नगर निगमों की तर्ज पर अब नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में स्वकर निर्धारण प्रणाली लागू होगी। यानि अब छोटे शहरों में भी गृहकर का वसूली अनिवार्य कर दी गई है। साथ ही शहरी सीमा में शामिल गांवों में पांच साल तक या विकास होने तक हाउस टैक्स नहीं लिया जाएगा। इसके लिए उत्तर प्रदेश नगर पालिका (भवन या भूमि या दोनों के वार्षिक मूल्य पर कर) नियमावली-2024 को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। यह व्यवस्था नगर विकास विभाग द्वारा अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभावी होगी।
नगर विकास विभाग के प्रस्ताव के मुताबिक इस कर प्रणाली के लागू होने के बाद नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में रहने वाले लोग भी अपने घर का गृहकर खुद निर्धारित कर सकेंगे। अब तक यह कर प्रणाली सिर्फ नगर निगम वाले शहरों में ही लागू थी। बता दें कि इस समय प्रदेश में कुल 762 निकाय हैं। इनमें 17 नगर निगम, 200 पालिका परिषद और 545 नगर पंचायतें हैं। नगर निगमों में अनिवार्य रूप से हाउस टैक्स वसूली के लिए तो नियमावली है, लेकिन नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में इसके लिए कोई नियमावली नहीं थी। इस वजह से पालिका परिषदों और नगर पंचायतों में गृहकर की वसूली अनिवार्य रूप से नहीं हो पा रही है। वहीं, नियमावली न होने से निकाय अध्यक्ष बोर्ड की मंजूरी से हाउस टैक्स वसूली में मनमाना छूट भी देते रहे हैं।
नगर विकास विभाग का कहना है कि अमृत-दो के लिए केंद्र द्वारा जारी दिशा-निर्देश में सभी श्रेणी के नगर निकायों में गृहकर वसूली को अनिवार्य किया गया है। वहीं, केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने 15वें वित्त आयोग की राशि देने के लिए भी न्यूनतम फ्लोर दर अधिसूचित किया है। नगर पालिका परिषद और नगर पंचायतों में हाउस टैक्स वसूली के लिए नियमावली न होने से केंद्रीय वित्त आयोग की राशि नहीं मिल पा रही है। इसलिए भी छोटे शहरों के लिए नियमावली बनाने की जरूरत है।
प्रदेश में विद्युत सुरक्षा निदेशालय के तहत कार्यरत विद्युत निरीक्षक अब डिप्लोमाधारी भी नियुक्ति हो सकेंगे। अभी तक सिर्फ स्नातक डिग्रीधारी ही इस पद के योग्य माने जाते थे। मंगलवार को इस आशय के प्रस्ताव को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दे दी गई।केंद्र सरकार की ओर से सुरक्षा संबंधी अधिनियम में बदलाव किया गया है। इसके तहत उत्तर प्रदेश मुख्य विद्युत निरीक्षक और विद्युत निरीक्षकों की अर्हताएं, शक्तियां और कृत्य नियमावली 2024 बनाई गई। इसे मंगलवार को कैबिनेट में रखा गया, जिसे मंजूरी दे दी गई है। इस नियमावली में नियुक्ति के नियमों में बदलाव किया गया है। निरीक्षक पद अभी तक इंजीनियरिंग में स्नातक डिग्रीधारियों को ही लिया जाता था। अब डिप्लोमा डिग्रीधारी भी कुछ अनुभव के साथ इस पद के लिए योग्य माने जाएंगे। ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने बताया कि इस नई व्यवस्था में विद्युत सुरक्षा निदेशालय के खाली पदों को जल्द से जल्द भरा जा सकेगा।
सरकार ने प्रदेश के तीन बड़े शहरों के विकास प्राधिकरणों का दायरा बढ़ाने का फैसला किया है। आवास विभाग के प्रस्ताव पर वाराणसी, बरेली और मुरादाबाद विकास प्राधिकरणों के सीमा विस्तार के प्रस्ताव को मंगलवार को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। वाराणसी विकास प्राधिकरण की सीमा में वाराणसी के अलावा चंदौली और मिर्जापुर जिले के कुल 215 राजस्व गांवों को शामिल किया जाएगा। इसके अलावा मुरादाबाद की सीमा में 71 और बरेली विकास प्राधिकरण की सीमा में 35 नए राजस्व गांवों को शामिल किया जाएगा।
प्रदेश में पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए सरकार प्रमुख पर्यटन व धार्मिक स्थलों पर हेलीकॉप्टर सेवा शुरू कर रही है। लखनऊ, प्रयागराज व कपिलवस्तु में जल्द हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करने की तैयारी है। कैबिनेट ने मंगलवार को इन तीनाें जगहों पर हैलीपैड को पीपीपी मोड पर निजी निवेशकों के माध्यम से विकसित व संचालित करने पर सहमति दे दी है। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि अभी आगरा और मथुरा में हेलीकॉप्टर सेवा शुरू की गई है। यहां पर हैलीपैड को पीपीपी मोड पर चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग की ओर से इन तीन और स्थानों पर हैलीपोर्ट की सुविधा शुरू करने से देशी-विदेशी पर्यटकों व श्रद्धालुओं को बेहतर अनुभव मिलेगा।
सहारनपुर स्थित मां शाकुंभरी देवी धाम के पर्यटन विकास के लिए जिला प्रशासन पर्यटन विभाग को 3690 वर्ग मीटर भूमि निशुल्क उपलब्ध कराएगा। पर्यटन विभाग के इस प्रस्ताव पर कैबिनेट ने अपनी सहमति दी। विभाग के अनुसार मां शाकुंभरी देवी धाम शक्ति पीठ है। यहां पर नियमित दर्शन के लिए लोग आते हैं और नवरात्र के दिनों में न सिर्फ यूपी, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश से भी दर्शनार्थी आते हैं। इसे देखते हुए यहां पर पर्यटन विकास की जरूरत है।
प्रदेश में पर्यटन विभाग के राही पर्यटक आवास गृहों को पीपीपी मोड पर चलाने के लिए निजी संस्थानों को दिया जा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को कैबिनेट ने राही पर्यटक आवास गृह मुंशीगंज अमेठी, खुर्जा बुलंदशहर, देवाशरीफ बाराबंकी व हरगांव सीतापुर को भी पीपीपी मोड पर चलाने के लिए लेटर ऑफ अवार्ड जारी करने की सहमति दी। इसके साथ ही बदायूं, इटावा, सिद्धार्थनगर, फिरोजाबाद, मिर्जापुर, भदोही व मऊ के झील महल रेस्टोरेंट को पीपीपी मोड पर देने के लिए निविदा आदि की प्रक्रिया पूरी करने का भी अनुमोदन किया गया।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के पुनरीक्षित बजट का अनुमोदन कैबिनेट ने कर दिया है। महंगाई और जीएसटी सहित अन्य कारणों से एक्सप्रेस वे का खर्च करीब 1600 करोड़ रुपये बढ़ गया था। पुनरीक्षित बजट की मंजूरी कैबिनेट से लेना जरूरी था। गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे के लिए करीब 5668 करोड़ रुपये का प्रावधान था, लेकिन ये बढ़कर करीब 7283 करोड़ रुपये हो गया।
कैबिनेट ने मंगलवार को मुख्यमंत्री टूरिज्म फेलोशिप के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है। इसके तहत पर्यटन विभाग शोधार्थियों का चयन करेगा, जो प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ-साथ इस क्षेत्र में हो रहे निवेश को गति देंगे। यह विभिन्न राज्यों व देशों द्वारा की जाने वाली बेस्ट प्रैक्टिसेज का अध्ययन करके अपने सुझाव भी देंगे। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि यह शोधार्थी पर्यटन विभाग से जुड़ी योजनाओं के पर्यवेक्षण, अनुश्रवण व पारिस्थितिकीय स्थलों के सर्वांगीण विकास का काम करेंगे। साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का मूल्यांकन, मेले व महोत्सवों की योजनाओं को आगे बढ़ाने में अध्ययन कर अहम सुझाव देंगे। यह शोधार्थी मेले-महोत्सव की रूपरेखा बनाने, पर्यटन के क्षेत्र में राजस्व वृद्धि, भविष्य की जरूरतों के अनुसार भी सुझाव देंगे। साथ ही निवेशकों को आ रही समस्याओं को निस्तारित कराने में भी भूमिका निभाएंगे।
पर्यटन विभाग प्रदेश की प्राचीन धरोहर भवनों (हेरिटेज बिल्डिंग) को हेरिटेज पर्यटन इकाइयों के रूप में विकसित करेगा। इन धरोहरों को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मोड पर विकसित करने के लिए कैबिनेट ने निविदा की स्वीकृति दे दी है। प्रदेश के प्राचीन व विरासत भवनों को पीपीपी मॉडल पर हेरिटेज होटल, रिजार्ट, म्यूजियम के रूप में विकसित किया जाएगा। इसके तहत पहले चरण में लखनऊ के कोठी रोशन उद्दौला, मथुरा का बरसाना जल महल व कानपुर के शुक्ला तालाब की तकनीकी निविदा, तकनीकी प्रस्तुतिकरण व वित्तीय निविदा करने को कैबिनेट ने अनुमोदन दिया है। इससे प्रदेश के ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व धार्मिक विरासतों व समृद्ध प्राकृतिक वनसंपदा को फिर से प्रयोग में लाकर पर्यटन की संभावनाओं का विकास किया जाएगा। अनुरक्षण के अभाव व पर्याप्त मानव संसाधन न होने से इनका बेहतर रखरखाव नहीं हो पा रहा है। पीपीपी मोड पर इनके संचालन से काफी लाभ होगा।