अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी आईएमएफ ने 2047 तक भारतीय अर्थव्यवस्था के 8 फीसदी की दर से बढ़ने के अनुमान पर सफाई देते हुए कहा, यह आंकड़ा हमारा आधिकारिक नही है। बल्कि, आईएमएफ के कार्यकारी निदेशक और भारत के प्रतिनिधि कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम की निजी राय है।
आईएमएफ की प्रवक्ता जूली कोजैक ने कहा, सुब्रमण्यन के विचार आईएमएफ में भारत के प्रतिनिधि के रूप में उनकी भूमिका के तौर पर थे। आईएमएफ के प्रवक्ता ने कहा, सुब्रमण्यम कार्यकारी बोर्ड के सदस्य हैं। यह बोर्ड कार्यकारी निदेशकों से बना है, जो देशों के प्रतिनिधि हैं। ये आईएमएफ कर्मचारी का हिस्सा नहीं हैं। इनका काम आईएमएफ से अलग है। उन्होंने कहा कि भारत की वृद्धि के लिए जनवरी तक हमारा अनुमान 6.5 फीसदी था। कुछ ही हफ्तों में फिर से पूर्वानुमान पेश किए जाएंगे।
यह है मामला
सुब्रमण्यम ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2047 तक 8 फीसदी की दर से बढ़ सकती है। अगर यह रफ्तार कायम रही तो इस अवधि तक भारत 55 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकता है। हालांकि यह तभी संभव है, जब देश पिछले 10 वर्षों में लागू की गई अच्छी नीतियों को दोगुना कर सके और सुधारों में तेजी लाए। सुब्रमण्यम ने कहा कि 8 फीसदी की वृद्धि दर महत्वाकांक्षी है क्योंकि भारत पहले लगातार इस रफ्तार से नहीं बढ़ पाया है, लेकिन इसे हासिल किया जा सकता है।
अर्थव्यवस्था की रफ्तार उम्मीद से बेहतर
भारतीय अर्थव्यवस्था 2023 के अंतिम तीन महीनों में उम्मीद से बेहतर 8.4 फीसदी की दर से बढ़ी। यह पिछले डेढ़ साल में जीडीपी वृद्धि की सबसे तेज रफ्तार है। अक्तूबर-दिसंबर में वृद्धि दर के दम पर चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर अनुमान को 7.6 फीसदी तक बढ़ा दिया गया है।
इन क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता
आईएमएफ में भारत के कार्यकारी निदेशक ने यह भी कहा कि भूमि, श्रम, पूंजी और लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में सुधार की आवश्यकता है। विनिर्माण क्षेत्र में सुधार जरूरी है। इसके साथ ही, हमें विनिर्माण क्षेत्र को कर्ज देने के लिए बैंकिंग क्षेत्र में भी सुधार पर बल देना होगा।
रोजगार सृजन पर देना होगा जोर, बढ़ेगी खपत
सुब्रमण्यम ने कहा, 1991 के बाद से ऐतिहासिक रूप से भारत की औसत आर्थिक वृद्धि दर 7 फीसदी से थोड़ी अधिक रही है। भारत को अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की जरूरत है क्योंकि देश की जीडीपी का लगभग 58 फीसदी घरेलू उपभोग से आता है। इसलिए, आप जानते हैं…हमारे पास क्षमता है। अगर हम विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित कर पर्याप्त नौकरियां पैदा कर सकें तो इससे बहुत अधिक खपत होगी।