बांग्लादेश में विगत कुछ दिनों से चल रहे हिन्दू विरोधी हिंसा के विरोध में नारी शक्ति फाउंडेशन के तत्वावधान में दिल्ली के मंडी हाउस से जंतर मंतर तक एक मौन प्रदर्शन निकाला गया ।
बांग्लादेश में हिंदू तथा अन्य अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की लक्षित हत्या, लूटपाट, आगज़नी, महिलाओं के साथ जघन्य अपराध तथा मंदिर एवं अन्य श्रद्धास्थानों पर हमले जैसी असहनीय क्रूरता के खिलाफ एवं अत्याचार समाप्त करने के लिए भारत सहित पूरे विश्व में प्रयास जारी है । पूरे विश्व के हिंदू बांग्लादेश में हिन्दू समुदाय पर हो रहे जघन्य हिंसा के ख़िलाफ़ एकजुट हैं । सबका मानना है कि सभ्य समाज में ऐसी घटनाओं का कोई स्थान नहीं है। बांग्लादेश में रह रहे अल्पसंख्यकों के नरसंहार को रोकना ही होगा।
नारी शक्ति फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस मार्च में समाज के सभी क्षेत्रों में कार्यरत सक्रिय महिलाओं ने हिस्सा लिया। इसमें बड़ी संख्या में प्रोफेसर, अध्यापिकाएं, डॉक्टर, महिला अधिवक्ता, बैंककर्मी, इंजीनियर, नर्स, गृहणी, उद्योगकर्मी, रिटायर्ड आईपीएस, आईएफएस और आईएएस महिला अधिकारी शामिल थीं। बांग्लादेश में प्रताड़ना की शिकार बने हिंदू, बौद्ध इत्यादि समुदायों के साथ एकजुटता का प्रदर्शन करने तथा उनके साथ हो रही हिंसा का विरोध करने के लिए एवं उपस्थित जन समुदाय ने अपने मुख पर काली पट्टी बांध रखी थी।
प्रदर्शन के दौरान नारी शक्ति फोरम की संयोजिका मोनिका अरोड़ा, पदमश्री से सम्मानित जानी-मानी कथक नृत्यांगना उमा शर्मा, बांग्लादेश में भारत की राजनियक रहीं सीमा सीकरी तथा जेएनयू की प्रोफेसर ज्योति राज एवं अनेक प्रबुद्ध महिलाओं ने अपने वक्तव्य में बांग्लादेश के हिंदू ख़ासकर सनातनी महिलाओं की रक्षा के लिए भारत सरकार सहित पूरे विश्व से अपील की ।
जंतर मंतर पर मार्च को संबोधित करते हुए 16 अगस्त 1946 के दिन को याद किया जब द्विराष्ट्र सिद्धांत पर भारत को तोड़ते हुए अलग देश पाकिस्तान की मांग मनवाने के लिए मुस्लिम लीग ने कलकत्ता में डायरेक्ट एक्शन डे की शुरूआत की थी। जिसमें हजारों हिंदुओं को मौत के घाट उतार दिया गया था। वर्तमान में बांग्लादेश में फिर वहीं घटना दोहरायी जा रही है । बांग्लादेश में हिंदूओं के संपत्तियों को छिना जा रहा है, लूटा जा रहा है, बच्चियों का अपहरण करके उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म जैसे दुष्कृत किए जा रहे है।
बांग्लादेश में कट्टरपंथी जमातों के जिस तरह से हिंदूओं पर हमले बढ़ रहे है उससे वहां रहने वाले लाखों हिंदू परिवार दिन-रात खौफ में जी रहे है।
नारी शक्ति फाउंडेशन का कहना था कि हर मुद्दे पर अपनी राय रखने वाले भारत के राजनेता, बॉलीवुड के अभिनेता और तथाकथित धर्म निरपेक्ष सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बांग्लादेश में हिंदूओं एवं अन्य अल्पसंख्यक के खिलाफ हो रही हिंसा पर आख़िर चुप्पी क्यों साध रखी है ? क्या उनके लिए हिन्दुओं का मानवाधिकार कोई मायने नहीं रखता है ?
नारी शक्ति फाउंडेशन के माध्यम से भारत की जनता ने बांग्लादेश में प्रताड़ना झेल रहे हिन्दुओं अन्य अल्पसंख्यकों के साथ है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार से मांग है कि वह तुरंत सख़्ती से ऐसी घटनाओं पर रोक लगाये और पीड़ितों के जान, माल, सम्मान एवं अधिकार सुनिश्चित करे। नारी शक्ति फोरम द्वारा इस मामले को लेकर महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी को एक ज्ञापन भी सौपा गया ।
जिसमें कहा गया कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र होने एवं बांग्लादेश के साथ गहरे सांस्कृतिक तथा ऐतिहासिक संबंधों के कारण भारत बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदुओं की रक्षा के लिए निर्णायक कार्रवाई करे ।