वाराणसी, 28 जून 2025: केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुक्रवार को वाराणसी में आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने पर आयोजित ‘लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान समारोह व संगोष्ठी’ में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन किए और आपातकाल पर आधारित प्रदर्शनी का अवलोकन किया। पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए उन्होंने कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और आपातकाल को ‘संविधान की हत्या’ करार दिया।
‘कुर्सी बचाने के लिए लगाया गया आपातकाल’
शिवराज सिंह ने कहा, “25 जून 1975 की काली रात में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए देश पर आपातकाल थोपा। न बाहरी खतरा था, न आंतरिक, खतरा था तो सिर्फ उनकी सत्ता को। बिना कैबिनेट की मंजूरी के आपातकाल लागू कर दिया गया। यह लोकतंत्र का नहीं, संविधान का गला घोंटने वाला कदम था।”
‘कांग्रेस को माफी मांगनी चाहिए’
केंद्रीय मंत्री ने आपातकाल के दौरान हुए अत्याचारों को याद करते हुए कहा, “मैं उस समय 16 साल का था, एक स्कूल का प्रेसीडेंट था, फिर भी मुझे जेल में डाल दिया गया। तुर्कमान गेट पर बुलडोजर चलाए गए, लोगों को गोलियों से भून दिया गया, जबरन नसबंदी की गई। प्रेस की आजादी छीनी गई, न्यायपालिका को कमजोर किया गया, और पूरा देश जेलखाना बन गया।” उन्होंने कांग्रेस को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “तानाशाही कांग्रेस के DNA में है। उसे संविधान की प्रति रखने का हक नहीं। कांग्रेस को देश से नाक रगड़कर माफी मांगनी चाहिए।”
‘लोकतंत्र बीजेपी के स्वभाव में’
शिवराज ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की तारीफ करते हुए कहा, “लोकतंत्र बीजेपी के स्वभाव में है। अगर कांग्रेस को लोकतंत्र सीखना है, तो उसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीखना चाहिए।” उन्होंने आपातकाल के दौरान जेल में अपने अनुभव साझा करते हुए कहा, “भोपाल जेल में हमारे साथी हसमत वारसी जी ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ा। लोगों को उल्टा लटकाया गया, बर्फ की सिल्लियों पर लिटाया गया, और करंट देकर प्रताड़ित किया गया। ऐसे अत्याचार तो अंग्रेजों ने भी नहीं किए।”
‘भारत का मूल भाव सर्वधर्म सद्भाव’
शिवराज ने भारत की सांस्कृतिक विरासत पर जोर देते हुए कहा, “भारत का मूल भाव सर्वधर्म सद्भाव है। हमारी संस्कृति कहती है, ‘एकम सद्विप्रा बहुधा वदन्ति’—सत्य एक है, विद्वान उसे अलग-अलग तरीके से व्यक्त करते हैं। ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ हमारा मूल मंत्र है। समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता की जरूरत नहीं, क्योंकि भारत का दर्शन जियो और जीने दो का है।”
लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान
कार्यक्रम में आपातकाल के दौरान संघर्ष करने वाले लोकतंत्र सेनानियों को सम्मानित किया गया। शिवराज ने कहा कि यह आयोजन उस काले दौर की याद दिलाता है, जब लोकतंत्र को कुचलने की कोशिश की गई थी। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करना है कि ऐसा काला अध्याय दोबारा न आए।”
कांग्रेस पर तीखा प्रहार
शिवराज ने कांग्रेस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा, “कांग्रेस में लोकतंत्र नहीं, एक परिवार ही पार्टी चलाता है। जो लोग संविधान की दुहाई देते हैं, उन्हें पहले अपने काले कारनामों का हिसाब देना होगा।” इस कार्यक्रम ने न केवल आपातकाल के दर्द को फिर से ताजा किया, बल्कि लोकतंत्र की रक्षा के लिए बीजेपी की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया।