नई दिल्ली, 31 मार्च 2025, सोमवार। कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी ने भारत की शिक्षा नीति को लेकर केंद्र की मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला है। अपने हालिया लेख में उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को आड़े हाथों लिया और इसे देश की शिक्षा व्यवस्था के लिए घातक करार दिया। सोनिया ने इसे शिक्षा का “केंद्रीकरण, व्यवसायीकरण और सांप्रदायिकीकरण” करने वाला कदम बताया, जो न केवल संघीय ढांचे को कमजोर कर रहा है, बल्कि बच्चों और युवाओं के भविष्य को भी खतरे में डाल रहा है।
“3 सी” का एजेंडा और शिक्षा पर हमला
सोनिया गांधी ने मोदी सरकार पर “3 सी” – केंद्रीकरण (Centralization), व्यवसायीकरण (Commercialization) और सांप्रदायिकीकरण (Communalization) – के एजेंडे को थोपने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि यह नीति शिक्षा को जनसेवा की भावना से दूर ले जा रही है और इसकी गुणवत्ता को ताक पर रख रही है। उन्होंने केंद्र पर राज्य सरकारों को नीति-निर्माण से बाहर करने का इल्ज़ाम लगाते हुए कहा कि पिछले 11 सालों में अनियंत्रित केंद्रीकरण सरकार की पहचान बन गया है, जिसका सबसे बुरा असर शिक्षा क्षेत्र पर पड़ा है।
89,000 स्कूल बंद, बीजेपी-आरएसएस की भर्ती
सोनिया ने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए। उनके मुताबिक, 2014 से अब तक देश में 89,000 से ज्यादा स्कूल बंद हो चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने बीजेपी और आरएसएस से जुड़े लोगों की बड़े पैमाने पर शिक्षण संस्थानों में भर्ती का मुद्दा उठाया। उनका कहना है कि यह सब शिक्षा को एक खास विचारधारा के हवाले करने की साजिश का हिस्सा है। इसके अलावा, उन्होंने सर्व शिक्षा निधि को रोकने, पाठ्यपुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना हटाने और महात्मा गांधी की हत्या जैसे संवेदनशील मुद्दों को शामिल करने जैसे कदमों की भी आलोचना की।
लोकतंत्र की अनदेखी और राज्यों का अपमान
सोनिया गांधी ने केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक परामर्श की अवहेलना करने का गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि एनईपी 2020 को लागू करने से पहले राज्य सरकारों से कोई सलाह-मशविरा नहीं किया गया। केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड, जिसमें केंद्र और राज्य के शिक्षा मंत्री शामिल होते हैं, की आखिरी बैठक सितंबर 2019 में हुई थी। उसके बाद से इस मंच को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया। उनका कहना है कि यह संघीय ढांचे पर सीधा हमला है, जो भारत जैसे विविधतापूर्ण देश के लिए बेहद खतरनाक है।
सोनिया के सवाल जो गूंज रहे हैं
सोनिया गांधी ने अपने लेख में कई सवाल उठाए, जो शिक्षा व्यवस्था की बदहाली की ओर इशारा करते हैं:
- शिक्षा का व्यवसायीकरण क्यों हो रहा है?
- 89,441 स्कूलों को बंद करने का क्या औचित्य है?
- राज्यों की शक्तियों का हनन क्यों किया जा रहा है?
- विश्वविद्यालयों को कर्ज पर निर्भर क्यों बनाया जा रहा है, जिससे छात्रों की फीस बढ़ रही है?
- पेपर लीक और एनटीए-एनएएसी की नाकामी आम बात क्यों बन गई है?
- बीजेपी-आरएसएस पृष्ठभूमि वाले प्रोफेसरों की भर्ती का क्या मकसद है?
शिक्षा की हत्या बंद हो
सोनिया गांधी ने अपने लेख को एक भावनात्मक अपील के साथ खत्म किया। उन्होंने कहा कि भारत की शिक्षा व्यवस्था की “हत्या” को रोका जाना चाहिए। उनका मानना है कि बीजेपी-आरएसएस देश की शिक्षा को बर्बाद कर जनता को ज्ञान और अवसरों से वंचित करने की राह पर हैं। यह नीति न केवल शिक्षा के मूल उद्देश्य को कमजोर कर रही है, बल्कि देश के भविष्य को भी अंधेरे में धकेल रही है।
सोनिया गांधी का यह लेख न सिर्फ शिक्षा नीति पर बहस को तेज करेगा, बल्कि केंद्र सरकार को भी कठघरे में खड़ा करता है। सवाल यह है कि क्या सरकार इन आरोपों का जवाब देगी या इसे भी विपक्ष की “सियासत” करार देकर खारिज कर देगी? समय ही बताएगा।