- नेपाल, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान के साथ ही देश भर से आएंगे प्रतिनिधि
- वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 30 नवंबर और एक दिसंबर को होगा आयोजन
वाराणसी। देश के इतिहास में पहली बार 51 शक्तिपीठ और द्वादश ज्योर्तिलिंग के प्रतिनिधियों का संगम काशी में होने जा रहा है। एक मंच पर एक हजार से अधिक प्रतिनिधि इस आयोजन का हिस्सा बनेंगे। 30 नवंबर से एक दिसंबर तक रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान व बांग्लादेश समेत देश भर के द्वादश ज्योर्तिलिंग और 51 शक्तिपीठों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। सनातन धर्म को एकसूत्र में पिरोने के लिए शैव व शाक्त संप्रदाय के प्रतिनिधियों का समागम बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में होगा।
वाराणसी के रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर यहीं होगा कार्यक्रम

सनातन रिसर्च संस्था की ओर से देश में पहली बार 51 शक्तिपीठ और द्वादश ज्योर्तिलिंग का संगम कराया जा रहा है। इसके लिए नेपाल, श्रीलंका के साथ ही देश भर के द्वादश ज्योर्तिलिंग और 51 शक्तिपीठों से संपर्क किया जा रहा है। संस्था के प्रतिनिधि इसके लिए नेपाल और श्रीलंका का दौरा भी कर चुके हैं। इसके साथ ही अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं। जल्द ही संस्था के प्रतिनिधि पाकिस्तान में विराजमान हिंगलाज भवानी के दर्शन के साथ ही प्रतिनिधियों से मुलाकात के लिए पाकिस्तान भी जाएंगे।

बांग्लादेश में भी विराजमान शक्तिपीठों के प्रतिनिधियों के इसमें शामिल होने की उम्मीद है। वाराणसी में विशालाक्षी मंदिर के महंत राजनाथ तिवारी को स्थानीय स्तर पर जिम्मेदारी सौंपी गई है। मई महीने में तैयारियों के लिए पहली बैठक और दूसरी बैठक अगस्त महीने में हुई थी। 30 नवंबर से एक दिसंबर तक होने वाली बैठक में शक्तिपीठ और ज्योर्तिलिंग से न्यास व ट्रस्ट के सदस्यों के साथ ही मुख्य कार्यपालक अधिकारियों की टीम भी आएगी।
51 शक्तिपीठ
हिंगलाज शक्तिपीठ पाकिस्तान, शर्कररे (करवीर) कराची पाकिस्तान, मां सुगंधा बांग्लादेश, महामाया कश्मीर, ज्वालामुखी हिमांचल प्रदेश, जालंधर पंजाब, जयदुर्गा झारखंड, महामाया नेपाल, दाक्षायणी तिब्बत, विरजा उड़ीसा, गंडकी नेपाल, बहुला पश्चिम बंगाल, मांगल्य चंडिका पश्चिम बंगाल, त्रिपुर सुंदरी त्रिपुरा, भवानी बांग्लादेश, भ्रामरी पश्चिम बंगाल, कामाख्या असम, ललिता प्रयागराज, भूतधात्री पश्चिम बंगाल, जयंती बांग्लादेश, कालिका कोलकाता, विमला (भुवनेशी) पश्चिम बंगाल, विशालाक्षी वाराणसी, सर्वाणी कन्याश्रम, सावित्री हरियाणा, गायत्री अजमेर, महालक्ष्मी बांग्लादेश, देवगर्भा पश्चिम बंगाल, देवी काली मध्यप्रदेश, शोणाक्षी मध्यप्रदेश, शिवानी झांसी, उमा मथुरा, नारायणी तमिलनाडु, वाराही पंचसागर, अपर्णा बांग्लादेश, श्रीसुंदरी कश्मीर, कपालिनी पश्चिम बंगाल, चंद्रभागा गुजरात, अवंती मध्यप्रदेश, भ्रामरी महाराष्ट्र, सर्वशैल आंध्रप्रदेश, गोदावरीतीरे, कुमारी बंगाल, उमा भारत नेपाल सीमा, कालिका तारापीठ पश्चिम बंगाल, जयदुर्गा कर्नाटक, महिषमर्दिनी पश्चिम बंगाल, यशोरेश्वरी बांग्लादेश, फुल्लरा पश्चिम बंगाल, नंदिनी पश्चिम बंगला, इंद्राक्षी श्रीलंका।