24 जनवरी 1924 को जन्मे कर्पूरी ठाकुर की आज 100वीं जन्म जयंती है। इस अवसर पर मोदी सरकार ने उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा की है। कर्पूरी ठाकुर की जन्म जयंती पर लिखे अपने लेख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी सादगी की जमकर प्रशंसा की है और उन्हें गरीबों-पिछड़ों का असली नेता बताया है। मोदी सरकार के पिछले कई कार्यों को देखें तो समझ आता है कि भाजपा ने इस गढ़ में अपनी सियासत मजबूत करने और लालू-नीतीश कुमार की नींव कमजोर करने के लिए बेहद सधी हुईं चालें चली हैं। यदि भाजपा की रणनीति कामयाब रही तो बिहार में बाजी पलट सकती है।
भाजपा ने उत्तर प्रदेश में गैर यादव अति पिछड़ी जातियों और गैर जाटव अति दलित जातियों को अपने साथ लाने का फॉर्मूला आजमाया था। पार्टी ने यहां अखिलेश यादव और मायावती की सरकारों में हुए भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाया और इन वर्गों को यह समझाने की कोशिश की कि ये दल केवल अपने परिवारों का हित कर रहे हैं, जबकि उनसे केवल वोट ले रहे हैं। चुनाव परिणाम बताते हैं कि भाजपा की यह कोशिश बेहद सफल रही और सपा-बसपा की बुनियाद हिल गई। भाजपा इसी अति पिछड़े, महादलित वोट बैंक के सहारे यूपी में लगभग अपराजेय हो गई है, जबकि सपा-बसपा की राजनीति बहुत कमजोर हो गई है। क्या यही हाल अब बिहार में भी होगा। भाजपा नेताओं का भरोसा है कि ऐसा होने वाला है।
यूपी के बाद अब बिहार की बारी- सम्राट चौधरी
कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा का स्वागत करते हुए बिहार भाजपा अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने अमर उजाला से कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले से नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव की खोखली राजनीति की नींव हिल जाएगी। उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार ने ठीक वही काम किया है, जो यूपी में अखिलेश य़ादव और मायावती ने किया था। वे पिछड़ी-दलित जातियों से जाति का नाम लेकर प्रदेश को लूटते रहे और अपना घर भरते रहे। उत्तर प्रदेश की जनता ने यह सच पहचाना और उनका साथ छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि अब बिहार की बारी है। अब बिहार से लालू-नीतीश कुमार की राजनीति खत्म होने का समय आ गया है। जनता जान गई है कि किस तरह उन्होंने प्रदेश को लूटा और अपना घर भरते रहे।
इन कदमों से भाजपा को फायदा- कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न
चूंकि, कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़ी जाति से आने वाले सबसे बड़े नेता थे। उन्होंने सबसे पहले पिछड़ों, अति पिछड़ों को आरक्षण देने का काम किया था। वे पिछड़ी जातियों के गौरव की तरह से देखे जाते हैं। कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने से लालू-नीतीश के जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण का दांव कमजोर पड़ेगा, जबकि भाजपा इस मोर्चे पर मजबूत होगी। इससे उसे लालू-नीतीश के सबसे मजबूत वोट बैंक में सेंध लगाने में मदद मिल सकती है।
कमजोर जातियों को योजना में सस्ता कर्ज
केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के अंतर्गत तीन लाख रुपये तक का सस्ता कर्ज, जिन 18 जातियों के लिए देने की घोषणा की है, उसका सबसे बड़ा लाभार्थी वर्ग बिहार से ही आता है। बिहार की 36 अति पिछड़ी जातियों में इस योजना के सबसे ज्यादा लाभार्थी सामने आ सकते हैं। इसमें कर्पूरी ठाकुर की जाति यानी नाई समाज भी शामिल है। इन जातियों को सस्ता कर्ज देकर उनका सशक्तीकरण करने की योजना भी उन्हें लालू-नीतीश कुमार से खींचकर भाजपा के पाले में ला सकते हैं।
बागेश्वर सरकार की सभाएं
बाबा बागेश्वर सरकार धीरेंद्र शास्त्री पिछले छह महीने में बिहार में कई बार दरबार लगा चुके हें। अपने दरबार में वे जाति-पाति को तोड़ने, लोगों से अपनी पहचान किसी जाति से नहीं, बल्कि हिंदू के रूप में बताने और देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की अपील करते दिखाई पड़ते रहे हैं। उनकी इस अपील का जितना भी असर होगा, वह भाजपा के पक्ष में ही जाएगा। इससे जातिगत राजनीति करने वाले लालू-नीतीश कुमार को नुकसान होगा। चुनाव से पूर्व बाबा बागेश्वर सरकार के कई और बड़े दरबार बिहार के अलग-अलग स्थानों पर लगाए जा सकते हैं, जो भाजपा की सोच को विस्तार देने का काम करेंगे।