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Tuesday, July 1, 2025

मंत्रिमंडलीय उप समिति ने श्वेत पत्र में किया सिफारिश, संसाधन जुटाने और फिजूलखर्ची को रोकने के लिए

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कुछ महीने पहले पिछली जयराम सरकार पर वित्तीय कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए इस संबंध में श्वेत पत्र लाने की बात की थी और इसके लिए एक मंत्रिमंडलीय उपसमिति बनाई, जिसे उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में बनाया गया। इसके दो अन्य सदस्य ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री अनिरुद्ध सिंह और कृषि मंत्री चंद्र कुमार बनाए गए। इस श्वेत पत्र को तैयार करते हुए मंत्रिमंडलीय उप समिति की कई बैठकें हुईं। इसके बाद 44 पन्नों की यह रिपोर्ट तैयार की गई। इस रिपोर्ट को उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने गुरुवार को प्रश्नकाल के बाद संसाधन के पटल पर रखा। रिपोर्ट के कुछ महत्वपूर्ण अंश इस तरह से हैं

मंत्रिमंडलीय उप समिति ने श्वेत पत्र में यह सिफारिश की कि राज्य सरकार ने संसाधन जुटाने और फिजूलखर्ची को रोकने के लिए जरूरी कदम उठाए। फिजूलखर्ची पिछली सरकार की विरासत है।  इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि प्रदेश में मौजूदा प्राकृतिक आपदा से झटका लगने के बावजूद राज्य में 12000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है। कमेटी को उम्मीद है कि राज्य की जनता की मदद और संसाधन जुड़ने के लिए वर्तमान सरकार के प्रयासों से अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। उप समिति ने चिंता जताई कि वित्तीय स्थिति का राज्य की विकासात्मक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा और राज्य की जनता को इसका बहुत नुकसान होगा। संसाधन जुटाए बगैर और पिछली सरकार की दोषपूर्ण नीतियों व निर्णयों के चलते अतिरिक्त प्रयास किए बिना के वित्त और विकास को पटरी पर लाना असंभव है। 

केंद्र ने 9,000 करोड़ रुपये नहीं किए जारी
सरकार ने एनएसडीएल के पास राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत 9000 करोड़ से अधिक जमा की गई राशि को जारी करने के लिए पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) के समक्ष मामला उठाया है। राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों को एक विकल्प देकर एनपीएस से ओपीएस में शिफ्ट कर दिया, परंतु केंद्र सरकार पीएफआरडीए से कर्मचारियों की संचित राशि जारी करने में विफल रही।

कर्मचारियों को एक विकल्प देकर एनपीएस से ओपीएस में शिफ्ट कर दिया, परंतु केंद्र सरकार पीएफआरडीए से कर्मचारियों की संचित राशि जारी करने में विफल रही।

राजनीतिक लाभ के लिए की 70 एनएच की घोषणा

भारत सरकार की ओर से प्रदेश के लिए 70 राष्ट्रीय राजमार्गों की घोषणा की गई थी। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 58 सड़कों की डीपीआर तैयार करने के लिए केवल 136.22 करोड़ मंजूर किए। 70 राष्ट्रीय राजमार्गों में से केवल 2 सड़कों का निर्माण एचपीआरआईडीसी द्वारा एनएच मानक के अनुरूप किया गया है, इन सड़कों को राजमार्ग घोषित करने का मामला अभी भी लंबित है। केंद्र सरकार ने महज राजनीतिक लाभ के लिए 70 एनएच की घोषणा की।

सरकारी कार्यक्रमों में फिजूलखर्च
आजादी का अमृत महोत्सव 
– 6,93,00,238 
हिमाचल स्थापना के 75 वर्ष 
– 28,42,63,033 
जनमंच – 534.38 लाख
इसके अतिरिक्त मुफ्त बिजली स्थगन और दोषपूर्ण आबकारी नीति से भी प्रदेश को चपत लगी।

हर पैदा होने वाले बच्चे पर 1,02,818 रुपये कर्ज

हिमाचल में प्रति व्यक्ति ऋण 2017-18 में 66232 रुपये था, 2018-19 में 69743, 2019-20 में 76575, 2020-21 में 82700, साल 2021-22 में 85931 और मौजूदा 2022-23 में 1,02,818 रुपये पहुंच गया है। (आंकड़े करोड़ों में)

केंद्र सरकार ने उधार लेने की सीमा में की कमी
15वें वित्त आयोग की सिफारिशों को मानते हुए केंद्र ने उधार लेने की सीमा 2022-23 की सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3.50 फीसदी से घटाकर 2023-24 में जीएसडीपी का 3 फीसदी कर दी है। इस बदलाव के बाद उधार लेने की सीमा 1057 करोड़ रुपये कम हो गई है। केंद्र सरकार द्वारा उधार सीमा में कटौती से राज्य में विकासात्मक गतिविधियों पर असर पड़ेगा।

इन्वेस्टर्स मीट में फिजूलखर्च

पिछली सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर मीट पर फिजूल खर्च किया। सरकार ने न सिर्फ भारत में बल्कि विदेशों में भी इन्वेस्टर्स मीट आयोजित की। पूर्व का सरकार दावा था कि 96000 करोड़ का निवेश आएगा लेकिन राज्य में निवेश केवल 7191 करोड़ रुपये ही आया।

अनुशंसित राशि नहीं की जारी
15वें वित्त आयोग ने 1420 करोड़ जिसमें मंडी में ग्रीन फील्ड हवाई अड्डे के लिए 1000 करोड़, कांगड़ा हवाई अड्डे के लिए 400 करोड़, ज्वालामुखी में जलापूर्ति, सीवरेज, नालों के चैनलाइजेशन के लिए 20 करोड़ की सिफारिश की लेकिन केंद्र ने राशि जारी नहीं की।

16,261 करोड़ उधार

पिछली सरकार की कर्मचारियों और पेंशन भोगियों की 10600 करोड़ से अधिक की देनदारियां लंबित थीं। पिछली सरकार ने 1 जनवरी 2016 को वेतनमान में संंशोधन तो किया लेकिन बकाया का भुगतान नहीं किया।  पूर्व सरकार ने साल 2018-19 में 6044, 2019-20 में 8591, 2020-21 में 8273, साल 2021-22 में 6080 और मौजूदा 2022-23 में 16261 करोड़ पहुंच गया है। साल 2021-22 की तुलना में 2022-23 में 267.45 फीसदी अधिक कर्ज उठाया गया। 

1707.12 करोड़ के घाटे में एचआरटीसी
हिमाचल पथ परिवहन निगम एचआरटीसी का संचयी घाटा 31 मार्च 2017 को 1113.91 करोड़ से बढ़कर 31 मार्च 2022 तक 1707.12 करोड़ पहुंच गया।

घाटे में चल रहे प्रदेश के प्रमुख सार्वजनिक उपक्रम 

  उपक्रम का नाम                 31.3.2017    31.3.2022
राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटेड    2034.85         1809.61
सड़क परिवहन निगम            1113.91          1707.12
पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड         107.33           688.32
पावर ट्रांसमिशन कॉरपोरेशन लिमिटेड 13.91       395.91
हिमाचल प्रदेश वित्तीय निगम        161.06           180.97
पर्यटन विकास निगम लिमिटेड       23.01          122.39
राज्य वन विकास निगम                 97.45        106.24

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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