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Tuesday, July 8, 2025

विशेषज्ञों ने जताई उम्मीद, कोरोना में अगर म्यूटेशन होता भी है तो गंभीर रोग विकसित होने का खतरा कम होगा

कोरोना और इसके नए वैरिएंट्स पिछले चार साल से अधिक समय से वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाते हुए देखे जा रहे हैं। साल 2019 के अंत से शुरू हुई कोरोना महामारी अभी भी थमने का नाम नहीं ले रही है। इन दिनों ओमिक्रॉन के नए वैरिएंट JN.1 के कारण कई देशों में संक्रमण के मामले बढ़ते हुए देखे गए हैं।

भारत में भी इस वैरिएंट के कारण दैनिक संक्रमण के साथ कोरोना के एक्टिव केस बढ़े, हालांकि अब इसमें सुधार देखा जा रहा है। सिंगापुर- अमेरिका सहित कई देशों में अब भी स्थिति काफी चुनौतीपूर्ण बनी हुई है।

कोरोना के नए वैरिएंट्स की प्रकृति को लेकर हुए शोध में वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि JN.1 अति संक्रामक वैरिएंट जरूर है पर इसके कारण गंभीर रोगों के विकसित होने का खतरा कम देखा जा रहा है।

ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि क्या अब भी संक्रमितों में स्वाद-गंध न आने जैसी समस्या हो रही है?

कोरोना और इसके लक्षण

गौरतलब है कि कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमण की स्थिति वाले अधिकतर लोगों ने स्वाद-गंध न आने जैसी समस्या की शिकायत की थी। इसके अलावा डेल्टा को कोरोना के अब तक के सबसे खतरनाक वैरिएंट्स में से एक माना जाता रहा है। तो क्या JN.1 वैरिएंट के कारण भी लोगों को इस तरह की दिक्कत हो रही है?

इस संबंध में प्रकाशित एक मेडिकल रिपोर्ट में कोविड एक्सपर्ट डेविड स्ट्रेन कहते हैं, महामारी की शुरुआत में, रिपोर्ट किए गए लक्षण मुख्य रूप से गंध और स्वाद की हानि वाले थे।

चूंकि कोविड-19 एक श्वसन संबंधी बीमारी है, इसलिए इसके कारण आम तौर पर सांस लेने में तकलीफ और खांसी भी होती रही है।

वैक्सीनेशन के कारण कम हुए गंभीर लक्षण

ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रोफेसर बेट्टी रमन बताती हैं, पहले के वैरिएंट्स से संक्रमित लोगों में गंभीर कार्डियोरेस्पिरेटरी लक्षण और कुछ लोगों में ब्रेन फॉग जैसी समस्या भी देखी गई थी। इस दौरान अस्पताल में भर्ती लोगों की संख्या भी काफी अधिक थी।

हालांकि कोरोना में म्यूटेशन के साथ वैक्सीनेशन की बढ़ी दर ने लोगों को गंभीर रोगों से सुरक्षा प्रदान की है। वैक्सीनेशन करा चुके लोगों में संक्रमण की स्थिति में पहले की तरह सांस की गंभीर समस्या या फिर स्वाद-गंध न आने जैसी दिक्कतें कम महसूस हो रही हैं।

ओमिक्रॉन संक्रमितों में गंध या स्वाद न आने की समस्या

हाल के शोध से पता चला है कि केवल 6-7% ओमिक्रॉन और इसके वैरिएंट्स से संक्रमित लोगों में गंध या स्वाद की क्षमता कम होने जैसे लक्षण देखे गए हैं। डेविड स्ट्रेन बताते हैं कि अब मरीजों में दस्त या सिरदर्द होने की समस्या अधिक देखी जा रही है। जेएन.1 जैसे नए और उभरते वैरिएंट से संक्रमित लोगों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण अधिक रिपोर्ट किए गए हैं। अधिकांश रोगियों को संक्रमण होने पर अब भी ऊपरी श्वसन संबंधी लक्षणों का सामना करना पड़ता है पर इसके गंभीर रूप लेने का खतरा कम होता है।

ज्यादातर संक्रमितों को गले में खराश, नाक बहने और सूखी खांसी जैसी दिक्कतें हो रही हैं। अन्य सामान्य लक्षणों में बुखार, शरीर में दर्द, सिरदर्द, सांस लेने में तकलीफ, थकान, मतली और दस्त शामिल हैं।

लोगों में कम हो सकती है अतिरिक्त प्रतिरक्षा

विशेषज्ञ कहते हैं, यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि ज्यादातर लोगों को उनकी बूस्टर खुराक लगभग दो साल पहले मिली थी, जिसका अर्थ है कि आबादी के बड़े हिस्से में अतिरिक्त प्रतिरक्षा अब कम होने लगी है। अगर फिर कोई गंभीर रोगकारक वैरिएंट सामने आता है तो उसके कारण रोग बढ़ने का खतरा हो सकता है। फिलहाल कोविड-19 के लक्षण फ्लू जैसे हो गए हैं, ऐसे में दोनों  को अलग करने में कठिनाई भी हो रही है।

विशेषज्ञों ने उम्मीद जताई है कि कोरोना में अगर म्यूटेशन होता भी है तो इसके कारण गंभीर रोग विकसित होने का खतरा कम रहेगा। वायरस की प्रकृति में बहुत अधिक बदलाव की आशंका भी कम है।

अस्वीकरण:  हेल्थ एवं फिटनेस कैटेगरी में प्रकाशित सभी लेख डॉक्टर, विशेषज्ञों व अकादमिक संस्थानों से बातचीत के आधार पर तैयार किए जाते हैं। लेख में उल्लेखित तथ्यों व सूचनाओं के पेशेवर पत्रकारों द्वारा जांचा व परखा गया है। इस लेख को तैयार करते समय सभी तरह के निर्देशों का पालन किया गया है। संबंधित लेख पाठक की जानकारी व जागरूकता बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। लेख में प्रदत्त जानकारी व सूचना को लेकर किसी तरह का दावा नहीं करता है और न ही जिम्मेदारी लेता है। उपरोक्त लेख में उल्लेखित संबंधित बीमारी के बारे में अधिक जानकारी के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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