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Tuesday, July 1, 2025

वैज्ञानिकों ने अपने आप खत्म होने वाले प्लास्टिक बनाने का किया दावा, अभी कुछ साल प्रयोगशाला में ही रखने का है विचार

वैज्ञानिकों ने अपने आप खत्म होने वाले प्लास्टिक बनाने का दावा किया है। इसके लिए उन्होंने पॉलीयूरीथेन प्लास्टिक में एक बैक्टीरिया को मिलाया। यह बैक्टीरिया प्लास्टिक खा जाता है और इस तरह प्लास्टिक खुद ही खत्म हो जाता है। उन्होंने दावा किया कि यह प्रदूषण कम करने में काफी मददगार होगा।

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित शोध के मुताबिक, इस प्लास्टिक में मिलाया गया बैक्टीरिया तब तक निष्क्रिय रहता है जब तक कि प्लास्टिक इस्तेमाल में रहता है। लेकिन जब वह कूड़े-करकट में मौजूद तत्वों के संपर्क में आता है, तो सक्रिय हो जाता है और प्लास्टिक को खाने लगता है। सैन डिएगो स्थित कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक हान सोल किम ने कहा, हमें उम्मीद है कि यह खोज प्रकृति में प्लास्टिक-प्रदूषण को कम करने में मददगार साबित होगी। इसका एक लाभ यह भी हो सकता है कि बैक्टीरिया प्लास्टिक को ज्यादा मजबूत बनाए। 

अभी कुछ साल प्रयोगशाला में ही रखने का विचार
शोध में शामिल एक अन्य वैज्ञानिक जोन पोकोर्सकी ने बताया, हमारी प्रक्रिया पदार्थ को ज्यादा खुरदरा बना देती है। इससे उसका जीवनकाल बढ़ जाता है। जब यह पूरा हो जाता है तो हम इसे पर्यावरण से बाहर कर सकते हैं, फिर चाहे यह किसी भी तरह फेंका जाए। फिलहाल इसे प्रयोगशाला में रखा गया है, लेकिन कुछ ही साल में यह रोजमर्रा के इस्तेमाल के लिए तैयार हो सकता है। इस प्लास्टिक में जो बैक्टीरिया मिलाया गया है उसे बैसिलस सबटिलिस कहा जाता है। यह बैक्टीरिया खाने में एक प्रोबायोटिक के रूप में खूब इस्तेमाल होता है।

लेकिन अपने कुदरती रूप में यह बैक्टीरिया प्लास्टिक में नहीं मिलाया जा सकता। इसके लिए उसे जेनेटिक इंजीनियरिंग की मदद से तैयार करना पड़ता है ताकि वह प्लास्टिक बनाने के लिए जरूरी अत्यधिक तापमान को सहन कर सके।

अजन्मे बच्चे की नाल में मिला था माइक्रोप्लास्टिक
माइक्रोप्लास्टिक के रूप में यह पीने के पानी के जरिये भी शरीर के अंदर जा रहा है। साल 2021 में शोधकर्ताओं ने एक अजन्मे बच्चे के गर्भनाल में माइक्रोप्लास्टिक पाया था और भ्रूण के विकास पर संभावित परिणामों पर चिंता जताई थी।

प्लास्टिक से बनी दूरी, तो बचाए जा सकते हैं 4500 अरब डॉलर
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूएनईपी की रिपोर्ट के मुताबिक, अच्छी योजना के साथ काम किया जाए तो प्लास्टिक से दूरी बनाने पर दुनिया 2040 के अंत तक 4500 अरब डॉलर बचा सकती है। इसमें सिंगल यूज प्लास्टिक का उत्पादन न करने से बचने वाली लागत भी शामिल है। वैसे फिलहाल सबसे ज्यादा पैसा प्लास्टिक के कारण सेहत और पर्यावरण को रहे नुकसान पर खर्च हो रहा है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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