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Friday, November 22, 2024

सात आवरण में काशी की रक्षा करते हैं 56 विनायक

56 गणपति के सेनानायक हैं ढुंढिराज गणेश

वाराणसी। जय विघ्नकृतामाद् भक्तनिर्विघ्नकारक, अविघ्न विघ्नशमन महाविघ्नैकविघ्नकृत्…. अर्थात शिवजी बोले- हे विघ्नकर्ताओं के कारण, हे भक्तों के निर्विघ्न-कारक, विघ्नहीन, विघ्नविनाशन, महाविघ्नों के मुख्य विघ्न करने वाले। आपकी जय हो। भगवान शिव संसार के प्रथम पिता हैं जिन्होंने अपने पुत्र भगवान गणेश की स्तुति की। स्तुति के फलस्वरूप ढुंढिराज गणेश ने अपने 56 स्वरूपों को काशी की रक्षा और काशीवासियों के विघ्नों को हरने के लिए सात आवरण में स्थापित कर दिया।

काशी खंड के अनुसार भगवान शिव ने विष्णु, ब्रह्मा, योगिनी को राजा दिवोदास की मति हरने के लिए भेजा लेकिन उनको भी सफलता नहीं मिली। उन्होंने विनायक को भेजा और उन्होंने ज्योतिषी का रूप धारण कर दिवोदास की मति हर ली और काशी को भगवान शिव को सौंप दिया। इसके बाद देवाधिदेव महादेव जब काशी आए तो उन्होंने काशी के युवराज प्रथमेश श्रीढुंढिराज गणपति की स्तुति की और उन्होंने कहा कि मुझे वाराणसी पुरी में आने का जो सौभाग्य मिला है, यह सब इसी बालक ढुंढिराज का प्रसाद है। त्रिलोक में पिता जिस कार्य को पूरा नहीं कर सकता पुत्र उसको पूर्ण कर देता है इसका उदाहरण मैं स्वयं हूं। उन्होंने आशीर्वाद दिया कि ढुंढि नाम ढूंढने के ही अर्थ में प्रसिद्ध है, ढूंढने के ही कारण तुम्हारा नाम ढुंढि हुआ है। इस लोक में तुम्हारे कृपा के बिना काशी में कोई प्रवेश नहीं कर सकता है।

भगवान शिव ने कहा कि हे ! ढुंढिराज जो काशीवासी सबसे पहले तुम्हें प्रणाम कर फिर मुझे नमस्कार करता है , मैं उसे अंत समय में ऐसा उपदेश देता हूं जिससे उसको दोबारा इस संसार में जन्म नहीं लेना पड़ता। 56 विनायक ढुंढिराज के अवतार स्वरूप हैं जो काशी में जगह-जगह बैठकर भक्तों के दुखों का निवारण करते हैं। ढुंढिराज स्त्रोत और छप्पन विनायक की कथा पढ़ने वालों को समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं। 56 विनायक के अलावा काशी में अष्ट और पंच विनायक भी हैं। इनकी यात्रा भी काशी में होती है।

अष्ट विनायक

1- सिद्धि विनायक- अमेठी मंदिर मणिकर्णिका घाट के निकट
2- त्रिसंध्य विनायक- लाहौरी टोला
3- आशा विनायक- मीरघाट
4- क्षिप्र प्रसाद विनायक- पितरकुंडा
5- ढुंढ़िराज विनायक- अन्नपूर्णा मंदिर मार्ग
6- अविमुक्त विनायक- विश्वनाथ मंदिर प्रांगण
7-वक्रतुंड विनायक- राणा महल, चौसट्टी घाट पर सरस्वती विनायक नाम से
8- ज्ञान विनायक- गणनाथ विनायक के नाम से खोजवां बाजार

पंच विनायक

ढुंढि विनायक, कोणविनायक, देवीविनायक, हस्तीविनायक तथा सिंदूर विनायक।

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