लखनऊ, 04 अगस्त 2025। उत्तर प्रदेश ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में निवेश और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में ऐतिहासिक छलांग लगाई है। कभी निवेश के सूखे से जूझने वाला यूपी आज वैश्विक निवेशकों की पहली पसंद बन चुका है। 2017 के बाद शुरू हुई निवेश क्रांति ने न केवल राज्य की छवि बदली, बल्कि इसे निवेश, रोजगार और विकास की त्रिवेणी के रूप में स्थापित किया।
2017 से पहले: निवेश का सूखा
2000 से 2017 तक के 17 वर्षों में यूपी को मात्र ₹3,000 करोड़ का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) मिला। 2016-17 में यह आंकड़ा घटकर ₹50 करोड़ तक सिमट गया। कमजोर कानून व्यवस्था, नीतिगत स्पष्टता की कमी और सिंगल विंडो सिस्टम जैसी सुविधाओं का अभाव निवेशकों के लिए बाधा बना। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस में यूपी की रैंकिंग औसत थी, जिससे निवेशकों का भरोसा डगमगाया।
2017 के बाद: निवेश की नई कहानी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में सत्ता संभालते ही यूपी को निवेश के लिए सर्वश्रेष्ठ गंतव्य बनाने का संकल्प लिया। उनकी स्पष्ट नीतियों और सुशासन ने निवेशकों का विश्वास जीता। 2018 के यूपी इन्वेस्टर्स समिट में ₹4.28 लाख करोड़ और 2023 के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में ₹33.50 लाख करोड़ के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए। चार ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी (जीबीसी) के जरिए 16,000 से अधिक परियोजनाएं धरातल पर उतरीं, जिनमें 8,000 से ज्यादा में वाणिज्यिक संचालन शुरू हो चुका है।
दिग्गज कंपनियों का भरोसा
टाटा, अदानी, वीवो, पेप्सिको, हल्दीराम और आइकिया जैसी कंपनियों ने यूपी में भारी निवेश किया। विनिर्माण (62.25%), सेवा (28.09%) और अवसंरचना क्षेत्रों में निवेश का बड़ा हिस्सा आया। नवंबर 2025 में प्रस्तावित जीबीसी-5 के जरिए ₹5 लाख करोड़ की परियोजनाओं को धरातल पर उतारने का लक्ष्य है, जो बढ़कर ₹10 लाख करोड़ तक पहुंच सकता है।
रोजगार और विकास की नई उम्मीद
इन निवेशों से लाखों रोजगार के अवसर सृजित हुए हैं। योगी सरकार की नीतियों ने यूपी को “रिफॉर्म, परफॉर्म, ट्रांसफॉर्म” का प्रतीक बनाया है। स्थानीय उद्यमों का विकास और सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन यूपी के नए युग की कहानी बयां करता है।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश ने निवेश के क्षेत्र में नया इतिहास रचा है। नीतिगत सुधारों, सुशासन और निवेशक-अनुकूल माहौल ने यूपी को विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है।