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Tuesday, October 22, 2024

आजाद हिंद सरकार की 81वीं वर्षगांठ; भारत के पहले प्रधानमंत्री थे ‘नेताजी’ ?

नई दिल्ली, 21 अक्टूबर 2024, सोमवार। ज्यादातर इतिहास की किताबों में यही बताया जाता है कि, भारत की पहली अस्थायी सरकार का गठन आज़ादी से 347 दिन पहले 2 सितम्बर 1946 को हुआ था और पंडित जवाहर लाल नेहरू इस सरकार में प्रधानमंत्री थे। लेकिन आज़ादी से चार साल पहले आज ही के दिन वर्ष 1943 में भारत की पहली निर्वासित सरकार बनाई गई थी और इस सरकार का गठन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सिंगापुर में खुद किया था। इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार सुधीर चौधरी ने न्यूज चैनल पर स्पेशल एपिसोड भी किया था। तब खूब हंगामा, हो-हल्ला मचा था। इसके अलावा हिमाचल के मंडी से भाजपा सांसद और ऐक्ट्रेस कंगना रनौत ने भी जब सुभाष चंद्र बोस को भारत का पहला प्रधानमंत्री बताया, तो सियासी गलियारों में इस पर बहस छिड़ गई कि आजाद भारत के पहले पीएम पंडित जवाहरलाल नेहरू है तो आखिर कंगना ने इस तरह का बयान क्यों दिया ? हालांकि कंगना रनौत का कहना है कि 1943 में सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद सरकार का गठन कर दिया था। इसलिए उन्हें पहला प्रधानमंत्री कहा जा सकता है। बता दें कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुआई में बनी अंतरिम सरकार एक अस्थायी सरकार थी जो कि देश की सीमा से बाहर गठित की गई थी। 10 से ज्यादा देशों ने इस सरकार को मान्यता भी दे दी थी। इसका उद्देश्य मात्र अंग्रेजों को भारत से बाहर निकालना था। आज न्यूज़ अड्डा इंडिया के मंच इस मुद्दे पर खुलकर बात रखी जाएगी, ताकि खबरों के पीछे की तस्वीरों से आपको रूबरू कराया जा सकें।
21 अक्टूबर 1943 में आजाद हिंद सरकार का गठन
सुभाष चंद्र बोस का आजादी की लड़ाई में महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ आजाद हिंद फौज का गठन किया और आजादी से पहले ही हिंदुस्तान की अस्थाई सरकार बना थी दी, जिसे 10 देशों ने मान्यता भी दी थी। आजाद हिंद फौज की अपनी बैंक और मुद्रा भी थी। आज उस सरकार की 81वीं वर्षगांठ है। 21 अक्टूबर 1943 को नेताजी सुभाष ने आजाद हिंद सरकार का गठन किया था। नेताजी खुद इस सरकार के हेड थे। इसके अलावा उन्होंने युद्ध और विदेश मंत्रालय की जिम्मेदारी भी अपने पास रखी थी। एसी चटर्जी को वित्त और एसए अय्यर को प्रचार विभाग का जिम्मा दिया गया था। लक्ष्मी स्वामिनाथन को महिला विभाग की जिम्मेदारी दी गई थी। इसके अलावा आजाद हिंद फौज के अन्य सदस्यों को भी कैबिनेट में जगह दी गई थी। विश्वयुद्ध के दौरान सुभाष चंद्र बोस को धुरी शक्तियों का समर्थन हासिल था। इसी दौरान वह जर्मनी और जापान के नियंत्रण वाले सिंगापुर पहुंचे थे।
इन देशों ने दी थी मान्यता
जिस वक्त भारत पर अंग्रेजों का राज था, लेकिन नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने 21 अक्बूर 1943 को आजादी से पहले ही सिंगापुर में आजाद हिंद सरकार की स्थापना करके वो कारनामा कर दिखाया, जिसे अब तक किसी ने करने के बारे में सोचा तक नहीं था। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अनेक महापुरुषों ने अपना योगदान दिया था जिनमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस का नाम पहली पंक्ति में है। उन्होंने अपने वीरतापूर्ण कार्यों से अंग्रेज़ी सरकार की नींव को हिलाकर रख दिया था। जब तक नेताजी रहे, तब तक अंग्रेज़ी हुक्मरान चैन की नींद नहीं सो पाए। नेताजी की सरकार को जर्मनी, जापान, फिलिपीन्स, कोरिया, इटली और आयरलैंड ने समर्थन दिया था। इसके अलावा जापान ने अंडमान और निकोबार द्वीप आजाद हिंद सरकार को सौंप दिए थे। नेताजी ने अंडमान का नाम शहीद द्वीप और निकोबार का स्वराज द्वीप रख दिया था। इसके अलावा कोहिमा के मोर्चे पर ब्रिटिश सेना को आजाद हिंद फौज ने हरा भी दिया था। हालांकि जब अमेरिका ने जापान पर परमाणु बम गिरा दिया तो आजाद हिंद फौज भी कमजोर पड़ने लगी।
आजाद हिन्द फौज में थी महिला यूनिट
अखंड भारत की सरकार नेताजी ने विदेशी धरती पर बनाई। अंग्रेज उनसे यूं ही खौफ नहीं खाते थे, उनके पास 85 हजार सशस्त्र सैनिक थे। अपना रेडियो स्टेशन था। नेताजी ने आजाद हिन्द फौज में उस जमाने में महिला यूनिट खड़ी कर दी थी जब लोग महिलाओं को घर से निकलने तक नहीं देते थे। उन्होंने महिलाओं को इस तरह की ट्रेनिंग दी कि उन्हें मेडिकल और जासूसी में महारत हासिल थीं। नीरा आर्या और सरस्वती राजामणि जैसे जासूसों का नाम गर्व से लिया जाता है। ये लोग विभिन्न रूप में अंग्रेजों की यूनिट में पहुंचते और सूचनाएं एकत्र कर नेता जी तक पहुंचाते थे।
सुभाष चंद्र बोस के पास था अपना बैंक
पुराने जमाने में राजा-महाराजा भी अपने नाम के सिक्के निकालते थे, तो उसी तरह नेताजी सुभाष चंद्र बोस के पास अपना बैंक था, मुद्रा थी और डाक टिकट था। जिन देशों ने ‘आजाद हिंद सरकार’ का समर्थन किया, उन्होंने इस करेंसी को भी मान्यता दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ साल पहले लाल किले की प्राचीर से उनके कुछ अच्छे कार्यों को याद करते हुए आजाद हिंद सरकार का गठन, राष्ट्रीय आजाद बैंक, आजाद हिन्द रेडियो और रानी झांसी रेजीमेंट के निर्माण को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने यह भी कहा नेताजी ने सबसे महत्वपूर्ण बात देशवासियों को आजादी का मतलब बताया। देश उनके योगदान को कभी भुला नहीं सकता है।
1943 में बना था ‘आजाद हिंद बैंक’
नेताजी ने देश को आजाद कराने के लिए जो जंग शुरू की थी, उसके लिए उन्हें काफी समर्थन भी मिला। लोगों ने खूब बढ़-बढ़कर चंदा भी दिया। इन पैसों को संभालने के लिए अप्रैल 1943 में एक बैंक भी बनाया गया। उसका नाम था ‘आजाद हिंद बैंक’। इस बैंक की स्थापना वर्मा की राजधानी रंगून में हुई थी। वर्मा को अब म्यांमार के नाम से जाना जाता है।

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