वाराणसी। भारतीय ज्ञान परंपरा के अति प्राचीन केंद्र संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक मुख्य भवन में वैदिक वांग्मय के क्रमिक विकास पर आधारित थ्री डी म्यूजियम का निर्माण किया जाएगा। इसमें 16 संस्कारों, 64 कलाओं और 18 विद्याओं को विस्तृत रूप दिया जाएगा। ऋषि तुल्य आचार्यों के शोध एवं भारतीय नक्षत्र विद्या के दर्शन भी म्यूजियम में होंगे। राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय पुनः विश्वविद्यालय के संकाय के रूप में परिवर्तित करने पर भी सहमति बनी। बता दें, बीते रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का औचक निरीक्षण किया था। विकास कार्य सहित अन्य गतिविधियों को देखा। विश्वविद्यालय के पठन-पाठन सहित अन्य गतिविधियों के संबंध में कुलपति प्रो. बिहारी लाल शर्मा सहित अन्य अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को विस्तार से अवगत कराया था।
राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय चौकाघाट को पुनः इस संस्था के संकाय के रूप में परिवर्तित करने के प्रस्ताव को सीएम ने स्वीकार किया। निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने विश्वविद्यालय के विभिन्न संकायों सहित लाइब्रेरी एवं छात्रावासों को भी देखा। लाइब्रेरी में पुरातन काल की संग्रहित पौराणिक पांडुलिपियों का मुख्यमंत्री ने अवलोकन किया। उन्होंने कुलपति के प्रस्ताव पर परिसर स्थित 234 वर्षीय मुख्य भवन के अंदर का अवलोकन कर भारतीय नक्षत्र विद्या, भारतीय खगोल विद्या, भारतीय ऋषियों द्वारा किए गए कार्यों के ऊपर म्यूजियम बनाए जाने तथा शास्त्रार्थ को इसी भवन में कराए जाने का भी निर्देश दिया। मुख्यमंत्री विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक सरस्वती भवन में संरक्षित दुर्लभ पांडुलिपियों में रास पंचाध्यायी, भागवतगीता एवं दुर्गासप्तशती (विशेष कपड़े में लिखी गई) स्वर्ण अक्षरों एवं स्वर्ण कलाओं से युक्त को देखकर भाव विभोर हुए। उन्होंने भारतीय संस्कृति के धरोहर को संरक्षित करने के अभियान को निरंतर जारी रखने तथा विश्वविद्यालय द्वारा किए जा रहे इस प्रयास की सराहना भी की।