केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि दोषपूर्ण सड़क इंजीनियरिंग अक्सर भारत में हर साल होने वाली पांच लाख दुर्घटनाओं का कारण होती है। उन्होंने इंजीनियरों से जीवन बचाने के लिए ब्लैक स्पॉट को हटाने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।
भारतीय सड़क कांग्रेस के 82वें वार्षिक सत्र को संबोधित करते हुए गडकरी ने रविवार को वैकल्पिक सामग्री और नवीनतम तकनीक का उपयोग करके गुणवत्ता से समझौता किए बिना निर्माण लागत कम करने और परियोजनाओं को समय पर पूरा करने का आह्वान किया। भारत में सालाना पांच लाख दुर्घटनाएं और 1.5 लाख मौतें होती हैं और 3 लाख लोग घायल होते हैं।
इससे देश की जीडीपी को 3 फीसदी का नुकसान हुआ। बलि के मेमने की तरह, हर दुर्घटना के लिए ड्राइवर को दोषी ठहराया जाता है, लेकिन मेरे अनुभव के मुताबिक अक्सर, सड़क इंजीनियरिंग में गलती होती है। उन्होंने कहा कि सड़कों का निर्माण करते समय यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दुर्घटनाओं को रोकने के लिए उनकी ठीक से इंजीनियरिंग की जाए।
मेरी भी सड़क हादसे में चार हड्डियां टूटी थीं
गडकरी ने कहा, मैं भी एक दुर्घटना का शिकार हो गया था और मेरी चार हड्डियां टूट गई थीं। दुर्घटना में होने वाली मौतों में 60 प्रतिशत मौतें 18 से 34 वर्ष की आयु के लोगों की होती हैं।
सुरंग में मजदूरों को बचाने वालों को कोई नहीं भूल सकता
उत्तरकाशी सुरंग घटना पर गडकरी ने कहा कि कोई उन लोगों को नहीं भूल सकता जो सुरंग के अंदर गए और अंदर फंसे लोगों की जान बचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाली। जब लोग सुरंग में फंस गए थे, तो मुझे रोजाना ब्रीफिंग मिलती थी और मैं बहुत चिंतित था। हम कुछ नहीं कर पा रहे थे। सारे उपाय, विकल्प और सामग्रियां उनकी जान बचाने में लग गयीं।
गुणवत्ता डिजाइन से समझौता किए बगैर डीपीआर की पूर्णता जरूरी
गडकरी ने डिजाइन और गुणवत्ता से समझौता किए बिना विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) में पूर्णता की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा, हमें गुणवत्ता से समझौता किए बिना निर्माण की लागत कम करने की जरूरत है और यह संभव है। हमें मानसिकता बदलनी होगी, सकारात्मक सोचना होगा और निर्णय लेने की प्रक्रिया को तेज करना होगा।