दिल्ली, छतीसगढ़ के बस्तर से बड़ी खबर आ रही है। छतीसगढ़ के बस्तर संभाग में माओवादियों के खिलाफ चल रही प्रभावी कार्यवाही के चलते, माओवादी संगठन में आंतरिक कलह और विश्वासघात की स्थिति उत्पन्न हो गई है। वर्ष 2024 से लगातार चल रहे ऑपरेशन में बड़ी तड़त में माओवादी ढेर हुए हैं जिसकी वजह से उनके अंदर भी कि स्थिति बनी हुई है । माओवादी संगठन में बौखलाहट है और वो आपसी विद्रोह से जूझ रहे हैं । इस स्थिति से निपटने के लिए माओवादी संगठन द्वारा एक रणनीति के तहत स्थानीय माओवादी कैडर को ही मानव सुरक्षा कवच के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है जिसक इस्तेमाल कर के माओवादी घटना को अंजाम देकर बाहरी राज्य के नक्सलवादी कैडर अपनी जान बचाकर भागने में सफल हो जाते हैं । हालांकि सुरक्षाबालों की मुस्तैदी और कारवाई की वजह से हाल की मुठभेड़ों में इस नक्सलियों के इस रणनीति को भी विफल किया गया है।
उल्लेखनीय है कि जब से विष्णुदेव साय मुख्यमंत्री बने हैं उन्होंने मॉवड के खिलाफ निर्णायक और कठोर कदम उठाए है और काफी हद तक नक्सल घटनाओं पर काबू पाने में सफल रहे हैं । उनके नेतृत्व में बस्तर संभाग में माओवादियों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की गई है, जिससे 153 से अधिक माओवादियों को सुरक्षा बलों ने ढेर किया है ।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, तेलंगाना, उड़ीसा, महाराष्ट्र, और अन्य प्रांतों के सीनियर माओवादी कैडर्स की खराब होती स्थिति को देखते हुए छतीसगढ़ के नक्सली संगठनों में खलबली मची हुई है और बाहरी माओवादी कैडर्स स्थानीय नक्सली संगठन पर संदेह कर रहे हैं और उन पर ही हमलावर हो रहे हैं । ऐसे में स्थानीय माओवादी संगठन उन्हें अपना सहयोग देने से इनकार कर रहे हैं जिसकी वजह से उनमें आंतरिक विश्वासघात और विद्रोह की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
गौरतलब है कि 6 सितंबर 2024 को, कांकेर जिले के मलमपेंटा जंगल से एक अजीब घटना सामने आई थी जब राजनांदगांव-कांकेर डिवीजन के माओवादी ACM विज्जा मड़काम की हत्या कर दी गई थी । बताया जाता है कि माओवादी कैडर के ही विजय रेड्डी और उसके सहयोगियों ने इस हत्या को संगठन के साथ गद्दारी करने के आरोप में अंजाम दिया गया था । हालांकि इस स्थिति को कवर अप करने के लिए इस तरह की घटनाओं पर माओवादी संगठन, अपनी आंतरिक कलह को छिपाने के लिए झूठे प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहा है, जिसमें मारे गए नक्सलियों को पुलिस मुखबिर या क्रांतिकारी विरोधी बता रहा है।
उल्लेखनीय है कि अभी हाल ही में छतीसगढ़ के बस्तर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक सुन्दरराज पी. ने बताया था कि बस्तर संभाग में माओवादी संगठन को भारी क्षति उठानी पड़ी है, और अब यह संगठन अब दिशा-विहीन और नेतृत्वहीन हो चुका है। बाहरी माओवादी कैडर स्थानीय कैडर्स का केवल एक सुरक्षा कवच के रूप में उपयोग कर रहे हैं और अब स्थानीय कैडर इस स्थिति को समझते हुए विद्रोही रुख अपना रहे हैं। इधर स्थानीय प्रशासन भी माओवादियों के बीच छिड़ी जंग काअ फायदा उठाने की कोशिश कर रही है और स्थानीय माओवादियों से हिंसा छोड़कर आत्मसमर्पण करने की अपील कर रही है।