N/A
Total Visitor
26 C
Delhi
Sunday, June 29, 2025

सापा के राष्ट्रीय महासचिव सलीम इकबाल शेरवानी ने पद से दिया इस्तीफा, कहा- अखिलेश पीडीए को महत्व नहीं दे रहे

सपा में राज्यसभा के लिए दो कायस्थ प्रत्याशी उतारने को लेकर घमासान जारी है। पांच बार के सांसद रहे और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव सलीम इकबाल शेरवानी ने पद से इस्तीफा दे दिया है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेजे त्यागपत्र में उन्होंने कहा है कि वे पीडीए को महत्व नहीं दे रहे हैं। इससे सवाल उठता है कि वह भाजपा से अलग कैसे हैं।

राज्यसभा के प्रत्याशी घोषित होने के बाद सलीम इस्तीफा देने वाले दूसरे राष्ट्रीय महासचिव हैं। इससे पहले स्वामी प्रसाद मौर्य भी पिछड़ों, दलितों व अल्पसंख्यकों (पीडीए) की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए पद से इस्तीफा दे चुके हैं। 

दिल्ली के इंडिया इस्लामिक सेंटर में रविवार को सलीम ने अपने समर्थकों के साथ बैठक की। इसमें सपा के राष्ट्रीय सचिव आबिद रजा व योगेंद्र पाल सिंह व प्रदेश सचिव साजिद अली समेत समाजवादी युवजन सभा के कई नेता शामिल थे। इसके बाद सलीम ने इस्तीफे का एलान किया।

एक भी मुस्लिम प्रत्याशी न होने पर उठाया सवाल
सलीम ने कहा कि उन्होंने पार्टी की परंपरा के अनुसार बार-बार मुस्लिम समाज के लिए एक राज्यसभा सीट देने का अनुरोध किया था। भले ही मेरे नाम पर विचार नहीं किया जाता, लेकिन पार्टी के राज्यसभा प्रत्याशियों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं है। इससे पता चलता है कि आप (अखिलेश) खुद ही पीडीए को कोई महत्व नहीं देते हैं।

नाराजगी की वजह
राज्यसभा के लिए सपा में जिन तीन नामों पर गंभीरतापूर्वक विचार किया गया, उनमें सलीम इकबाल और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष जावेद आब्दी भी थे। लेकिन, जब पत्ते खुले तो बाजी पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन के हाथ लगी। उसके बाद से ही सलीम सपा नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। सलीम चार बार सपा व एक बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़कर बदायूं से लोकसभा सदस्य चुने गए।

सपा से मुसलमानों का उठ रहा भरोसा
सलीम ने त्यागपत्र में कहा है कि अखिलेश से लगातार मुसलमानों की स्थिति पर चर्चा करते रहे हैं। यह बताने का प्रयास किया है कि मुसलमान उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। सपा के प्रति अपना विश्वास लगातार खो रहे हैं। वे एक सच्चे रहनुमा की तलाश में हैं। पार्टी को उनके समर्थन को कम करके नहीं आंकना चाहिए।

दिखावटी है धर्मनिरपेक्षता
सलीम ने कहा कि एक मजबूत विपक्षी गठबंधन बनाने का प्रयास बेमानी साबित हो रहा है। कोई भी इसके बारे में गंभीर नहीं दिखता है। ऐसा लगता है कि विपक्ष सत्ता पक्ष की गलत नीतियों से लड़ने की तुलना में एक दूसरे से लड़ने में अधिक रुचि रखता है। धर्मनिरपेक्षता दिखावटी बन गई है। मुसलमानों ने कभी भी समानता, गरिमा और सुरक्षा के साथ जीवन जीने के अपने अधिकार के अलावा कुछ नहीं मांगा, लेकिन पार्टी को यह मांग भी बहुत बड़ी लगती है।

पार्टी के पास हमारी इस मांग का कोई जवाब नहीं है। इसलिए उन्हें लगता है कि वह सपा में अपनी वर्तमान स्थिति के साथ अपने समुदाय की स्थिति में कोई बदलाव नहीं ला सकते। इसलिए अगले कुछ हफ्तों के भीतर वह अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में निर्णय लेंगे।

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »