भारत के ग़ीर नंदी बैल जाएँगे पशुपतिनाथ मंदिर बदले में भारत आयेंगे सवा लाख शालिग्राम ।
20 नवंबर को गोपाष्टमी के उपलक्ष्य में भारतीय नस्ल की गायों को लेकर एक सुखद खबर है । भारतीय नस्ल की गीर गायों की डिमांड अब कई देशों में बढ़ रही है । पड़ोसी देश नेपाल भी अपने देश में जर्सी के बजाए भारतीय मूल की गयाओं को बढ़ावा दे रहा है । नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर ट्रस्ट ने दिल्ली के कृष्ण-सुदामा गोरक्ष धाम गौशाला से गीर नस्ल के नंदी बैल की मांग की है ताकि वहाँ की स्थानीय गायों के साथ मेटिंग हो सके और भारत के गीर नस्ल की गायों का नेपाल में भी स्वतः विस्तार हो सके । पशुपतिनाथ मंदिर ट्रस्ट बदले में गोदावरी नदी के सवा लाख शालिग्राम स्वरूप विष्णु भगवान के पत्थर कृष्ण-सुदामा गौशाला को भेंट स्वरूप देगा।
कृष्ण-सुदामा गोरक्ष धाम की अगर बात करें तो ये गौशाला 135 साल पुराना है जो नोएडा के सेक्टर 144 में कई एकड़ जमीन पर फैला हुआ है । इस गौशाला की शुरुआत संत हरिदास ने 10 गायों की सेवा के साथ शुरू की थी। आज इस गौशाला में भारतीय नस्ल में विलक्षण प्रजाति की करीब 3000 गायें हैं । संत हरिदस की शुरू की हुई एक छोटी गौशाला दिल्ली में भी हैं जिसे राधा-कृष्ण मंदिर गौशाला के नाम से जाना जाता है । यहाँ करीब 80-90 गायें हैं । नेपाल जाने जाने वाले गीर नस्ल की नंदी को भी फिलहाल इसी गौशाला में रखा गया है । 20 तारीख को गोपाष्टमी के अवसर पर सभी गायों के साथ नेपाल जाने वाले नंदी की भी विशेष पूजा होगी । इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्ति अतिथि के तौर पर उपस्थित रहेंगे जिनमें केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सांसद महेश शर्मा का भी नाम है । गोपाष्टमी के बाद भारतीय नस्ल की गायों के विस्तार के लिए राधा-कृष्ण गौशाला से नंदी बैल विधिवत पूजन की बाद नेपाल के लिए रवाना हो जाएंगे ।
कृष्ण-सुदामा गोरक्ष धाम और राधा-कृष्ण मंदिर गौशाला के महंत संरक्षक राम मंगल जी महाराज ने स्वदेश से बात करते हुए बताया कि 135 साल पहले गौ सेवा के लिए शुरू हुई यात्रा निरंतर जारी है । इस गौशाला में महाभारत काल की विलक्षण गाय दृष्टा भी मौजूद है जिसकी 6 महीने आंखे खुली रहती हैं और 6 महीने बंद रहती हैं । दृष्टा वो गए है जो महाभारत के युद्धह के समय भगवान शिव के नयन बन कर कृष्ण के सारथी स्वरूप का दर्शन किये थे । इसके अलावा 56-56 लाख की काली कपिला और स्वर्ण कपिला भी इस गौशाला में है । गौशाला में मृगनयनी जैसी अद्भुत गाय भी है जिसकी सेवा देने देश भर के संत यहाँ आते हैं । कपिला और मृगनयनी के बारे में विस्तार से बताते हुए महंत राम मंगल जी महाराज ने बताया कि कपिला गए सीता की स्वरूप मानी जाती हैं । मृगनयनी विलक्षण गाय होती है जिसकी त्वचा मृग के समान है और जिसके माथे पर त्रिपुण्ड बना हुआ है । जिसकी सेवा से यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है । महंत राम मंगल जी महाराज ने बताया कि यहाँ के गोबर और मूत्र डाबर ,बैदनाथ सहित कई दावा कंपनियां ले जाती है । महंत राम मंगल दास ने बताया कि हम सरकार से कोई सहायता नहीं लेते हैं उल्टा हम सरकार की मदद करते है जैसे यहाँ की A1 , A2 दूध और गौमूत्र दावा के लिए सरकार के माध्यम से विदेशों मे जाते हैं । शोध बताते हैं की गौ सेवा से कई तरह की बीमारियाँ ठीक होती हैं । गाय पर हाथ फेरने से ब्लड प्रेसर जैसी बीमारी ठीक होती है , सेवा करने से डिप्रेशन नहीं होता है और है तो ठीक हो जाता है । उन्होंने कहा कि नागपुर, मथुरा ,कांचीपुरम में कई भारतीय मूल की गायों की क्या-क्या विशेषता है इस पर शोध करने के लिए कई अनुसंधान केंद्र बने हुए हैं । इस बार गोपाष्टमी पर गोरक्ष धाम और राधा-कृष्ण गौशाला में गौ पूजन के भव्य कार्यक्रम होने वाले हैं जिसमें कई केन्द्रीय मंत्री भी गौ माता की पूजन के लिए आएंगे ।