वाराणसी, 23 जुलाई 2025: धर्मनगरी काशी ने एक बार फिर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल कायम की है। जगतगंज में स्थित मंदिर और गुरुद्वारे के बीच 42 वर्षों से चला आ रहा स्वामित्व विवाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर आपसी सहमति से समाप्त हो गया है। इस ऐतिहासिक सुलह ने गंगा-जमुनी तहज़ीब को और मजबूती दी है।
मुख्यमंत्री के मार्गदर्शन में दोनों समुदायों ने संवाद के जरिए मतभेदों को दूर किया। स्वतंत्रता सेनानी शहीद बाबू जगत सिंह के वंशज प्रदीप नारायण सिंह की मध्यस्थता से यह समझौता संभव हुआ। अब एक ही प्रांगण में गुरुद्वारे की गुरुवाणी और मंदिर की हनुमान चालीसा की गूंज एक साथ सुनाई देगी।
42 साल बाद विवादित परिसर का ताला खुला, और इसके साथ ही भाईचारे का नया द्वार भी खुल गया। गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी और बड़े हनुमान मंदिर प्रबंध समिति ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि 3,000 से 3,500 वर्ग फीट जमीन को लेकर चला आ रहा विवाद अब पूरी तरह खत्म हो गया है।
जानकारी के मुताबिक, यह जमीन शहीद बाबू जगत सिंह ने सिख समुदाय को गुरुद्वारे के लिए समर्पित की थी, लेकिन कुछ असामाजिक तत्वों के हस्तक्षेप से विवाद बढ़ गया था।
प्रतिक्रियाएं:
- श्याम नारायण पांडेय, व्यवस्थापक, बड़े हनुमान मंदिर: “काशी ने दुनिया को एकता और भाईचारे का संदेश दिया है।”
- सरदार परमजीत सिंह अहलुवालिया, उपाध्यक्ष, गुरुद्वारा कमेटी: “यह समझौता शांति और सौहार्द का प्रतीक है, जो भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगा।”
यह समझौता साबित करता है कि संवाद और सहमति से हर जटिल समस्या का समाधान संभव है।