बागेश्वर धाम वाले बाबा पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कई बार कहा- “सरकार ने यह कर दिया, सरकार ने वह कर दिया।” वह बागेश्वर धाम सरकार के बारे में बोल रहे थे, लेकिन कुछ लोग इसे बिहार सरकार के बारे में प्रचारित करने लगे। नासमझी में लोग यह तक कहने लगे कि बाबा भाजपा का समर्थन करने आए और गाने लगे महागठबंधन सरकार के गीत। लेकिन, राजनीति के समझदार लोगों के लिए भी बाबा ने कई बातें कह दीं, जिसपर महासंग्राम छिड़ चुका है। सितंबर में गया आने के आश्वासन के साथ बुधवार को पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री बिहार से लौट जाएंगे, लेकिन उनकी दी दो विवादित सौगातों से बिहार ही नहीं, देश की राजनीति बदल सकती है- 1. हिंदू राष्ट्र और 2. सनातन सरकार।
राजनीति में बदलाव की शुरुआत ही तो है
इन दो बातों ने राजनीति में बदलाव की शुरुआत कर दी है। बिहार का विपक्ष-पक्ष इसपर भिड़ गया है, देश का पक्ष-विपक्ष इसे कैसे लेता है… यह सितंबर में बाबा के अगले दौरे तक पक कर पक्का हो जाएगा। तब तक, 2024 के चुनाव की सरगर्मी परवान भी चढ़ चुकी होगी। दरअसल, यह माना जाता है कि बिहार की रग-रग में राजनीति बसी हुई है और देश की राजनीतिक दशा-दिशा यहीं से तय होती है। इस हिसाब से देखें तो बागेश्वर वाले बाबा ने बिहार की राजनीति को दो कड़ी खुराक ही दी है। उन्होंने कहा कि अगर बिहार के 13 करोड़ में से पांच करोड़ सनातनी तिलक लगाकर वोट देने निकल पड़ें तो भारत हिंदू राष्ट्र बन जाएगा। मसलन, इस एक लाइन से उन्होंने सनातन हिंदू को भी जगाने की खुराक दे दी और हिंदू राष्ट्र बनाने की संभावना के लिए वोटर को भी जगाने का प्रयास कर दिया।
चुनाव की तैयारियों में वोट के नाम की खुराक
यह दोनों ही खुराक भाजपा के लिए है और सनातनी वोटरों के निकलने का फायदा सीधे-सीधे भाजपा को पहुंचेगा, ऐसा मानने में किसी को गुरेज नहीं। इस मौके को भाजपाई छोड़ें भी तो क्यों? वैसे भी, इस लाइन पर बोलने वाले केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय के सांसद गिरिराज सिंह पटना एयरपोर्ट से पंडित धीरेंद्र शास्त्री के साथ हैं। आयोजन की तैयारियों में दिन रात लगे रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री व पाटलिपुत्र के सांसद रामकृपाल यादव किनारे हो गए, लेकिन गिरिराज सिंह तो होटल में भी हैं और फिज़ा में भी। उन्होंने माहौल बना रखा है कि महागठबंधन सरकार के दोनों दल- जदयू और राजद को सिर्फ मुस्लिम समुदाय को खुश करना है, सनातनी जाएं भाड़ में। इस लाइन पर रहने वाले भाजपा विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल भी बिहार सरकार पर तुष्टिकरण का आरोप लगाकर उसे हिंदू-विरोधी बताने से पीछे नहीं हटे हैं।
महागठबंधन की आग में भाजपा ने सेंकी रोटियां
भाजपा इस मौके को भुनाना चाहती थी और बिहार में विधायकों के हिसाब से सबसे बड़ी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल ने उसे खुद आगे बढ़कर यह मौका दे दिया। शास्त्री के कार्यक्रम की तैयारियों को रामकृपाल यादव छोड़कर कोई भाजपाई सक्रिय रूप से दिन-रात नहीं देख रहा था, लेकिन जब लालू प्रसाद के बड़े लाल तेज प्रताप यादव ने अपने संगठन DSS के जरिए बाबा को एयरपोर्ट पर रोकने का एलान किया तो भाजपा को संभावना दिखने लगी। संभावना ऐसी कि उत्साहित होकर भाजपा सांसद मनोज तिवारी बाबा के ड्राइवर बन गए। केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पीछे की सीट पर बैठ गए। बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, पटना के सांसद रविशंकर प्रसाद, भाजपाई मेयर सीता साहू, राज्यसभा सांसद व पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद- हरेक ने दरबार में हाजिरी देकर उन्हें अपना बताने के बहाने भाजपा का बता लिया। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे हों या विधानसभा में विपक्ष के नेता विजय सिन्हा, किसी ने भी खुद को इसमें पीछे नहीं रहने दिया।
तेज की आग के साथ पूरे महागठबंधन का घी
जदयू कोटे के मंत्री डॉ. अशोक चौधरी ने महावीर मंदिर वाले आचार्य किशोर कुणाल से समधियाना निभाते हुए हनुमान-भक्त धीरेंद्र शास्त्री का साथ दिया, लेकिन बाकी महागठबंधन शुरू से अंत तक बागेश्वर वाले बाबा को भाजपाई करार देने में लगा रहा। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान नहीं आ रहा था, लेकिन मंगलवार को वह भी बोल गए कि हिंदू राष्ट्र की बात करना असंवैधानिक है। बात सही है, लेकिन मुख्यमंत्री की प्रतिक्रिया महागठबंधन के खाते में ही जाएगी। उसी महागठबंधन के खाते में, जिसके मुख्य घटक राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने इस मामले में सरकार को भी नहीं छोड़ा और कह दिया- ”अफसोस कि इन जैसे दंगाइयों को इस बिहार में आने दिया जा रहा है। इन्हें तो आडवाणी की तरह जेल में बंद कर दिया जाना चाहिए था।” रामचरित मानस पर विवादित बयान के कारण चर्चित शिक्षा मंत्री प्रो. चंद्रशेखर ने भी जेल भेजने की बात पहले ही कही थी। इन बयानों के बीच मंगलवार को तेज प्रताप प्रकट हुए और बोलते-बोलते श्रीकृष्ण को श्रीराम से बड़ा बता दिया, ताकि हनुमानजी को छोटा बता सकें। आशय यह बताना था कि हनुमानजी के भक्त धीरेंद्र शास्त्री जिस बिहार में आए, वहां श्रीकृष्ण के वंशज का शासन है।
रही अंतिम प्रभाव की बात तो यह गणित भी जान लें
बिहार में अगर वर्तमान महागठबंधन के सामने वर्तमान भाजपा उतरती है तो लोकसभा चुनाव में भी उसे जातीय समीकरण के कारण परेशानी तय है। लोकसभा चुनाव में जाति की जगह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर वोटिंग हुई तो बात अलग है, वरना परेशानी से इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में भाजपा ‘सनातन’ के नाम पर हिंदू वोटरों के ध्रुवीकरण की हर संभव कोशिश करेगी। इसमें कम पढ़े-लिखे और पिछड़ी जाति के लोग साथ देंगे, इसपर शक है। लेकिन, कोशिश पूरी होगी। यह कोशिश काम कर गई तो इसमें पंडित धीरेंद्र शास्त्री के ताजा दौरे में डाले बीज का योगदान मानना ही पड़ेगा। इस बीज का अंकुर बढ़ा तो भाजपा सितंबर में बाबा के लिए गया का प्रस्तावित दौरा पूरी ताकत के साथ सफल कराएगी। भीड़ का अंदाज लग चुका है, बस भीड़ को वोट में बदलने का जो समीकरण बाबा बताकर जा रहे- उसपर गणितीय हल निकालना है।