी मोकलपुर गांव के विमला इंटर कॉलेज के सामने से मैदानी क्षेत्रों में प्रवेश कर गया है। मोकलपुर का नखवा गांव अब पानी से घिरने लगा है। उधर गंगा का पानी भी नाले के रास्ते रामचंदीपुर व गोबरहां के निचले हिस्से में प्रवेश कर रहा है। प्रशासन स्तर पर बाढ़ चौकियों पर कर्मचारियों को अलर्ट कर दिया गया है। वहीं, इलाके के लोग जलस्तर बढ़ने से सहमे हुए हैं।
1500 से अधिक लोगों ने छोड़ा घर, 5000 प्रभावित
गंगा के बढ़ते जलस्तर के कारण वरुणा में पलट प्रवाह तेज हो गया है। तालीमनगर, हिदायतनगर, पुलकोहना, तीन पुलिया, शक्कर तालाब और दीनदयालपुर में वरुणा का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। पांच हजार से ज्यादा की आबादी इस समय बाढ़ से प्रभावित है। अभी तक इन इलाकों में डेढ़ सौ से अधिक लोगों ने अपना घर छोड़ दिया है और ऊंचे ठिकानों पर रहने के लिए चले गए हैं। इसी तरह पुरानापुल पुलकोहना, रुप्पनपुर, नटुई, दनियालपुर, सलारपुर, चमेलिया बस्ती में भी बाढ़ का पानी दर्जनों मकानों में घुस गया है। लोग अन्य जगहों पर किराये के मकान में गुजर बसर कर रहे हैं।
सितंबर 2012 और 2020 में जलस्तर पहुंचा था 68 मीटर के पार
इसके पहले गंगा का जलस्तर 2012 में 17 सितंबर को 68.17 मीटर और 2015 एक अगस्त को 68.79 मीटर, 2020 में चार सितंबर को 68.67 मीटर और 2023 में चार अगस्त को जलस्तर 68.30 मीटर पहुंचा था। उधर, शनिवार को अधिकतम तापमान 33.4 डिग्री और न्यूनतम तापमान 24.4 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। बीएचयू के मौसम वैज्ञानिक प्रो. मनोज श्रीवास्तव ने बताया कि अगले सप्ताह से एक बार फिर मौसम के बदलने के आसार हैं।
गंगा के जलस्तर में तेजी से वृद्धि को देखते हुए प्रशासन ने जारी की एडवाइजरी
बाढ़ से पूर्व की तैयारी
ऊंचे स्थानों की पहचान करें। जरूरी कागजात (राशन कार्ड, आधार कार्ड आदि) को वाटरप्रूफ बैग में सुरक्षित रखें।
आवश्यक खाद्य सामग्री जैसे बिस्किट, गुड़, चूड़ा आदि एकत्र करें। प्राथमिक चिकित्सा किट में ओआरएस और दवाइयां रखें।
सूखा अनाज और पशुओं का चारा ऊंचे स्थान पर सुरक्षित रखें।
मोबाइल चार्जर, टार्च, माचिस, तिरपाल जैसी आवश्यक वस्तुएं तैयार रखें।
पशुओं का समय पर टीकाकरण कराएं और जर्जर भवनों में न रहें।
बाढ़ के दौरान बरतें सावधानियां
गर्भवती महिलाओं, बच्चों, वृद्धों और बीमारों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाएं।
घर छोड़ने से पहले बिजली का मुख्य स्विच बंद करें।
बाढ़ में डूबे हैंडपंप का पानी न पीएं, केवल उबला या क्लोरीनयुक्त पानी का ही सेवन करें।
बिजली के तार और पोल से दूर रहें, पानी की गहराई की जांच किए बिना उसे पार न करें।
विषैले जानवरों जैसे सांप से सतर्क रहें और सांप काटने पर तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाएं।
बाढ़ के बाद की सावधानियां
क्षतिग्रस्त घरों में प्रवेश न करें और क्षतिग्रस्त बिजली के उपकरणों का प्रयोग न करें।
क्षतिग्रस्त पुलों को पार करने का प्रयास न करें।
सुरक्षित घोषित होने पर ही बाढ़ प्रभावित हैंडपंप का पानी उपयोग करें।
मलेरिया से बचने के लिए मच्छरदानी का प्रयोग करें। मरे हुए पशुओं और मलबों को जमीन में दवाएं।
बाढ़ संबंधी किसी भी समस्या के लिए हेल्पलाइन नंबर 0542-2508550, 0542-2504170 पर संपर्क करें।