वाराणसी, 20 दिसंबर 2024, रविवार। वाराणसी के लक्सा स्थित रामकृष्ण अद्वैत आश्रम में रविवार को माँ सारदा देवी की 172वीं शुभाविर्भाव तिथि का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विशेष पूजा, हवन, संकीर्तन और धर्मसभा का आयोजन हुआ। प्रातः 4 बजे मंगलारती के पश्चात वेद पाठ व उषा कीर्तन किया गया। 7 बजे स्वामी अलोकानन्द जी के द्वारा विशेष पूजा व हवन हुआ। साथ ही श्री श्री चण्डी पाठ का भी आयोजन हुआ। बंगलोर की गिरीजा अम्मा के द्वारा ललिता सहस्त्रनाम का परायण किया गया।
संध्या 4 बजे धर्म सभा का आयोजन किया गया, जिसका उद्बोधन स्वामी दयापूर्णानन्द ने भजन के द्वारा किया। आश्रम अध्यक्ष स्वामी विश्वात्मानन्द द्वारा आगत भक्तों का स्वागत किया गया। मुख्य वक्ता के तौर पर उपस्थित राजकोट, गुजरात की मिनाक्षी दस्तिदार ने समाजिक उन्नयन व पराधीन भारत में माँ सारदा द्वारा की गई नारी शिक्षा चेतना व सामाजिक योगदान का उल्लेख किया।
स्वामी राजेन्द्रानन्द जी ने कहा कि माँ की सबसे प्रासंगिक शिक्षा है कि परदोष को नहीं देखना व निंदा नहीं करना। अगर हम इसे अपने जीवन में उतार लेते हैं तो आज हमारी आधी समस्याओं का निदान हो जायेगा। धर्मसभा की अध्यक्षता रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम, वाराणसी के सचिव स्वामी भेदातीतानन्द ने की, तथा संचालन उत्कर्ष चौबे ने किया। धन्यवाद ज्ञापन स्वामी देवाधिपानन्द ने किया।
संध्या आरती के पश्चात काली कीर्तन हुई। मध्याह्न 12 बजे से विशेष भोग-भंडारा की व्यवस्था की गई थी, जिसमें लगभग 1800 लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। पूरे दिन आश्रम प्रांगण भक्तों से भरा रहा। उत्सव को सफल बनाने में स्वयंसेवकों ने बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया।