बॉम्बे हाई कोर्ट ने हाल ही में केंद्र सरकार की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति पर तंज कसा और कहा कि क्या उन्हें अदालतों में लंबित मामलों की भी जानकारी है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार ही सबसे बड़ी वादी है और वह सबसे ज्यादा सुनवाई टालने की मांग करती है। जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस कमल खाटा की खंडपीठ ने रामकली गुप्ता की संपत्ति से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान पांच अक्तूबर को यह बात कही। जिस याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की, वह 2016 में दायर की गई थी।
क्या कहा कोर्ट ने
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने तंज कसते हुए कहा कि हमें पता है कि केंद्र सरकार अक्सर अदालतों में लंबित मामलों को लेकर टिप्पणी करती है लेकिन अदालत यह जानकर हैरान है कि रामकली गुप्ता की याचिका बीते सात सालों से लंबित है और इस साल जून से याचिका इस वजह से लंबित चल रही है क्योंकि एडिश्नल सॉलिसिटर जनरल कोर्ट में पेश ही नहीं हो पा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि केंद्र सरकार अदालतों में लंबित मामलों, लगातार सुनवाई स्थगित को लेकर टिप्पणी करती रहती है। सरकार इसे क्या कहती है ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’।
सबसे बड़ी वादी सरकार
पीठ ने कहा कि अपनी सुविधा के अनुसार, अदालतों में लंबित मामलों पर सरकार टिप्पणी करती है लेकिन तथ्य ये है कि सबसे बड़ी वादी सरकार ही है और अधिकतर वह मामलों को स्थगित कराती है। कोर्ट ने ये भी कहा कि अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल हर मामले की सुनवाई में नहीं आ सकते लेकिन उनके कार्यालय से संबंधित कोई वकील उनके कार्यालय की कर्तव्यों को निर्वहन कर सकता है। कोर्ट ने याचिकाओं के बार-बार स्थगन पर कड़ी नाराजगी जाहिर की।