नई दिल्ली, 16 जून 2025: सीमा सड़क संगठन (BRO) ने हिमाचल प्रदेश के मनाली से लद्दाख के लेह तक 298 किलोमीटर लंबी एक नई ऑल-वेदर सड़क के निर्माण में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है। यह सड़क, जिसे निम्मू-पदम-दर्चा मार्ग के नाम से जाना जाता है, लद्दाख को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली तीसरी रणनीतिक धुरी बनने जा रही है। इस मार्ग पर ट्रायल शुरू हो चुका है, जो क्षेत्र में रक्षा तैयारियों और आर्थिक विकास को नई गति देगा।
रणनीतिक महत्व
यह नया मार्ग मनाली-लेह और श्रीनगर-लेह मार्गों का एक वैकल्पिक रास्ता प्रदान करता है। यह सड़क केवल 298 किमी लंबी है, जो अन्य दो मार्गों—मनाली-लेह (427 किमी) और श्रीनगर-लेह (422 किमी)—की तुलना में काफी कम है। इसके अलावा, इस मार्ग पर केवल एक ही दर्रा—शिंकुन ला (16,558 फीट)—है, जिसके नीचे 4.1 किमी लंबी सुरंग का निर्माण कार्य जल्द शुरू होने वाला है। यह सुरंग, जिसे 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य है, इस मार्ग को साल भर खुला रखने में सक्षम बनाएगी।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह सड़क न केवल रक्षा बलों की तैनाती और आपूर्ति को सुगम बनाएगी, बल्कि लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के लिए व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा देगी। लद्दाख की कठोर सर्दियों में, जब अन्य मार्ग भारी बर्फबारी के कारण बंद हो जाते हैं, यह सड़क एक महत्वपूर्ण जीवनरेखा साबित होगी।
निर्माण की चुनौतियां और उपलब्धियां
BRO ने इस सड़क का निर्माण 2002 में शुरू किया था, लेकिन दुर्गम इलाकों और कठोर मौसम ने इसे एक जटिल परियोजना बना दिया। मार्च 2024 में, BRO ने इस सड़क को पूरी तरह से जोड़ने में सफलता हासिल की, जिसे रक्षा मंत्रालय ने एक “ऐतिहासिक उपलब्धि” करार दिया।
इस सड़क का निर्माण विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यह ज़ांस्कर घाटी के ऊबड़-खाबड़ इलाकों और नाला जैसे संकरे रास्तों से होकर गुजरती है। BRO के कर्मियों ने ठंडे रेगिस्तान, बर्फीले नदियों और ऊंचे दर्रों को पार करते हुए दिन-रात काम किया। परियोजना निदेशक कर्नल विकास गुलिया ने बताया, “कठिन चट्टानी इलाकों को काटकर प्रारंभिक कनेक्टिविटी हासिल की गई है। अब ब्लैक-टॉपिंग और सड़क के मानकों को बेहतर करने का काम शुरू होगा।”
शिंकुन ला सुरंग: ऑल-वेदर कनेक्टिविटी की कुंजी
शिंकुन ला सुरंग इस परियोजना का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है। 15,855 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह सुरंग दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग होगी। इसका निर्माण कार्य जून 2025 में शुरू होने की संभावना है, और इसे 1,681 करोड़ रुपये की लागत से बनाया जाएगा। यह सुरंग हिमाचल के लाहौल-स्पीति को लद्दाख की ज़ांस्कर घाटी से जोड़ेगी, जिससे सर्दियों में भी निर्बाध यातायात सुनिश्चित होगा।
स्थानीय प्रभाव और चिंताएं
इस सड़क के निर्माण से ज़ांस्कर घाटी के लगभग 15 गांवों को साल भर कनेक्टिविटी मिलेगी, जो पहले सर्दियों में पूरी तरह कट जाते थे। ज़ांस्कर विकास प्राधिकरण के कार्यकारी पार्षद फुंचोक ताशी ने कहा, “पदम से लेह की दूरी अब 446 किमी से घटकर 175 किमी रह जाएगी, और यात्रा का समय 9 घंटे से कम होकर 5 घंटे हो जाएगा।”
हालांकि, कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने पर्यावरण और सांस्कृतिक प्रभावों पर चिंता जताई है। जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने कहा, “यह सड़क रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन ज़ांस्कर की समृद्ध सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने की आवश्यकता है।”
भविष्य की योजनाएं
BRO अब इस सड़क की ब्लैक-टॉपिंग और चौड़ीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, ताकि इसे राष्ट्रीय राजमार्ग डबल-लेन मानकों के अनुरूप बनाया जा सके। इसके अलावा, यह सड़क अटल सुरंग के साथ मिलकर मनाली से लेह तक की यात्रा को 10-12 घंटे तक कम कर देगी, जो मौजूदा मनाली-लेह मार्ग पर 14-16 घंटे लगते हैं।