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Sunday, June 29, 2025

शहर को जलभराव से राहत दिलाने वाले नगर निगम का भूतल 12 महीने रहता है जलमग्न

नाजीरात विभाग कार्यालय के छत से टपक रहा पानी, पंखे और बिजली के तारों में आ रहा करंट

पंखा ट्यूबलाइट बंद कर गर्मी और अंधेरे में काम करने को मजबूर हैं नगर निगम कर्मी

1959 में बने नगर निगम मुख्यालय के भूतल में हमेशा भरे होने के कारण नही कह सकते सुरक्षित

वाराणसी। नगर निगम ने शहर में कुछ जर्जर मकानो के गिरने के बाद कुल 304 जर्जर भवनों को नोटिस जारी कर चुकी है। इस क्रम में शायद नगर निगम अपने मुख्यालय और अन्य जोनल कार्यालयों को नोटिस देना भूल गया। इसमे खासकर सिगरा स्थित नगर निगम मुख्यालय है। जहां नाजीरात विभाग के कार्यालय की स्थिति यह है कि छत से लगातार पानी टपक रहा है। कमरे में लगे पंखे और ट्यूबलाइट के तारों में करंट उतर चुका है। जिसके कारण कर्मचारी कमरे में पंखा और लाइट बंद करके जान हथेली में लेकर गर्मी और अंधेरे में कार्य करने को मजबूर हैं। हांलाकि नाजिर ने बताया कि टेंडर होने वाला है। जल्दी ही मरम्मत के लिए कार्य शुरू हो जाएगा। वही दूसरी ओर नगर निगम मुख्यालय के भूतल में बारह महीने पानी भरा रहता है। इस समस्या को देखते हुवे महापौर के कार्यालय से उसके अंतिम छोर तक के भूतल को तत्कालीन नगर आयुक्त वीएस भुल्लर ने मलबे से पटवा दिया था। जिसके कारण उस तरफ के भूतल में पानी नही लगता है। लेकिन जिस तरफ नगर आयुक्त से लेकर सभी अपर नगर आयुक्त के कार्यालय वाले हिस्से हैं। उनके नीचे भूतल में अभी भी पानी भरा रहता है। जिसके कारण निश्चित तौर पर नगर निगम मुख्यालय भवन को सुरक्षित तो नही ही कहा जा सकता। अब इसे चिराग तले अंधेरा ही कहा जा सकता है। क्योंकि जिस नगर निगम के ऊपर पूरे शहर को जलजमाव से राहत दिलाने की जिम्मेदारी है। वह विभाग अपने ही भूतल में सालों से हुवे जलजमाव को नही साफ करवा पा रहा है। लिहाज से नगर निगम मुख्यालय भी लगभग 65 साल पुराना हो चुका है। हांलाकि मुख्य अभियंता ने भूतल का पानी कहा से आता है और कैसे निकलेगा इसकी जांच शुरू कर दिया है। ताकि आने वाले समय मे इसे पानी भरने से बचाया जा सके। बताते चले कि नगर निगम मुख्यालय 1959 में बनकर तैयार हुवा था। इसकी संरचना अस्पताल के अनुसार तैयार की गई थी। इसी हिसाब से इसके भूतल का निर्माण एम्बुलेंस इत्यादि रखने के लिए कराया गया था। लोगो की माने तो स्थानीय लोगो के विरोध के चलते नगर पालिका का मुख्यालय बना दिया गया। जिसके बाद पूरे भवन को नगर पालिका कार्यालय के रूप में उपयोग किया जाने लगा। भूतल उसी तरह खाली था। जिसमे बाद में पानी भरा रहता था। बरसात के दिनों में नगर निगम को पंप लगाना पड़ता है। अब यह पानी कहा से आता है और क्यो रुका रहता है। इसकी जांच के लिए मुख्य अभियंता मो मोइनुद्दीन ने टीम को काम पर लगा दिया है। ताकि समस्या का हमेशा के लिए निदान किया जा सके। हांलाकि नगर निगम का नया भवन बनाने वाले प्रस्ताव को शासन स्वीकृत कर देता है। तो नगर निगम मुख्यालय के जिस भाग के भूतल में पानी भरा रहता है नए भवन को बनाने के लिए उसे ध्वस्त कर दिया जाएगा।

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